मिताली राज ने कहा- मुझे देखकर लड़कियों ने सड़कों पर क्रिकेट खेलना शुरू किया

मिताली राज ने क्रिकेट में उनके योगदान के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा है, 'मुझसे लोग मेरी विरासत के बारे में पूछते हैं लेकिन मेरे पास कोई अच्छा जवाब नहीं है. शायद लड़कियों के...

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पूर्व भारतीय महिला कप्तान मिताली राज
नई दिल्ली:

भारत की ‘पूर्व कप्तान' कहलाये जाने को आत्मसात करने में उन्हें अभी समय लगेगा लेकिन पिछले सप्ताह अपने 23 वर्ष के सुनहरे कैरियर को अलविदा कहने वाली मिताली राज को तसल्ली है कि देश में लड़कियों के क्रिकेट खेलने को सामान्य बात बनाने में उनका भी योगदान रहा. मिताली को 2022 विश्व कप के बाद ही पता चल गया था कि उनके क्रिकेट को अलविदा कहने का समय आ गया है लेकिन कभी बड़े फैसले हड़बड़ी में नहीं लेने वाली मिताली ने कुछ समय इंतजार किया. पीटीआई से खास बातचीत में उन्होंने अपने कैरियर, बीसीसीआई से पहले और बाद के दौर में खेलने के अनुभव, पिछले पांच साल में टीम के लगातार अच्छा नहीं खेल पाने और विश्व कप 2022 के दौरान ड्रेसिंग रूम में मतभेदों पर खुलकर बात की. 

संन्यास की घोषणा पर उन्होंने कहा,‘‘पहली बार मेरे दिमाग में संन्यास की बात आई जब राहुल द्रविड़ ने (2012) क्रिकेट को अलविदा कहा था. मैने प्रेस कांफ्रेंस देखी जो काफी जज्बाती थी और मुझे लगा कि मैं संन्यास लूंगी तो कैसा लगेगा. '' उन्होंने कहा,‘‘मुझे लगता था कि इतना भावुक पल नहीं होगा. मुझे यह तो पता था कि विश्व कप मेरा आखिरी होगा लेकिन मैं जज्बात के उतार चढाव के बीच फैसले नहीं लेती. फिर घरेलू क्रिकेट खेलते समय लगा कि अब पहले जैसा जुनून नहीं रह गया है और मैने तय किया कि अब विदा लेनी है.'' क्रिकेट में उनके योगदान के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा,‘‘मुझसे लोग मेरी विरासत के बारे में पूछते हैं लेकिन मेरे पास कोई अच्छा जवाब नहीं है. शायद लड़कियों के सड़कों पर क्रिकेट खेलने और अकादमियों में दाखिला लेने को आम बनाने में मेरी भूमिका रही. जब मैने खेलना शुरू किया तब यह आम बात नहीं थी.''

आरक्षित टिकट के बिना सफर करने से बिजनेस क्लास में हवाई यात्रा तक के सफर को उन्होंने देखा है. बीसीसीआई से पहले और बाद के महिला क्रिकेट के बारे में पूछने पर मिताली ने कहा,‘‘दोनों का अपना आकर्षण है. पहले भी मुझे बहुत मजा आता था. उस समय सुविधायें नहीं थी लेकिन दूसरे पहलू थे जिनका हमें बहुत मजा आता था. मसलन हम डोरमेट्री में रहते थे या स्कूल में खेल रहे होते तो गर्मियों की छुट्टियों में स्कूल के कमरों में ठहरते.'' उन्होंने कहा,‘‘बीसीसीआई की छत्रछाया में आने के बाद महिला क्रिकेट में पेशेवरपन आया. स्थिरता, सुरक्षा और प्रगति आई. अब खेल होते ही सब पांच सितारा होटलों के कमरों में चले जाते हैं. अधिकांश लड़कियां फोन पर होती हैं. मैं यह नहीं कर रही कि यह गलत है लेकिन समय बदल गया है.''

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विश्व कप के दौरान टीम में मतभेदों की खबरों पर उन्होंने कहा,‘‘टीम खेल में मतभेद और असहमतियां होती है और यह स्वाभाविक है. सभी अच्छा खेलना चाहते हैं लेकिन सभी की राय अलग होती है. बतौर कप्तान मेरा काम अपना आपा खोये बिना टीम को लेकर नजरिया स्पष्ट रखना है.''

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