Ind vs Nz 1st Test: "इस भारी बैग" के बूते निकला सरफराज का पहला टेस्ट शतक", पिता नौशाद ने कह दी बड़ी बात, युवाओं को बड़ी सीख

Sarfaraz Khan: सरफराज ने जो शतकीय पारी जिस अंदाज और मौके पर खेली, उसने उनके सिर पर मंडरा रहे बचे-खुचे चिंता रूपी बादलों को पूरी तरह से हटा दिया है

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यह तस्वीर आज भी करोड़ों फैंस की यादों में है, जब टेस्ट कैप मिलने पर सरफराज के पिता भावुक हो गए थे
नई दिल्ली:

Sarfaraz Khan's debut century: आखिरकार लंबे संघर्ष और बहुत ही "गहन अनुभव" के बाद सरफराज खान (Sarfaraz Khan's first Test century) पूरी तरह से उस जगह पहुंच गए, जहां से वह पिछले कई सालों से घरेलू क्रिकेट में रन बरसाकर कुछ महीने पहले इंग्लैंड के खिलाफ टीम इंडिया में पहुंचे तो थे, लेकिन ऐसा लगता था कि कुछ कसर बाकी रह गई थी. चिंता के बादल कुछ अर्द्धशतक जड़ने के बाद अभी भी मंडरा रहे थे. सवाल इलेवन में जगह मिलने को लेकर हो रहे थे, लेकिन अब यह दूरी पूरी तरह पट चुकी है, तमाम सवाल खत्म हो चुके हैं. यह सही है कि इंग्लैंड के खिलाफ कुछ बेहतरीन पारियां सरफराज के बल्ले से निकली थीं, लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज शुरू होने से पहले ही मीडिया में बड़ा सवाल लगातार बना हुआ था कि सरफराज  न्यूजीलैंड के खिलाफ (Ind vs Nz 1st Test) में पहले टेस्ट में इलेवन का हिस्सा होंगे या या नहीं? इलेवन में जगह  मिली, लेकिन सवाल तब भी बराबर बना हुआ था, जब सरफराज पहली पारी में बिना खाता खोलेआउट हो गए थे. लेकिन चौथे दिन भारत की दूसरी पारी में शनिवार को सरफराज (Sarfaraz Khan's brilliant century) ने इस सवाल पर पूरी तरह और भर-भरकर मिट्टी डालते हुए सिर पर मंडरा रहे बचे-खुचे चिंता रूपी बादलों को भी हटा दिया. अब टीम इंडिया के लिए अगले कई टेस्ट मैचों की इलेवन में उनकी जगह को लेकर कौई सवाल नहीं है. शुक्रवार को सरफराज ने खेली 150 रन की बेहतरीन पारी से तमाम सवालों को खत्म कर दिया.

इस बात से सभी वाकिफ हैं कि सरफराज को इस मुकाम तक पहुंचाने, मुश्किल समय में उनका हौसला बनाए रखने में उनके पिता और कोच नौशाद खान का बहुत ही बड़ा योगदान रहा है. कुछ ऐसा ही छोटे बेटे मुशीर खान के बारे में कहा जा सकता है. पिता नौशाद खान का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें उनकी कही बातें ही सरफराज के बारे में बहुत कुछ कहने के लिए ही नहीं, बल्कि क्रिकेटरों सहित हर पेशे से उभरकर सामने आने वाले तमाम युवाओं के लिए एक बड़ी सीख है. उम युवाओं के लिए जो समय की एक स्टेज गुजरने के बाद हार मान लेते हैं.

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नौशाद ने वीडियो में सरफराज के घरेलू क्रिकेट में हासिल किए रनों के अंबार रूपी गहन अनुभव को याद करते हुए और तमाम पेशों से आने वाले युवाओं को बड़ी सीख देते हुए कहा, "जब कोई बच्चा शुरुआत करता है, तो उसके पास दो बैग होते हैं. एक किस्मत का बैग और एक अनुभव का बैग. किस्मत का बैग भरा हुआ होता है, तो एक्सीरियंस (अनुभव) का बैग खाली होता है. इससे पहले की लक का बैग खाली हो जाए, आपको अनुभव के बैग को भर देना चाहिए.वहीं आपके काम आएगा. जैसे ही आपको लगे कि एक तय उम्र हो गई है, तो आपको एक अलग स्तर पर अच्छा करना चाहिए. रुकना नहीं है. आपको फिर आगे निकलना है...."

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सरफराज ने जमकर भर लिया था अनुभव का बैग

पिता नौशाद के वीडियो में कहे गए ये शब्द सरफराज पर शत-प्रतिशत लागू होते हैं. जब सरफराज ने 27वें साल की उम्र में करियर के चौथे टेस्ट में 150 रन की पारी खेली, तो इस पारी ने साफ-साफ कहा ही नहीं, बल्कि यह तमाम आंकड़ों के जरिए दिखा भी दिया कि सरफराज ने इस प्रदर्शन से पहले गहन "अनुभव का बैग" पूरी तरह से ठसाठस भर लिया था. एक ऐसी पारी, जो देखने से कहीं से नहीं लगता कि यह सरफराज का सिर्फ चौथा ही टेस्ट मैच है. और अगर ऐसा है, तो इसके पीछे सरफराज के कंधों पर सवार घरेलू क्रिकेट में लगाए गए रनों के अंबार रूपी बहुत ही ज्यादा भारी-भरकम बैग है, जो तमाम और हर पेशे के युवाओं को बताने के लिए काफी है-"हार नहीं मानना है, रार नई ठानना है."

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"यह अनुभव का यह बैग तो बहुत ही भारी है!"

1. अगर कम से कम 2000 रनों का मानक माना जाए, तो घरेलू क्रिकेट के इतिहास में सबसे ज्यााद औसत के मामले में सर डॉन ब्रैडमैन के बाद  दूसरे नंबर पर सरफराज खान हैं. ब्रेडमैन ने 234 मैचों में 95.14 का औसत निकाला, तो सरफराज ने 25 फर्स्ट क्लास मैचों में ही 82.83 के औसत से यह आंकड़ा छू लिया.

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2. अगर रणजी ट्रॉफी के इतिहास में कम से कम दो हजार रनों के मानक पर सर्वश्रेष्ठ औसत की बात की जाए, तो सरफराज तीसरे नंबर पर हैं. विजय मर्चेंट 32 मैचों में 98.35 के औसत के साथ पहले नंबर पर हैं, तो सचिन तेंदुलकर (38 मैचों में 87.37) दूसरे नंबर पर है. सरफराज (23* मैचों में 82.76) के साथ तीसरे नंबर पर हैं, जो बताता है कि उनका अनुभव का बैग कितना भारी-भरकम है. 


3. भारतीय क्रिकेट इतिहास में रणजी ट्रॉफी में दो बार नौ सौ से ज्यादा रन बनाने का कारनामा सिर्फ तीन ही बल्लेबाज कर सके हैं. अजय शर्मा ने 1991/92 में 933 रन बनाए थे, तो 1996/97 में उन्होंने 1033 रन बनाए. इसके बाद वसीम जाफर ने साल 2008/09 में 1260 रन बनाए, तो 2018/19 में उनके बल्ले से 1037 रन निकले. इसके बाद तीसरे नंबर पर सरफराज आते हैं. सरफराज ने साल 2019/20 में 928 रन बनाए, तो 2021/2022 के सीजन में उनके बल्ले से 937* रन निकले. अब आप ही सोचिए कि इन आंकड़ों को देखकर भला कौन नहीं कहेगा- "यह अनुभव का बैग तो बहुत ही भारी है."

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