गुरुवार की रात जब 7 बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया का किला ध्वस्त करने के बाद जेमिमा रोड्रिग्स मैदान से बाहर आईं तो अपने आंसुओं को रोक नहीं सकीं. उनसे मिलने वाली हर खिलाड़ी और टीम मेंबर्स के आंसू इस जीत की अहमियत बता रहे थे. जेमिमा अपनी साथी खिलाड़ियों के साथ रोईं. परिवार से मिलकर रोईं और फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी अपने आंसू नहीं छिपा सकीं. नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में बैठे 34651 (34 हज़ार 651) दर्शकों के लिए लम्हे यकीन से परे अनूठा अहसास साबित हुए.
नैटवेस्ट और ‘चक दे' फिल्म जैसी जीत
नैटवेस्ट सीरीज़ की 2002 में टीम इंडिया को मिली जीत हो या 'चक दे' फिल्म में शाहरुख़ ख़ान की टीम की जीत. ये जीत उन सबसे कहीं बढ़कर साबित हुई. मैदान पर लिखी गई महिला टीम की इस जीत के लिए टीम इंडिया के पास रिटेक के कोई मौक़े नहीं थे. 18 साल पहले मायानगरी में बनी फिल्म 'चक दे' के गाने हर बड़े टूर्नामेंट में मैदान पर सुनने को ज़रूर मिल जाते हैं. लेकिन नवी मुंबई के मैदान पर लिखी गई असली 'चक दे' की कहानी ने जेमाइमा और हरमनप्रीत समेत महिला क्रिकेट टीम का रुतबा ही बढ़ा दिया है.
‘मैं टूर्नामेंट में हर दिन रोई..'
339 के लक्ष्य के बाद शायद ही किसी ने मन में भी इस टीम को जीत का कोई चांस दिया होगा. ख़ासकर, तब जब इसी टूर्नामेंट में ये टीम लीग में जीत के कई मैच बेहद नज़दीक आकर गंवा चुकी थी. 25 साल की मुंबई की बेमिसाल ऑलराउंडर जेमिमा बताती हैं कि कई बार टूटकर, बिखरकर और फिर खुद को संवारकर वो टीम की जीत के लिए अपना सपना बार-बार अलग से बुनती रहीं.
जेमिमा ने मैच के बाद बताया कि कैसे वो इस टूर्नामेंट में हर दिन रोती रही हैं. वो ये भी बताती हैं कि टीम ने उन्हें नंबर 3 पर भेजने का भरोसा जताया और उन्होंने खुद को इसका सही हक़दार भी साबित किया. वो कहती हैं,"जो कुछ हुआ वो जैसे इसके लिए ही तय किया किया गया था. मैं इस दौरे पर हर दिन रोती रही. मैं मानसिक तौर पर बहुत परेशान थी. लेकिन मैं शुक्रगुज़ार हूं कि टीम में मेरी साथी खिलाड़ी मुझे संभालती रहीं."
‘5 मिनट पहले पता चला नंबर 3 पर जाना है'
जेमिमा ये भी बताती हैं कि कैसे उन्हें नंबर 3 पर अचानक ही आने को कहा गया और वो जैसे इसी मौक़े के इंतज़ार में थीं. वो कहती हैं,"मुझे नहीं पता था कि मैं नंबर 3 पर आऊंगी. मैं नहा रही थी और मैंने कहा था कि मुझे बस बता देना. मुझे 5 मिनट पहले कहा गया कि मैं नंबर 3 पर जा रही हूं. मैं बार-बार खुद से पूछ रही थी कि क्या मैं 50 या 100 बनाकर खुश हो सकती हूं. और मैं खुद से ही कहती मुझे टीम इंडिया की जीत देखनी है." 
 
कप्तान 'हैरी दी' के साथ रिकॉर्ड साझेदारी
339 के लक्ष्य का पीछा करते हुए दूसरे ही ओवर में जेमिमा तेज़ी से दोड़ती हुई मैदान पर आईं. टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन कर रहीं स्मृति मंधाना ने उनसे बात की और फिर दोनों खिलाड़ी धीरे-धीरे पांव जमाने लगीं. 10वें ओवर में सिर्फ 24 रन बनाकर स्मृति मंधाना ने अपने विकेट गंवाया तो लगा ये बाज़ी हाथ से निकल गई है.
कप्तान हरमनप्रीत ने ऐसा ही कारनामा ऑस्ट्रेलिया के ही ख़िलाफ़ 2017 में डार्बि में किया तो था, लेकिन इस टूर्नामेंट में वो फॉर्म में नहीं नज़र आईं थीं. हरमन और जेमिमा की जोड़ी ने 156 गेंदों पर रिकॉर्ड 167 रन जोड़े और टीम इंडिया जीत की दहलीज़ तक पहुंच गई. 
जेमिमा ने 57 गेंदों पर हरमनप्रीत ने 65 गेंदों पर अर्द्धशतक बना लिए. इसके बाद दोनों खिलाड़ियों ने कंगारू टीम पर दबाव बनाना शुरू कर दिया. स्टेडियम में बैठे 34000 से ज़्याद दर्शक टीम का 12वां खिलाड़ी बन गये. कंगारू कंधे पहली बार झुकते नज़र आए. कंगारू खिलाड़ी दबाव में कैच भी छोड़ते दिखे. हरमन आख़िरकार एनाबेल सदरलैंड की गेंद पर 88 गेंदों का सामना करते हुए 89 रन बनाकर लौटीं. कप्तान की ज़िम्मेदारी निभा दी.
कंगारू का बिगड़ा बॉडी लैंग्वेज
हरमन जब तक पिच पर रहीं कंगारू टीम की धड़कनें तेज़ करती रहीं. उनकी बॉडी लैंग्वेज बिगाड़ दी. वो कैच ड्रॉप करती भी नज़र आईं. दरअसल इंग्लैंड के डार्बि मैदान पर हरमन 8 साल पहले ऐसे ही वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में सिर्फ़ 115 गेंदों पर नाबाद 171 रनों की पारी खेलकर ऑस्ट्रेलिया को अपने दम पर सेमीफ़ाइनल से बाहर का रास्ता दिखा चुकी थीं. हरमन जबतक पिच पर रहीं कंगारू टीम उस मंजर को याद कर हरमन के खौफ़ में रही.
बाइबिल की पंक्तियां पढ़कर जादू करती रहीं जेमिमा
हर गेंद का सामना करने के पहले जेमिमा बाइबिल की पंक्तियां बुदबुदातीं और टीम को ऐतिहासिक मंज़िल की ओर ले जातीं. दुनिया 25 साल की 5 फीट 3 इंच की इस जादूगर को हवा से रन के बुलबुले बनाते और स्कोरबोर्ड को आगे बढ़ता देख रही थी.
जेमाइमा बताती हैं,"जब हैरी दीदी आईं तो हमने अच्छी पार्टनरशिप की ठान ली. आख़िर में दीप्ति हर गेंद पर मुझसे बात कर मुझे प्रेरित करती रहीं. इसका श्रेय मैं अकेले नहीं ले सकती. स्टेडियम में बैठे फ़ैन्स हमारे लिए शोर मचाते रहे, हौसला बढ़ाते रहे, दुआएं पढ़ते रहे और मुझमें ताक़त भरते रहे." 
गिटार बजाती, डांस करती टीम की जान हैं जेमिमा
2017 में जब टीम इंडिया फाइनल का मौक़ा गंवाकर आई थी तब जेमाइमा 16 साल की थीं और अपनी हीरो खिलाड़ियों के स्वागत के लिए मुंबई एयरपोर्ट पहुंची थी. लेकिन बेहद टैलेंटेड जेमिमा इस बार उससे भी बड़े सपने देखकर आई हैं.
जेमिमा क्रिकेट खेलती हैं. हॉकी की अच्छी खिलाड़ी रही हैं. शानदार गिटार बजाती हैं. सोशल मीडिया पर रील्स बनाकर छाई रहती हैं. इंस्टा पर उनके 1.8 मिलियन फ़ैन्स उनकी इस काबिलियत से अच्छी तरह से वाकिफ़ हैं. अगले दो दिन जेमिमा के पास अपनी टीम की कप्तान नहीं होते हुए भी सबको फाइनल से पहले टेंशन फ्री करने की ज़िम्मेदारी होगी. इस टीम की तकदीर बदलने वाली है. करोड़ों फ़ैन्स की दुआओं का दौर शुरू हो चुका है.
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