बिहार के 22 वर्षीय युवा क्रिकेटर की कहानी, करियर में बड़ा भाई बना संजीवनी

बिहार क्रिकेट में शीर्ष स्तर पर आपसी खींचतान के कारण सकीबुल गनी के पिता अपने बेटे के क्रिकेट में भविष्य को लेकर बहुत आश्वस्त नहीं थे.

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बिहार के युवा क्रिकेटर सकीबुल गनी
नई दिल्ली:

बिहार क्रिकेट में शीर्ष स्तर पर आपसी खींचतान के कारण सकीबुल गनी (Sakibul Gani) के पिता अपने बेटे के क्रिकेट में भविष्य को लेकर बहुत आश्वस्त नहीं थे, लेकिन इस खेल को दीवानगी की हद तक चाहने वाले इस युवा खिलाड़ी के साथ उनके बड़े भाई का समर्थन था, जिसके दम पर वह प्रथम श्रेणी क्रिकेट में अपने पदार्पण मैच में ही तिहरा शतक जड़कर इतिहास रचने में सफल रहे. बिहार के सकीबुल ने मिजोरम के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मैच से प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया. उन्होंने अपनी पहली पारी में 341 रन बनाकर वह कारनामा कर दिखाया, जिसे 1772 से शुरू हुए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कोई बल्लेबाज नहीं कर पाया था. 

इंग्लैंड के थॉमस मार्सडन 26 जुलाई 1826 को जब अपने पहले प्रथम श्रेणी मैच में दोहरा शतक जड़ने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज बने, तो तब किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि पदार्पण मैच में तिहरा शतक लगाने का रिकार्ड इसके लगभग 200 साल बाद सुदूर भारत के एक राज्य बिहार के 22 साल के लड़के सकीबुल गनी के नाम पर दर्ज होगा. लेकिन क्रिकेट इतिहास में अब मोतिहारी के अगरवा कस्बे के सकीबुल का नाम अमिट रूप में दर्ज हो चुका है और अब उनके पिता अदनान गनी को भी अपने बेटे पर गर्व है. पेशे से किसान अदनान गनी कभी चाहते थे कि उनके चारों बेटे पढ़ाई पर ध्यान दें या खेती किसानी में उनका हाथ बंटायें.

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इसका एक बड़ा कारण यह था कि बिहार 2004 से रणजी ट्रॉफी नहीं खेल रहा था और राज्य संघ में गुटबाजी के कारण भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) ने नवगठित झारखंड राज्य को मान्यता देना उचित समझा था. बिहार के क्रिकेट खिलाड़ियों का भविष्य चौपट हो रहा था और इनमें सकीबुल के बड़े भाई फैजल गनी भी शामिल थे, जो कूच बेहार ट्रॉफी और विज्जी ट्रॉफी में खेल चुके थे. लेकिन फैजल को विश्वास था कि एक दिन बिहार क्रिकेट की स्थिति सुधरेगी, इसलिए उन्होंने अपने सबसे छोटे भाई सकीबुल को क्रिकेट का ककहरा सिखाया और यह सुनिश्चित किया कि विषम परिस्थितियों के बावजूद भी उसके अभ्यास में किसी तरह की बाधा पैदा न हो. अब उनके पिता और मां अजमा खातून चाहते हैं कि उनका बेटा भारत की तरफ से खेले.

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सकीबुल के पिता अदनान ने कहा, ‘‘सकीबुल चार भाइयों में सबसे छोटा है और जब वह जिला स्कूल में पढ़ता था, तभी से क्रिकेट के प्रति जुनूनी हो गया था.'' बिहार की 2018 में रणजी ट्रॉफी में वापसी हुई और इस बीच सकीबुल अपने भाई के भरोसे पर खरा उतरने के लिये कड़ी मेहनत करने लगा. कभी मोतिहारी के गांधी मैदान में खेलने वाले सकीबुल की किस्मत ने, हालांकि तब नया मोड़ लिया, जब बिहार अंडर-23 के पूर्व कोच अजय रात्रा ने पटना के मोइनुल हक स्टेडियम में ‘ट्रायल्स' के दौरान इस युवा बल्लेबाज को देखा. वह उनके ‘शॉट' चयन और ‘टाइमिंग' से प्रभावित थे.

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रात्रा जानते थे कि थोड़े से बदलावों के बाद इस खिलाड़ी में निखार लाया जा सकता है और फिर वही हुआ. रात्रा ने सकीबुल की तकनीक में कुछ बदलाव किये, जिसके बाद तो वह जूनियर क्रिकेट में बिहार की ‘रन मशीन' बन गये. सकीबुल ने 2018-19 के सत्र में बिहार ‘अंडर-23' की टीम से सर्वाधिक 685 रन बनाये, जिसमें उनका उच्चतम स्कोर 282 रन था. अगले सत्र में सीके नायडू ट्रॉफी में उन्होंने 694 रन बनाकर सीनियर टीम के दरवाजे पर दस्तक दे दी थी. उन्होंने बिहार की तरफ से अपना पहला मैच विजय हजारे ट्रॉफी एकदिवसीय टूर्नामेंट में जम्मू कश्मीर के खिलाफ सात अक्टूबर 2019 को जयपुर में खेला था. इसके बाद वह बिहार की सीमित ओवरों की टीम के नियमित सदस्य रहे, लेकिन कोविड-19 के कारण रणजी ट्रॉफी का आयोजन नहीं होने से उन्हें प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा.

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इस बीच, सकीबुल को इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की फ्रेंचाइजी दिल्ली कैपिटल्स ने भी ट्रायल्स के लिये बुलाया था. वह आईपीएल की नीलामी का हिस्सा नहीं थे, लेकिन रणजी ट्रॉफी में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन के बाद अब निश्चित तौर पर फ्रेंचाइजी टीमों के जेहन में सकीबुल का नाम जरूर रहेगा. रिकॉर्ड के लिये बता दें कि सकीबुल से पहले अपने पदार्पण प्रथम श्रेणी मैच में सर्वाधिक स्कोर का रिकॉर्ड भारत के ही अजय रोहेरा के नाम पर था, जिन्होंने दिसंबर 2018 में मध्य प्रदेश की तरफ से हैदराबाद के खिलाफ नाबाद 267 रन बनाये थे. 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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