- भारत की युवा पेस गेंदबाजी ने इंग्लैंड दौरे पर अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए टीम को महत्वपूर्ण जीत दिलाई
- आकाश दीप ने बर्मिंघम टेस्ट में 10 विकेट लेकर अपनी प्रभावशाली गेंदबाजी से सबका ध्यान आकर्षित किया
- टीम इंडिया के गेंदबाज एक-दूसरे का उत्साह बढ़ाते और सहयोग करते हुए मैच में सफल रहे
Akash Deep Exclusive Interview on IND vs ENG Series: भारत के इंग्लैंड दौरे पर यंगिस्तान टीम ‘यंग गन' साबित हुई और इसका बहुत सारा श्रेय टीम इंडिया की पेस बैटरी को जाता है. सासाराम एक्सप्रेस आकाश दीप अपनी अलग पहचान बनाते नज़र आये. आकाश दीप को बर्मिंघम, लॉर्ड्स और द ओवल पर तीन मैच खेलने का मौका मिला और उन्होंने अपना रंग जमा दिया. बर्मिंघम में तो उन्होंने 10 विकेट लेकर सबका दिल ही जीत लिया और टीम इंडिया ने बड़ा मैच जीत लिया. बर्मिंघम टेस्ट में आकाश दीप ने 10 विकेट झटके लेकिन कप्तान शुभमन गिल ने 269 और 161 रनों की पारी खेलकर ‘मैन ऑफ़ द मैच' बन गए.
तिकड़ी में शिकार, पेसर्स की तगड़ी टीम
जब सिराज विकेट लेता था तो मैं बहुत खुश हो जाता था. जब मैं विकेट लेता था तो वो दोनों बहुत खुश हो जाते थे. NDTV से EXCLUSIVE करते हुए आकाश दीप कहते हैं, “हमारी कामयाबी की बड़ी वजह ये थी कि हम तीनों में से कोई भी गेंदबाज़ विकेट लेता था तो बाकी के गेंदबाज़ खुश हो जाते थे. हम एक-दूसरे को बैक करते रहते थे. एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते थे.” बर्मिंघम में मिले मौके को लेकर वो कहते हैं, “मैं काफी दिन बाद मैच खेल रहा था. मुझपर थोड़ा प्रेशर तो था. मैंने देखा कि वो जिसतर से फ्लैट विकेट बना रहे हैं उसपर हम ज़्यादा नहीं सोच सकते. अपने रियाज़ पर गेंद डाल सकते हैं. अपना डिसिप्लीन नहीं तोड़ सकते. मैं जानता था कि इंग्लैंड जिस तरह से क्रिकेट खेलते हैं, वो खुद ही ग़लती करते हैं. यही मेरा माइंडसेट था.”
‘पहली गेंद डालूं या पांचवें दिन आख़िरी गेंद..'
आकाश दीप ने बताया कि टीम इंडिया के लिए खेलना उनके लिए सपने जैसा है. वो कहते हैं कि शुरुआत हो या आख़िर वो एक ही एनर्जी से गेंद डालने की कोशिश करते हैं, वो कहते हैं, “मुझे लगता है आपकी फिटनेस के लिए आकपा फ़िज़िकली से ज़्यादा मेंटली स्ट्रॉन्ग रहना ज़्यादा ज़रूरी है. जब आप देश के लिए खेल रहे हैं तो आप पहली गेंद डाल रहे हैं या आख़िरी गेंद, फर्क नहीं पड़ना चाहिए. आपके हाथ में बॉल रहती है तो हर बॉल इंपोर्टेन्ट होती है चाहे वो पहली गेंद हो या आख़िरी. मैं ये सोचता हूं कि ये गेंद मैं कंट्री के लिए, देश के लिए गेंद डाल रहा हूं तो एनर्जी अपने आप आ जाती है.”