गावस्कर ने "सेकेंड सीजन सिंड्रोम" के शिकार खिलाड़ियों को लेकर कही बड़ी बात, बोले कि आईपीएल से ज्यादा...

IPL 2022: गावस्कर ने लिखा, "सेकेंड सीजन सिंड्रोम" बमुश्किल ही किसी खिलाड़ी को बख्शता है. अगर इससे गुजरने के बाद कोई खिलाड़ी वापसी करता है, तो इस बात के आसार  बढ़िया हैं कि उसका आगे का करियर अच्छा हो सकता है

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भारत के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर
नई दिल्ली:

अब जबकि आईपीएल खत्म हो चुकी है, तो पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने बहु ही रुचिकर प्वाइंट उठाते हुए खिलाड़ियों को लेकर अहम बात उठाते हुए कहा है कि खिलाड़ी "सेकेंड सीजन सिंड्रोम" के शिकार हो रहे हैं. सनी का इशारा उन कुछ खास खिलाड़ियों की तरफ था. मसलन  वेंकटेश अय्यर, ऋतुराज गायकवाड़ और वरुण चक्रवर्ती जैस खिलाड़ी, जिन्होंने आईपीएल के पिछले संस्करण में बहुत ही गजब का प्रदर्शन किया था, लेकिन इस सीजन में वह पानी भरते दिखायी पड़े. खिलाड़ियों का प्रदर्शन गिरा, तो इनकी टीमें भी प्ले-ऑफ के लिए क्वालीफायी नहीं कर सकीं.

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इस पहलू पर ध्यान दिलाते हुए गावस्कर ने मुंबई से निकलने वाले एक अखबार  के लिए लिखे कॉलम में कहा कि किसी भी खिलाड़ी के बारे में कोई भी निर्णय देने से पहले मैं हमेशा ही यह कहता रहा हूं कि किसी भी ठोस निर्णय पर पहुंचे से पहले खिलाड़ी विशेष के कम से कम आईपीएल के दो सत्रों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करना चाहिए.  सनी ने लिखा कि अब जबकि आईपीएल का समापन हो गया है, तो यह देखने की बात है कि भारतीय क्रिकेट के लिए क्या प्राप्य रहा है? जैसा की हमेशा होता है कि आईपीएल हर साल कई ऐसे खिलाड़ी देता है, जिसने भविष्य में खासी उम्मीद की जा सकती है. 

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गावस्कर ने लिखा कि  ऐसा भी हुआ है कि पहले सीजन के स्टार बहुत ही तेजी से गायब हो गए हैं. ऐसे खिलाड़ी क्षणिक सफलता की बात को सही साबित करते हैं. यहां ऐसे कई नामों का भी बोलबाला है, जिन्होंने नॉकआउट मुकाबलों में जमकर रन बनाए और विकेट लिए. इसीलिए खिलाड़ी विशेष का आंकलन करने के लिए अगले सीजन का इंतजार करना बेहतर बात है. गावस्कर ने लिखा, "सेकेंड सीजन सिंड्रोम" बमुश्किल ही किसी खिलाड़ी को बख्शता है. अगर इससे गुजरने के बाद कोई खिलाड़ी वापसी करता है, तो इस बात के आसार  बढ़िया हैं कि उसका आगे का करियर अच्छा हो सकता है. वास्तव में, कई आईपीएल स्टार टी20 स्पेशलिस्ट बने हुए हैं और ये घरेलू क्रिकेट में ज्यादा बेहतर नहीं करते. इनमें से ज्यादातर खुश हैं क्योंकि घरेलू क्रिकेट के मुकाबले ये आईपीएल में खेलकर मोटा पैसा कमा रहे हैं. इसलिए ये खिलाड़ी अपनी सीमित योग्यता के साथ खुश हैं. यहां कुछ ही सही होते हैं. ऐसे में वास्तव में भारतीय क्रिकेट को इससे ज्यादा फायदा नहीं होता.

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