- ध्रुव जुरेल ने केवल छह टेस्ट मैचों में 47.50 के औसत से 380 रन बनाए हैं जो उनकी क्षमता का संकेत है
- इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट में ध्रुव ने 211 गेंदों पर 90 रन बनाकर धैर्य और तकनीक का परिचय दिया था
- ध्रुव ने दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के विदेशी दौरों में भी कठिन पिचों पर अपनी बल्लेबाजी कौशल साबित की है
विंडीज को शुरुआती टेस्ट के तीसरे दिन ही पारी और 140 रनों से रौंदने वाली टीम इंडिया इसी महीने की दस तारीख से शुरू हो रहे दूसरे टेस्ट में मेहमानों का क्या हाल करेगी, यह सहज ही समझा जा सकता है. वैसे इस दो टेस्ट मैचों की सीरीज (India vs West Indies) से टीम गिल और भारतीय क्रिकेट को जीत से ज्यादा और कई बातों को तलाश है. इनमें से एक बहुत ही अहम बात चेतेश्वर पुजारे के संन्यास के बाद एक ऐसा नंबर-3 बल्लेबाज है, जो टेस्ट क्रिकेट में इस नंबर की 'जरुरतों' को पूरा करता है और इसे बड़ी चुनौती पर परखा जा सकता है. और अभी पूरी तरह तो नहीं, लेकिन ध्रुव जुरेल (Dhruv Jurel) में ऐसी झलक जरूर मिली है, जो संकट के समय पिच पर लंगर भी डालना जानता है, जरूरी मांग पर बेहतर रन औसत भी निकाल सकता है, तो विदेशी मुश्किल पिचों पर भी ठीक घरेलू जैसा जज्बा दिखा सकता है.
कम टेस्ट में ही बहुत कुछ साबित कर दिया
ध्रुव जुरेल ने अभी तक सिर्फ 6 ही टेस्ट मैच खेले हैं. इन 6 टेस्ट में ध्रुव ने एक शतक और 47.50 के औसत से रन भले ही 380 रन बनाए हैं, लेकिन रनों का यह कम आंकड़ा उन बातों को दिखाने के लिए नाकाफी है, जिसकी कैटेगिरी स्कोरबुक में नहीं होती. उन गुणों का, जिनका आंकड़ों में किसी स्याही से जिक्र नहीं होता, लेकिन महसूस बहुत ही अच्छी तरह से किया जा सकता है. लेकिन इससे अलग ध्रुव की एक और खास कहानी है, जो उन्होंने भारत 'ए' के लिए खेलते हुए मुश्किल विदेशी पिचों पर लिखी है. अब ध्रुव की इन खास बातों को अच्छी तरह से समझिए.
1. दूसरे टेस्ट में ही धैर्य का स्तर दिखा दिया
यह रांची में पिछले साल फरवरी में इंग्लैंड के खिलाफ खेला गया ध्रुव के करियर का दूसरा ही टेस्ट था. इंग्लैंड के 355 रनों के जवाब में भारत का स्कोर पहली पारी में एक समय 7 विकेट पर 177 रन था. इससे पहले ही पिच पर लंगर डाल चुके ध्रुव ने ऐसे समय 211 गेंदों पर 6 चौकों और 4 छक्कों से जो 90 रन की पारी खेली, वह पिछले कई सालों में भारतीय क्रिकेट में एक अलग तरह की पारी थी. हालात के हिसाब से, बैटिंग ऑर्डर और दूसरे छोर पर गिरते रहे विकेटों के बीच दिखाए गए धैर्य के लिहाज से. और जब वह आखिरी बल्लेबाज के रूप में आउट हुए, तो भारत के स्कोर को 307 तक पहुंचा चुके थे. और भारत को मिली 5 विकेट से जीत में ध्रुव ने दूसरी पारी में नाबाद 39 रन का फिनिशिंग टच दिया, जो उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच बना गया.
'मुश्किल हालात' से ढालना आता है ध्रुव को
यह उत्तर प्रदेश के इस विकेटकीपर ने बखूबी दिखाया है. और मुश्किल हालात का एक पहलू विदेशी दौरे भी हैं और भारत ए के लिए खेलते हुए इस गुण को ध्रुव ने अच्छी तरह प्रदर्शित किया है. दक्षिण अफ्रीका दौरे में बेनोनी में उन्होंने 166 गेंदों पर 69 रन बनाए, तो भारत ए के ऑस्ट्रेलिया दौरे में जुरेल ने 186 गेंदों पर 80 रन की पारी खेली. जहां बाकी भारतीय बल्लेबाज मेरिलबोर्न क्रिकेट ग्राउंड की पिच पर संघर्ष करते रहे, तो ध्रुव ने 68 रन बनाए. दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के मुश्किल हालात में ध्रुव ने तकनीक और धैर्य का परिचय दिया. यह एक स्तर और ऊपर जाने वाली बात थी. यह मैसेज देने वाली बात थी कि धैर्य और जरूरी तकनीक उनके पास घर पर ही नहीं, बल्कि उन देशों में भी जहां की पिचों के सबसे मुश्किल माना जाता है. और उनका संदेश अजीत अगरकर एंड कंपनी तक अच्छी तरह पहुंच भी गया
नंबर 7 से नंबर 5 की यात्रा!
रांची में इंग्लैंड के खिलाफ नंबर सात से लेकर विंडीज के खिलाफ अहमदाबाद में पहले टेस्ट में नंबर पांच तक ध्रुव का धैर्य+आक्रमण+तकनीक का प्रदर्शन जारी है. जुरेल की खासियत यह भी है कि वह टेस्ट क्रिकेट में घंटे दर घंटे बदलते हालात के हिसाब से खेलना जानते हैं. पहले टेस्ट में 210 गेंदों पर 125 रनों में 15 चौके और 3 छ्क्के बताते हैं कि उनके विकेट में घुमाव भले ही हो, उनके जोन में गेंद मिलेगी, तो वह गेंद को हवा-हवाई बनाने में बिल्कुल भी नहीं चूकेंगे. और इस प्रदर्शन से उन्होंने नंबर-3 का दरवाजा खटखटा दिया है?
चुनौती बड़ी है, लेकिन उम्मीद भी है!
यह सही है कि पुजारा जैसे बल्लेबाज की विरासत बहुत बड़ी है. यह सही है कि विदेशी पिचों पर अभी ध्रुव जुरेल को बहुत ज्यादा साबित भी करना है. लेकिन उनका सीधे बल्ले से खेलना और दिखाया गया शानदार धैर्य और क्रीज पर टिके रहने की ऐसी जरूरत कि मानो यह जीवन-मरण का सवाल हो! वैसे प्रबंधन की पंत के रूप में पहली पसंद और जगह पक्की होना और बाकी कई विकेटकीपरों का लाइन में होने से ध्रुव के लिए हालात जीवन-मरण से कम भी नहीं थे, लेकिन अब ध्रुव ने विंडीज के खिलाफ पहले टेस्ट के प्रदर्शन से बाकी कीपरों में सेंधमारी तो कर ही दी है, तो वहीं अब सवाल रूपी गेंद को गंभीर एंड कंपनी के पाले में सरका दिया है कि क्या अब वह उन्हें नंबर-3 बल्लेबाज के रूप में देखेंगे? क्या प्रबंधन उन गुणों और टीम की जरूरत को देख पा रहा है, जहां से ध्रुव जुरेल को नंबर-3 पर अच्छी तरह से आजमाया जा सकता है? वैसे ध्रुव अगर आगे विदेशी पिचों पर खुद को इस नंबर के लिहाज से तैयार करेंगे, तो निश्चित रूप से उनके इसका अच्छा प्रतिफल मिलेगा. बेस्ट ऑफ ध्रुव! कीप इट अप!