Karun Nair : आ रहा हूं पलट के ,..करुण नायर की टेस्ट टीम में कैसे हुई वापसी? किस शख्स के कारण मिला क्रिकेट में 'दूसरा' मौका !

Karun Nair returns to India Test team after eight years: 10 दिसंबर 2022 को अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा था, ‘‘प्रिय क्रिकेट मुझे एक और मौका दो. '' आखिरकार वह दिन आया और क्रिकेट ने उन्हें एक और मौका दिया.

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Karun Nair: इंग्लैंड से इंग्लैंड तक, 7 साल में बदली कहानी

Karun Nair: करुण नायर, जो कभी टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक लगाने के लिए जाने जाते थे, 2022 में कर्नाटक टीम से बाहर होने के बाद बहुत मुश्किल दौर से गुज़रे. अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित थे. उन्होंने 10 दिसंबर 2022 को अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा था, ‘‘प्रिय क्रिकेट मुझे एक और मौका दो. '' आखिरकार वह दिन आया और क्रिकेट ने उन्हें एक और मौका दिया. दरअसल, जब करुण नायर अपने भविष्य को लेकर परेशान थे तो उस समय उनकी मदद उनके अंडर 19 के कोच रहे विजयकुमार मद्यालकर  ने की. अपने खराब समय में करुण ने अपने पूर्व कोच विजयकुमार मद्यालकर की ओर रुख किया, जो उन्हें फिर से खड़ा करने में मदद करने के लिए सहमत हुए. छह महीने तक, नायर ने अपने कौशल और फिटनेस को निखारने के लिए बेंगलुरु में जस्ट क्रिकेट अकादमी में हर दो दिन में 600 गेंदों का सामना किया.

इंडिययन एक्सप्रेस से बात करते हुए विजयकुमार ने करुण नायर के संघर्ष और मेहनत को लेकर बात की. विजयकुमार मद्यालकर ने कहा, "वह अंदर से टूट चुका था.. मैं इस बात पर चर्चा नहीं करना चाहता था कि वह कर्नाटक टीम में क्यों नहीं आ पाया. मैंने उससे बस इतना कहा कि चिंता मत करो, और हम केवल उसके अंदर के बल्लेबाज को देखेंगे और जितना संभव हो सके उसके कौशल को निखारेंगे.छह महीने.. हर दूसरे दिन, वह हमारी अकादमी में साइड-आर्म थ्रोअर और अन्य गेंदबाजों का सामना करते हुए, ठीक 600 गेंदें खेलने आता था. भारत में घरेलू अवसरों के बिना, नायर इंग्लैंड चले गए और नॉर्थम्पटनशायर के लिए खेले, जहां 150 रनों की बड़ी पारी ने उनका आत्मविश्वास फिर से जगा दिया."

विजयकुमार मद्यालकर ने आगे कहा, "वह अपने खेल को परखना चाहता था, लेकिन हम उसे यहां खेलने का मौका नहीं दे पाए. जब ​​सीज़न चल रहा था, तो भारत में कोई अवसर नहीं था, और इसलिए उसने काउंटी में खेलना शुरू कर दिया, फिर वह एक अतिथि खिलाड़ी के रूप में विदर्भ में शामिल हो गया और उनका वहां शानदार रणजी ट्रॉफी सीज़न  रहा, जहां उसने 883 रन बनाए और टीम को खिताब जीतने में मदद की". 

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इसके अलावा, करुण नायर की कप्तानी की क्षमता तब सामने आई, जब उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी में विदर्भ की कप्तानी की और 5 शतक बनाए, जिसमें 4 शतक लगातार उसने बनाए थे. उनसे अपनी फिटनेस पर भी काम किया.   फिटनेस में बदलाव,  मानसिक दृढ़ता ने आखिरकार चयनकर्ताओं का दिल जीत लिया और अब वो इंग्लैंड दौरे पर जाने वाले हैं.

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