अगले महीने बांग्लादेश की टीम भारत दौरे (Ind vs Ban) दौरे पर आएगी, तो अगले महीने ही दलीप ट्रॉफी (Duleep Trophy) के साथ ही भारतीय घरेलू सत्र का आगाज भी होगा. भारतीय क्रिकेट इतिहास में पहली बार यह प्रतियोगिता नए फॉर्मेट में आयोजित होगी. पिछले साल तक इसमें पांच क्षेत्रों की टीमें हिस्सा लेती थीं, लेकिन अब राष्ट्रीय चयन समिति द्वारा दलीप ट्रॉफी के लिए चार टीमों का ऐलान हुआ है. इसमें रणजी ट्रॉफी में गुजरे सीजन में अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को टीम में जगह दी है. वहीं इशान किशन (Ishan Kishan) और श्रेयस अय्यर (Shreyas Iyer) जैसे खिलाड़ियों को भी जगह दी गई है. यहां तक कि गुजरे सेशन में बल्ले से फ्लॉप रहे अय्यर एक टीम के कप्तान भी हैं. इन दोनों का चयन करके सेलेक्टरों ने इन्हें बता दिया है कि ये दोनों ही बीसीसीआई की भविष्य की प्लानिंग में शामिल हैं, लेकिन यहां कुछ ऐसे भी स्टार खिलाड़ी हैं, जिन्हें एक भी टीम में जगह नहीं मिली, जो इनके और इनके चाहने वालों के लिए निराशा की बात है. दलीप ट्रॉफी का पहला राउंड 5 सितंबर से खेला जाएगा.
ये दोनों टेस्ट प्लानिंग से बाहर हो चुके!
घोषित चार टीमों में दिग्गज रोहित, विराट, अश्विन और जसप्रीत बुमराह को नीति के तहत आराम दिया गया है. मतलब इन्हें छोड़कर देश के ज्यादातर सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी दलीप ट्रॉफी में खेलेंगे. लेकिन हैरानी की बात है कि न तो इन चार टीमों कभी धमाकेदार आगाज करने वाले पृथ्वी शॉ को जगह मिली है और न ही हाल ही में व्हाइट-बॉल में स्टार बनकर उभरे रिंकू सिंह को.
दोनों का ही प्रदर्शन खराब नहीं रहा था
यह सही है कि रिंकू सिंह का गुजरे सीजन (रणजी ट्रॉफी) में प्रदर्शन असाधारण नहीं था. रिंकू ने खेले तीन मैचों में एक अर्द्धशतक से 42.66 के औसत से 128 रन बनाए, वहीं पृथ्वी शॉ ने छह मैचों में 50.11 के औसत, एक शतक और इतने ही अर्द्धशतक से 451 रन बनाए थे. वहीं, आप यह देखें कि अय्यर तीन मैचों में 1 अर्द्धशतक से 38.25 के औसत से 153 रन ही बना सके थे, लेकिन अय्यर भारत "डी" टीम के कप्तान हैं. इससे साफ है कि शॉ और रिंकू दोनों ही भविष्य की प्लानिंग का हिस्सा नहीं हैं.वहीं, फैंस दोनों को लेकर ही सवाल कर रहे हैं, लेकिन रिंकू की अनदेखी ज्यादा चर्चा में है
कुल मिलाकर रिंकू का फर्स्ट क्लास रिकॉर्ड तो अच्छा है
सवाल सैमसन को लेकर भी हैं, लेकिन वह तो टेस्ट पॉलिसी में कभी शामिल ही नहीं रहे