- सौरव गांगुली ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट मैच में हार के बाद कोच गौतम गंभीर की रणनीति पर निराशा व्यक्त की
- गांगुली ने कोहली के टेस्ट कप्तानी से इस्तीफा देने पर कोहली के बयान की आलोचना की थी
- गांगुली ने इंग्लैंड दौरे पर अय्यर को टीम में न चुनने पर चयनकर्ताओं की आलोचना की और उनकी वापसी की वकालत की थी
Sourav Ganguly angry at Gautam Gambhir: दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में भारत को 30 रन से हार का सामना करना पड़ा था. भारत की हार के बाद सौरव गांगुली निराश हैं. गांगुली ने हार के टीम इंडिया के कोच गौतम गंभीर की रणनीति पर निराशा जाहिर की है. यह पहली बार नहीं है जब गांगुली ने खिलाड़ी या कोच को लेकर बयान नहीं दिया है. इससे पहले भी गांगुली ने दिग्गज खिलाड़ियों को लेकर अपनी राय दी है.
जब गांगुली और कोहली हुए आमने-सामने
जब विराट कोहली को टेस्ट की कप्तानी पद से इस्तीफा दिया था तो गांगुली ने उनके बारे में बड़ा बयान दिया था. गांगुली ने खुलासा किया था कि बीसीसीआई 2022 में कोहली के टेस्ट कप्तान पद से अचानक इस्तीफा देने के लिए तैयार नहीं था, क्योंकि उन्होंने सफेद गेंद की कप्तानी से अपने मन से इस्तीफा दिया था. कोहली के कप्तानी छोड़ने के कुछ दिनों बाद, गांगुली ने कहा था कि बीसीसीआई ने उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था लेकिन कोहली ने इस बात से इंकार कर दिया था. बता दें कोहली ने यह बयान दिया था कि उनसे कप्तानी को लेकर किसी ने बात नहीं की थी. गांगुली ने कोहली
श्रेयस अय्यर को टीम में चयन न करने पर चयनकर्ताओं पर भड़के सौरव गांगुली
इंग्लैंड दौरे पर जब श्रेयस अय्यर को टीम में जगह नहीं दी गई थी तो गांगुली ने भारतीय चयनकर्ताओं पर फटकार लगाई थी. गांगुली ने रेवस्पोर्ट्ज़ को दिए एक विशेष इंटरव्यू में कहा, "श्रेयस अय्यर पिछले एक साल से अपना सर्वश्रेष्ठ खेल रहे हैं और उन्हें इस टीम में होना चाहिए. उनका टीम में जगह न मिलना चौंकाने वाला है. गांगुली ने कहा था, "पिछला एक साल उनके लिए शानदार रहा था, वह ऐसा खिलाड़ी नहीं है जिसे टीम से बाहर रखना चाहिए. वह अब दबाव में रन बना रहे हैं, ज़िम्मेदारी ले रहे हैं और शॉर्ट बॉल को अच्छी तरह खेल रहे हैं. मैं उन्हें इस सीरीज़ में ज़रूर शामिल करता ताकि देख पाता कि वह क्या कर सकते हैं."
मोहम्मद शमी की अनदेखी पर अजीत अगरकर पर भड़के सौरव गांगुली
पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली चाहते हैं कि मोहम्मद शमी सभी प्रारूपों में भारतीय टीम में वापसी करें क्योंकि उनका मानना है कि यह कुशल तेज गेंदबाज ‘फिट है और बेहतरीन गेंदबाजी कर रहा है. लेकिन अजीत अगरकर की अगुवाई वाली चयन समिति ने इस 35 वर्षीय तेज गेंदबाज को नजरअंदाज कर दिया है जिसको लेकर गांगुली ने अपनी असहमति जताई थी. गांगुली ने सीधे तौर पर कहा था कि, शमी को टीम में मौका नहीं मिल रहा है, इसका मुझे कोई कारण नजर नहीं आ रहा है. गांगुली ने कहा था. "मुझे यकीन है कि चयनकर्ता देख रहे हैं और मोहम्मद शमी तथा चयनकर्ताओं के बीच बातचीत चल रही है. लेकिन अगर आप मुझसे पूछें तो फिटनेस और कौशल के मामले में यह वही मोहम्मद शमी हैं जिन्हें हम जानते हैं. ''उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि वह भारत के लिए टेस्ट मैच, एकदिवसीय क्रिकेट और टी20 क्रिकेट क्यों नहीं खेल सकते क्योंकि यह हुनर बहुत बड़ा है. ''
धोनी की धीमी बल्लेबाजी पर भी गांगुली का फूटा था गुस्सा
2019 में धोनी की बल्लेबाजी को लेकर भी सौरव गांगुली ने अपनी निराशा जाहिर की थी. इंग्लैंड के खिलाफ मैच के दौरान कमेंट्री कर रहे पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने धोनी की बल्लेबाज़ी के तरीके पर सवाल उठाए थे, गांगुली ने कहा, "मेरे पास इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं है... मैं इन सिंगल्स को समझ नहीं सकता. "यह मानसिकता और खेल को देखने के आपके नज़रिए का मामला है. संदेश साफ़ होना चाहिए, गेंद चाहे कहीं भी आए और चाहे कहीं भी गिरे, आपको बाउंड्री लगानी होगी."
दरअसल, 2019 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ हार के दौरान धोनी धीमी पारी के लिए गांगुली की आलोचनाओं का शिकार हुए थे. इंग्लैंड की ओर से दिए गए 338 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए, भारत 50 ओवरों में 306/5 रन ही बना सका, जिसमें धोनी 42 (31 गेंद) और केदार जाधव 12 (13 गेंद) रन बनाकर नाबाद रहे थे. , दोनों ने अंतिम ओवरों में भी आक्रामक रुख नहीं दिखाया, जिससे भारत को हार का सामना करना पड़ा था.
भारत को आखिरी 5 ओवरों में 71 रनों की ज़रूरत थी, सभी की निगाहें धोनी पर थी लेकिन माही टीम को जीत नहीं दिला सके थे. वे टीम के लिए जीत हासिल नहीं कर सके. धोनी ने अपनी पारी में चार चौके लगाए और फिर आखिरी से पहले वाले ओवर में भारत के लिए एकमात्र छक्का जड़ा, लेकिन जब रन रेट 15 रन तक पहुंच गया, तो धोनी बड़े शॉट खेलने के बजाय सिंगल और डबल रन लेने का विकल्प चुन रहे थे, जिससे भारत को 31 रन से हार का सामना करना पड़ा था.














