BCCI के एक मास्टरस्ट्रोक ने ऐसे मिटाया हार्दिक और हरमनप्रीत का फर्क

BCCI ने भारतीय महिला क्रिकेटर्स की मैच फ़ीस में बड़े बदलाव का एलान कर महिला और पुरुष क्रिकेटरों को लगभग बराबरी पर ला दिया है.

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Smriti Mandhana
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  • विंबलडन में पुरुष और महिला विजेताओं की पुरस्कार राशि बराबर होने में सवा सौ साल से अधिक समय लगा था
  • बीसीसीआई ने भारतीय महिला क्रिकेटरों की घरेलू मैच फीस को ढाई गुना बढ़ाकर पुरुष खिलाड़ियों के करीब पहुंचाया है
  • महिला वर्ल्ड कप विजेता टीम को पुरुषों से अधिक इनामी राशि दी गई है जो लगभग चालीस करोड़ रुपये है
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दुनिया के सबसे पुराने ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट विंबलडन में पुरुषों और महिलाओं की इनामी रकम के एक या बराबर होने में ना सिर्फ़ सवा सौ साल से ज़्यादा वक्त लगा. चैंपियन वीनस विलियम्स को इसके लिए मांग उठानी पड़ी और एक लंबे विवाद के बाद ही इनके वेतन में समानता आ सकी. 2007 में पहली बार महिला सिंगल्स और पुरुष सिंगल्स चैंपियन वीनस विलियम्स और रॉजर फेडडर को 7 लाख पाउंड या 5.80 करोड़ रुपये मिले. विंबलडन को इस सफर को तय करने में 1877 से 2007 तक का वक्त लग गया. और फिर, ये खबर तब दुनिया भर के अखबारों और टीवी मीडिया की सुर्ख़ियों में छा गयी.

BCCI ने भारतीय महिला क्रिकेटर्स की मैच फ़ीस में बड़े बदलाव का एलान कर महिला और पुरुष क्रिकेटरों को लगभग बराबरी पर ला दिया है.

महिला वर्ल्ड कप विजेताओं को पुरुषों से ज़्यादा इनामी रकम!

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ICC के अध्यक्ष जय शाह की कोशिशों ने पुरुष और महिला वर्ल्ड कप की इनामी रकम और महिला क्रिकेटर्स की अंतर्राष्ट्रीय मैच फ़ीस की रकम को पुरुषों से कहीं पीछे नहीं रहने दिया है.

2023 की वर्ल्ड कप विजेता टीम को 4 मिलियन डॉलर यानी क़रीब 33 करोड़ रुपये मिले जबकि 2025 की महिला वर्ल्ड कप विजेताओं को 4.48 मिलियन डॉलर यानी करीब 40 करोड़ रुपये मिले.

तीन साल पहले 2022 से ही भारतीय पुरुष और महिला क्रिकेटरों को एकसमान मैच फ़ीस यानी टेस्ट के लिए 15 लाख, वनडे के लिए 6 लाख और टी-20 के लिए 3 लाख रुपये की रकम कर दी गई. हालांकि दोनों के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट की रकम में अब भी बड़ा अंतर ज़रूर बना हुआ है.

घरेलू क्रिकेट में क्रान्ति!

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड BCCI ने घरेलू क्रिकेट में महिलाओं की मैच फ़ीस को बढ़ाकर ढाई गुणा कर दिया है. मतलब अब घरेलू क्रिकेट में महिला प्लेइंग-XI की मैच फ़ीस को 50,000 रुपये/ प्रतिदिन और बेंच के खिलाड़ियों के लिए 25,000 रुपये/ प्रतिदिन करने का एलान किया है.

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महिला क्रिकेट में ये रकम पहले 20,000 रुपये/ प्रतिदिन और 10,000 रुपये/ प्रतिदिन थी. यानी महिला क्रिकेट की मैच फ़ीस में ढाई गुणा या 150% बढ़ोतरी का एलान किया गया है.

जूनियर स्तर और Age-group क्रिकेट में इसी तरह बड़े बदलाव किये गये हैं. एज-ग्रुप टूर्नामेंट के लिए महिला क्रिकेट में इस रकम को 25,000 और 12,500 रुपये करने का एलान किया गया है.

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क्या है रणजी मैच फ़ीस का स्ट्रक्चर?

पुरुष क्रिकेटर्स की रणजी रकम से भी महिला क्रिकेटर्स की मैच फीस की तुलना की जा सकती है. भारतीय पुरुष क्रिकेटरों को रणजी ट्रॉफी में मैच फीस के रूप में कितना पैसा मिलता है, यह उनके अनुभव और मैचों की संख्या पर निर्भर करता है. बीसीसीआई द्वारा पुरुषों की रणजी ट्रॉफी के लिए मैच फीस की दरें इस तरह निर्धारित की गई हैं:

- 41-60 मैच खेलने वाले खिलाड़ियों को प्रति मैच ₹60,000 की मैच फीस

- 21-40 मैच खेलने वाले खिलाड़ियों को प्रति मैच ₹50,000 की मैच फीस

- 0-20 मैच खेलने वाले खिलाड़ियों को प्रति मैच ₹40,000 की मैच फीस और

- रिज़र्व खिलाड़ियों को प्रति मैच ₹20,000 से ₹30,000 की मैच फीस मिलती है.

यानी भारतीय महिला क्रिकेटरों की घरेलू गेम में मैच फ़ीस 21 से 40 रणजी मैच खेलने वालों के बराबर कर दी गई है.

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दुनिया के सामने बड़ा उदाहरण

अमेरिका में पुरुषों की वोटिंग राइट्स (1870) और महिलाओं की वोटिंग राइट्स (1920) में क़रीब 150 साल का अंतर रहा. आज भी बास्केटबॉल (WNBA और NBA) और गॉल्फ़ (LPGA और PGA ) जैसे खेलों में महिला और पुरुषों के बीच ये अंतर साफ खटकता है. ऐसे में भारतीय क्रिकेट में इस कदम को दुनिया के दूसरे कई खेलों के सामने एक मिसाल बनकर पेश किया गया है.

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