- शेफाली वर्मा को वर्ल्ड कप फाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच का खिताब दिया गया.
 - 21 वर्ष 279 दिन की उम्र में शेफाली वनडे विश्व कप के फाइनल में सबसे कम उम्र की प्लेयर ऑफ द मैच बनीं.
 - उन्होंने 49 गेंदों में फाइनल में दूसरी सबसे तेज़ फिफ्टी बनाई और टीम को बेहतर शुरुआत दिलाई.
 
Shafali Verma World Record: वर्ल्ड कप फाइनल से ठीक पहले बीसीसीआई ने एक वीडियो रिलीज़ किया और इसमें कप्तान हरमनप्रीत कौर समेत सभी सपोर्ट स्टाफ़ से फाइनल वर्ड या आख़िरी शब्द पूछा. कप्तान हरमनप्रीत ने बड़ा ही सटीक और दृढ़ जवाब दिया- डेस्टिनी या नियति. 21 साल शेफाली वर्मा ने वर्ल्ड कप शुरू होने और उसके बाद टीम में अपना नाम नहीं होने पर कभी नहीं सोचा होगा कि वो वर्ल्ड कप फ़ाइनल में भारत के लिए ओपनिंग करती नज़र आएंगी. मगर शेफाली वर्मा ने ना सिर्फ़ ओपनिंग की, भारत के लिए पारी में सबसे ज़्यादा 87 रन बनाए. शेफाली ने फिर गेंदबाजी में भी कमाल दिखाया और इतिहास रच दिया. शेफाली को उनके प्रदर्शन के लिए फाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया. 21 साल 279 दिन की उम्र में, शेफाली वर्मा वनडे विश्व कप - पुरुष या महिला - के सेमीफाइनल या फाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार जीतने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बन गई हैं.
फ़ाइनल में टीम को दी हवाई शुरुआत
शेफाली को टीम की ओर से एक टास्क मिला था- टीम को फ्लाइंग स्टार्ट या हवाई शुरुआत देने का. शेफाली ने अपना तेवर धीमा नहीं पड़ने दिया. शुरुआत से ही द.अफ़्रीकी गेंदबाज़ों के लिए आफ़त बनी रहीं. 78 गेंदों पर अपने करियर का बेहतरीन स्कोर बनाया, 7 चौकों और 2 छक्कों के सहारे. वेटरन और टूर्नामेंट की भारत की सबसे कामयाब बैटर स्मृति मंधाना के आगे भी शेफाली की चमक कभी फीकी नहीं पड़ी.
फाइनल में रिकॉर्ड तोड़ पारी
वर्ल्ड कप फाइनल में पुरुष और महिला दोनों वनडे में फिफ्टी बनाने वाली वो दुनिया की सबसे छोटी उम्र की क्रिकेटर बन गई हैं. शेफाली ने 49 गेंदों में वर्ल्ड कप फ़ाइनल में दूसरी सबसे तेज़ फिफ्टी अपने नाम कर ली है. सबसे तेज़ हाफ़ सेंचुरी का रिकॉर्ड बेथ ऑस्ट्रेलिया की बेथ मूनी के नाम है जिन्होंने 38 गेंदों पर इंग्लैंडके ख़िलाफ़ 2022 में अर्द्धशतकीय पारी खेली थी.
सोशल मीडिया पर तो उनकी तारीफों के पुल बंध गये. बीसीसीआई ने ट्वीट कर उनकी पारी की ख़ासियत बताई और उनकी तारीफ़ भी की. 
 
कॉमेन्टेटर हर्षा भोगले ने 'X' पर ट्वीट किया,"बेहतरीन शेफालि वर्मा. अनमोल योगदान. कमबैक करते हुए सबसे बड़े प्लेटफॉर्म और मौक़े पर प्रदर्शन करना आसान नहीं होता. लेकिन जब वो डग आउट में बठेंगी तो ज़रूर सोचेंगी कि गेम उनके कंट्रोल में था और वो 130-140 बना सकती थीं."
 
फेल होने के बाद पिता की सीख काम आई
टूर्नामेंट के सेमीफ़ाइनल में शेफाली ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ सिर्फ़ 10 रन बनाकर आउट हो गईं. उनके पास कामयाब होने के सिर्फ़ 2 मौक़े थे. बेहद दबाव वाला गेम सेमीफ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ और फिर फाइनल में द.अफ़्रीका के ख़िलाफ़. लेकिन शेफाली जिस अंदाज़ में बैटिंग करती रहीं, कभी लगा ही नहीं कि दबाव जैसे किसी शब्द से उन्हें कोई वास्ता भी पड़ा हो.
सेमीफ़ाइनल से पहले प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर उन्होंने कहा था कि उन्हें मौक़ा मिला तो वो अपना सबकुछ झोंकेंगी और अपना 100 फीसदी से अधिक देंगी. इसमें कोई शक नहीं कि शेफालि ने भारत के सबसे अहम मैच में अपना 100% देकर अपनी अहमियत साबित कर दी.
शेफालि के पिता संजीव वर्मा ने रोहतक, हरियाणा से अपनी बेटी की अकादमी से ही बेटी शेफाली और टीम को शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा,"मेरी बेटी सेमीफ़ाइनल में जल्दी आउट हो गई थी तो वो मायूस हो गई थी. मैंने उससे कहा कि LBW आउट हो रही है तो थोड़ा गेम बदलेगी तो उससे रन आ जाएंगे. हम तो चाहते हैं कि ओपनिंग जोड़ी विनिंग स्कोर तक लेकर जाए. बाक़ी जो परमात्मा की इच्छा होगी. सबसे बड़ा टारगेट ये है कि टीम इंडिया जीत जाए बस."
प्रतिका के चोटिल होने बनी 'डेस्टिनी'
कमाल की बात ये है कि दिल्ली की ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ वर्ल्ड कप में शतक लगाने वाली प्रतिका रावल के चोटिल होने के बाद ही शेफाली को टीम में और फिर प्लेइंग XI में जगह मिल पाई. हरमनप्रीत ने फ़ाइनल के लिए फ़ाइनल शब्द-'डेस्टिनी' कहा और खिलाड़ी के तौर पर इसे शेफाली से ज़्यादा इसे किसकी 'डेस्टिनी' माना जा सकता है.
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