भारत की स्टार महिला तेज़ गेंदबाज़ झूलन गोस्वामी (Jhulan Goswami) ने महिला खिलाड़ियों को पीरियड्स के दौरान होने वाली असहजता को लेकर बात करते हुए कहा है कि खेल के दौरान है हर कोई ताज़गी चाहता है, रिलैक्स होकर खेलना चाहता है. लेकिन महिला खिलाड़ियों को अमूमन खेल के दौरान पीरियड्स के चलते उस दर्द, और चिड़चिड़ेपन से होकर गुजरना पड़ता है. 6 घंटे मैदान में बिताना, एक तरफ बेहतर खेल का प्रदर्शन करने का ज़िम्मा और दूसरी तरफ अगर पीरियड्स हुए हैं हम ये भी नहीं कह सकती हैं कि रेस्ट चाहिए, हमें मैदान में पूरे फोकस और एनर्जी के साथ खेलना होता है. लोग महिला एथलीट्स के दर्द को नहीं समझते हैं, कहते हैं कि "इसको क्या हो गया यार"? हालांकि वे इसके पीछे की कहानी को नहीं जानते हैं. दिग्गज महिला खिलाड़ी झूलन गोस्वामी अगले महीने इंग्लैंड के खिलाफ़ सीरीज में अपना आखिरी मैच खेलने वाली हैं. गोस्वामी जो कि दुनियां की सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज़ हैं ने ये बातें पूर्व क्रिकेटर डबल्यू वी रमणा (WV Ramna) के टॉक शो “Wednesday With WV” के दौरान कही.
कोई विकल्प नहीं होता
झूलन गोस्वामी ने इस टॉक शो के दौरान कहा, कि महिला एथलीट्स के सामने इस दौरान काफी चुनौतियां होती है. आपके पास ऐसा कोई विकल्प नहीं है कि आप बैठ जाएं या रूम में जाकर रेस्ट कर लें. पीरियड्स का दर्द तो है ही दूसरा महिला खिलाड़ी इस बात को किसी के साथ शेयर करने से भी कतराती हैं, मैं अभी इस मुद्दे पर खुलकर बात कर रही हूं लेकिन बहुत सी बार स्थिति ऐसी भी होती थी, जब मैं अपने कोच से इस बारे में बात नहीं कर पाई.
होनी चाहिए रिसर्च
महिला खिलाड़ी मैदान पर खेल में बेहतरीन करने के लिए प्रयास करती हैं, लेकिन हम इस बात से किनारा नहीं कर सकते कि ये चैलेंजिंग होता है. मुझे लगता है लोगों को इस पर रिसर्च करनी चाहिए कि पीरियड्स से महिला एथलीट कैसे बेहतर तरीके से डील कर सकती हैं. क्योंकि आज साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है, तो इस पर भी काम किया जाना चाहिए. खेलों के दौरान पीरियड्स की समस्या से आज विश्व भर की महिला एथलीट डील कर रही हैं. इसीलिए वे स्पेशल हैं और महान हैं.
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