पृथ्वी शॉ ने पिछले दो सालों में बहुत कुछ देखा है. एक समय भारतीय क्रिकेट में अगला सुपरस्टार माने जाने इस बल्लेबाज को आईपीएल 2025 के लिए हुई खिलाड़ियों की नीलामी में किसी भी फ्रेंचाइजी ने खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखाई. फिटनेस और अनुशासनात्मक मुद्दों के कारण उन्हें घरेलू क्रिकेट में मुंबई की टीम से भी ड्रॉप किया गया. पृथ्वी शॉ को टीम से अपनी जगह बनानी पड़ी है वह स्वीकार करते हैं कि उन्हें आगे काफी संघर्ष करना है. हाल ही में, पृथ्वी शॉ ने मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन को पत्र लिखकर आगामी घरेलू सीज़न से पहले ट्रांसफर की मांग की थी. भारत के लिए पांच टेस्ट और छह वनडे खेल चुके 25 वर्षीय बल्लेबाज ने अब संघर्ष को लेकर बात की है.
पृथ्वी शॉ ने खुलासा किया कि संघर्ष के दौर में किसी भी 'बड़े क्रिकेटर' ने उन्हें फोन नहीं किया. शॉ ने न्यूज 24 को दिए इंटरव्यू में कहा कि उनसे किसी बड़े क्रिकेटर ने संपर्क नहीं किया. हालांकि, इस दौरान उन्होंने कहा कि उनको ऋषभ पंत का फोन आया था और वो बीच-बीच में आता रहता है. पृथ्वी शॉ ने कहा,"ऋषभ का आया था. ऋषभ का बीच-बीच में आता है. उसे जब लगता है कुछ तब. फिर सचिन सर का भी."
वहीं पृथ्वी शॉ ने सचिन को अपने पिता के बाद सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम बताते हुए कहा,"सचिन सर को मेरी जर्नी पता है. अर्जुन और मैं 8-9 साल की उम्र से खेले हैं बड़े हुए हैं और सर भी रहते थे उस टाइम साथ में. तो उन्होंने भी देखा है. थोड़े समय पहले पहले भी बात हुई थी."
शॉ ने आगे कहा,"बोलते हैं ना एक विश्वास चाहिए होता है, जहां पर चीजें खराब हुई हो, या फिर थोड़ा सा कहीं बैलेंस गिर गया हो अगर वो वापस ट्रैक पे लाना है. तो ऐसे समय एक मेंटोर की जरूरत होती है तो स्पार्क करे अंदर से." पृथ्वी शॉ ने इस दौरान बताया कि सचिन ने उन्हें कहा कि आज भी क्रिकेट के भगवान को उन पर विश्वास है.
25 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा कि उन्होंने कुछ गलत फैसले लिए हैं. शॉ ने बताया,"बहुत सी चीजें हैं. लोगों के लिए यह देखना अलग है. क्योंकि मुझे पता है कि क्या हुआ है. मैं इसे समझ सकता हूं. मैंने जीवन में बहुत सारे गलत फैसले लिए हैं. मैंने क्रिकेट को कम समय देना शुरू कर दिया. मैं बहुत अभ्यास करता था. उदाहरण के लिए, मैं नेट्स में 3-4 घंटे बल्लेबाजी करता था. मैं बल्लेबाजी से कभी नहीं थकता था. मैं आधे दिन के लिए मैदान पर जाता था. मैं स्वीकार करता हूं कि ध्यान भटका था."
बता दें, शॉ ने 2018 में एक किशोर के रूप में डेब्यू पर शतक के साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में तूफान ला दिया था. हालांकि, तब से वह अपने शुरुआती वादे को पूरा करने में विफल रहे हैं. मुंबई क्रिकेट हलकों में, उनकी तुलना अक्सर विनोद कांबली से की जाती है - एक और प्रतिभाशाली खिलाड़ी जिसका करियर अनुशासनहीनता के कारण पटरी से उतर गया था. शॉ ने मुंबई के लिए 32 प्रथम श्रेणी मैच खेले, जिसमें 49.03 की औसत से 2,648 रन बनाए, जिसमें सात शतक और दस अर्धशतक शामिल हैं. उन्होंने राज्य की ओर से 29 लिस्ट ए गेम्स में भी हिस्सा लिया है.
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