"सहवाग की इसको लेकर कोई...", BCCI अधिकारी ने बताया कि क्यों चीफ सेलेक्टर बनने में वीरू की रुचि नहीं

उत्तर क्षेत्र में गौतम गंभीर, युवराज सिंह और हरभजन सिंह जैसे और भी बडे़ नाम हैं, जिनके नाम पर विचार किया जा सकता है, लेकिन संन्यास लेने के कम से कम पांच साल बाद का नियम इन खिलाड़ियों के खिलाफ जा रहा है. 

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भारतीय पूर्व बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग
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BCCI सहवाग को बनाना चाहता है चीफ सेलेक्टर
भज्जी और गौतम की राह में मु्श्किल
किसके खाते में जाएगा अब यह पद?
नई दिल्ली:

कुछ महीने पहले स्टिंग ऑपरेशन में फंसने पर बीसीसीआई (BCCI) द्वारा पूर्व अध्यक्ष चेतन शर्मा को चीफ सेलेक्टर पद से हटाए जाने के बाद फिलहाल इस पद की अस्थायी रूप से जिम्मेदारी शिवसुंदर दास निभा रहे हैं. और एस. शरथ, सुब्रतो बनर्जी और सलिल अंकोला उन्हें सहयोग कर रहे हैं. एक समय ऐसा भी था, जब दिग्गज दलीप वेंगसरकर (2006-08) चीफ सेलेक्टर थे. कृष्णाचारी श्रीकांत (2008-12) भी यह जिम्मेदारी निभा  चुके हैं, लेकिन अब कम वेतन के कारण बड़े नाम यह जिम्मेदारी निभाने से दूर भाग रहे हैं. हाल ही में बीसीसीआई ने कई दिग्गजों से बात की, लेकिन पैसे के कारण यह बात नहीं बन सकी. फिलहाल बीसीसीआई चीफ सेलेक्टर को  सालाना एक करोड़ जबकि चार सदस्यों को सालाना 90 लाख रुपये का भुगतान कर रहा है, लेकिन दिग्गज क्रिकेटरों को यह रकम बहुत ही कम लग रही है. वजह है कि वह कमेंटरी कर रहे हैं, विज्ञापन भी कर रहे हैं. ऐसे में इन दिग्गजों के लिए मोटी कमायी छोड़कर चीफ सेलेक्टर बनना मुनाफे का सौदा नहीं लग रहा. वास्तव में वीरू तो क्या कोई भी व्यक्ति नहीं ही आना चाहेगा. यही वजह है कि बीसीसीआई के दिग्गजों को चीफ सेलेक्टर पद पर बैठाने के प्रयास विफल हो रहे हैं, 


बीसीसीआई अधिकारी ने कहा कि एक समय सहवाग से हेड कोच पद के लिए आवेदन भेजने को कहा गया था, लेकिन फिर यह पद अनिल कुंबले के पास चला गया. इस बात की संभावना नहीं है कि वह खुद-ब-खुद किसी पद के लिए आवेदन भेजेंगे. साथ ही, सहवाग जैसे कद के खिलाड़ी के लिए मोटा वेतन पैकेज भी आड़े आ रहा है. उन्होंने कहा कि लेकिन अगर हम कद की बात करें, तो उत्तर क्षेत्र से वीरू ही ऐसे खिलाड़ी हैं, जो चयन समिति में जगह बना सकते हैं.  

हालांकि, उत्तर क्षेत्र में गौतम गंभीर, युवराज सिंह और हरभजन सिंह जैसे और भी बडे़ नाम हैं, जिनके नाम पर विचार किया जा सकता है, लेकिन संन्यास लेने के कम से कम पांच साल बाद का नियम इन खिलाड़ियों के खिलाफ जा रहा है. 

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बोर्ड सूत्र ने कहा कि ऐसा नहीं है कि बीसीसीआई चीफ सेलेक्टर को 4-5 करोड़ रुपये नहीं दे सकता. वास्तव में यह बहुत सारे हितों के टकराव के मुद्दों को खत्म कर सकता है, जिसके कारण दिग्गज क्रिकेटर चीफ सेलेक्टर बनने के बारे में सोच भी नहीं रहे हैं. वैसे एक रिपोर्ट यह भी है कि सेलेक्टरों में जब तक कोई खास बात नहीं होती, तब तक उन्हें टेबल में विराट कोहली और राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गजों से निपनटे में मुश्किल होती है. 

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उन्होंने कहा कि जब वेंगसरकर चेयरमैन थे, तो उन्हें विराट और बद्रीनाथ दोनों में से किसी एक को लेकर राय बनानी थी. उन्होंने भारत ए के कुछ मैच ऑस्ट्रेलिया में थे और फिर तय कर लिया कि किसे बैक करना है. बाकी सब इतिहास है, जो आपके सामने है. वह एक ऐसे शख्स थे, जो ग्रेग चैपल के सामने अपना स्टैंड ले सकते थे. 

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