Former PCB chairman Najam Sethi on Champions Trophy Controversy: पाकिस्तान में चैपियंस ट्रॉफी का आयोजन होगा या नहीं, इसको लेकर अभी तक दुविधा की स्थिति बनी हुई है. भारत के साफ मना करने के बाद पाकिस्तान बोर्ड बौखलाया हुआ है. पाकिस्तानी बोर्ड हाइब्रिड मॉडल पर राजी नहीं है, वहीं, आईसीसी ने भी अबतक कोई ऑफिशियली कमेंट इस मुद्दे पर नहीं किया है. ऐसे में अब पाकिस्तान बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष नजम सेठी ने चैंपियंस ट्रॉफी ड्रामे के बीच बड़ा बयान दिया है जिसने सुर्खियां बटोर ली है. नजम सेठी ने पाकिस्तान के न्यूज चैनल समा टीवी के साथ बात करते हुए चैंपियंस ट्रॉफी के मुद्दे को लेकर तीन विकल्प सुझाए हैं. नजम सेठी ने कहा है कि चैंपियंस ट्रॉफी के लिए आईसीसी (ICC) के पास तीन विकल्प हैं.
अपने बयान में पूर्व पाकिस्तानी बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा, "पहला विकल्प है, "भारत खेलने आता है, जो वे नहीं करेंगे.. उन्होंने कबड्डी के लिए मना कर दिया, ब्लाइंड क्रिकेट के लिए भी. पहले कबड्डी की टीमें आती थीं, इसी तरह डेविस कप के लिए टेनिस खिलाड़ी आते थे. इस बार भारत ने सिर्फ़ क्रिकेट पर ही नहीं, बल्कि दूसरे खेलों पर भी कड़ा रुख अपनाया है. इसलिए मुझे लगता है कि यहां कुछ गंभीर मामला है. इस स्थिति में, हमारे पास हाइब्रिड मॉडल का विकल्प हो सकता है, जिसमें कुछ मैच पाकिस्तान में खेले जाएं और भारत के मैच कहीं और आयोजित किए जाएं".
दिलचस्प बात यह है कि जब पिछले एशिया कप को हाइब्रिड मॉडल में बदला गया था, तब सेठी पीसीबी के अध्यक्ष थे. भारत ने टूर्नामेंट के लिए पाकिस्तान जाने से इनकार करने के बाद अपने सभी मैच श्रीलंका में खेले. बता दें कि चैंपियंस ट्रॉफी, जो अगले साल 19 फरवरी से 9 मार्च तक खेली जानी है, अभी तक मेजबानी को लेकर स्थिती साफ नहीं हो पाई है".
इसके अलावा नजम सेठी ने आगे कहा कि, "देखिए दूसरा विकल्प यह है कि अगर हाइब्रिड मॉडल पाकिस्तान ने नही माना तो, तो आईसीसी पूरे टूर्नामेंट को दूसरे देश में स्थानांतरित कर दें, फिर, पाकिस्तान के पास क्या विकल्प होंगे? या तो वे कहेंगे 'हम चैंपियंस ट्रॉफी का बहिष्कार करते हैं' या वे किसी दूसरे स्थान पर खेलने के लिए सहमत होंगे. लेकिन हाइब्रिड मॉडल को अस्वीकार करने के बाद, क्या वे किसी दूसरे देश में खेलने पर विचार करेंगे? मुझे लगता है कि यह पाकिस्तान के लिए एक मुश्किल स्थिति होगी...यह राजनीतिक हलकों में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है".
पूर्व पीसीबी प्रमुख का तीसरा विकल्प पाकिस्तान को भावनात्मक निर्णय लेने के बजाय सावधानी से आगे बढ़ने की जरूरत है. उन्होंने कहा "यदि आपने भारत के आने से इनकार करने के बाद हाइब्रिड मॉडल को अस्वीकार कर दिया है और किसी दूसरे देश में खेलने से भी इनकार कर दिया है, तो आप भविष्य में आईसीसी आयोजनों में भी नहीं खेल पाएंगे. इसलिए आप मूल रूप से खुद को आईसीसी से बाहर कर देंगे. और यदि आप ऐसा करते हैं, तो द्विपक्षीय क्रिकेट के अलावा आपके पास क्या बचेगा? आप द्विपक्षीय क्रिकेट में ज्यादा पैसा नहीं कमाते हैं क्योंकि यह पारस्परिक है,"
76 साल के सेठी ने अपनी राय देते हुए आगे कहा "जो कोई भी ये निर्णय ले रहा है, उसे सोचना चाहिए कि इसका तर्क क्या है? भारत बहिष्कार के पीछे अपने तर्क को जानता है; वे इसे बनाए रख सकते हैं. उन्होंने पहले भी ऐसा किया है...आईसीसी तब मजबूर हो जाएगी. लेकिन पाकिस्तान क्या करेगा?...इसलिए मेरी सलाह है कि जो कोई भी निर्णय ले रहा है उसे समझदारी से सोचना चाहिए न कि भावनात्मक रूप से"
बता दें कि चैंपियंस ट्रॉफी 2017 के बाद पहली बार आईसीसी कैलेंडर में वापसी कर रहा है.