India vs England T20I: मुंबई में वानखेडे़ स्टेडियम में आखिरी टी20 मुकाबले में संजू सैमसन (Sanju Samson) के पास प्वाइंट था खुद साबित करने का और एक बेहतरीन पारी खेलने का भी, लेकिन सीरीज के आखिरी मैच में भी राजस्थान रॉयल्स के इस विकेटकीपर बल्लेबाज का ठीक वही हाल हुआ, जो पिछले चार मैचों में हुआ. पूर्व दिग्गज ही नहीं, फैंस भी बात कर रहे हैं कि आखिर पूरी सीरीज में सैमसन किस नजरिए से खेलते रहे. क्या वह मेरिट पर खेल रहे थे, जिद पर खेल रहे थे या इगो पर? इस सवाल का सबसे बड़ा आधार यह है कि सीरीज के पांचों ही मैचों में सैमसन संजू पुल शॉट खेलने की कोशिश में ही आउट हुए.
ट्रेलर दिखाया था संजू ने लेकिन...
मानो पुल शॉट संजू के लिए इगो का या खुद को साबित करने का सवाल बन गया, लेकिन बार-बार ही वह शॉर्टपिच गेंद को बाहर भेजने की कोशिश में ही आउट हुए. और इतने मौके किसी भी बल्लेबाज के लिए गेंद विशेष के खिलाफ पोल खोल देने के लिए काफी है. हालांकि, जोफ्रा आर्चर के खिलाफ पहले ही ओवर में दो छक्के जड़कर "प्वाइंट" को साबित करने की कोशिश की, लेकिन आखिर में उनकी फिल्म पूरी तरह फ्लॉप हो गई. और साबित यही हुआ कि वह पूरी सीरीज में जिद और इगो पर ही खेलते रहे. अपनी कमजोरी का ही खुलासा करते रहे.
इस खिलाड़ी के हक को लेकर है सवाल ?
पांच मैचों में संजू सैमसन ने पानी फेर दिया. ऐसे में गंभीर सवाल यह है कि आखिरी लेफ्टी यशस्वी जायसवाल का हक क्यों मारा जा रहा है? जो खिलाड़ी टेस्ट में तूफानी अंदाज में बैटिंग करता है, जो बल्लेबाज आईपीएल में बतौर ओपनर आकर विरोधी बॉलरों के छक्के छुड़ाता है, उसका हक आखिर कब तक मारा जाएगा? कब तक भारतीय प्रबंधन जायसवाल का हक मारकर संजू को मौका देता रहेगा. और कब तक सैमसन नाकाम कोशिश अपने प्वाइंट (अच्छे हुकर, पुलर हैं) को साबित करने के लिए खेलते रहेंगे?