मुंबई: एशिया के सबसे बड़े टीबी अस्पताल में गंभीर मरीज महिला की ICU बेड नहीं मिलने से मौत

मृतक महिला मानसी भगत के परिवार ने 15 अस्पतालों के चक्कर लगाए लेकिन पूरे मुंबई शहर में उन्हें एक आईसीयू बेड नसीब नहीं हुआ

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प्रतीकात्मक तस्वीर
मुंबई:

साल 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का मिशन है लेकिन आर्थिक राजधानी मुंबई में गंभीर टीबी की एक मरीज़ को पूरे शहर में आईसीयू बेड नसीब नहीं हुआ. उसे मुंबई से 46 किलोमीटर दूर शहर से बाहर जाना पड़ा पर तब तक देर हो चुकी थी. 

मृतक महिला मानसी भगत का बच्चा यकीं नहीं कर पा रहा है कि उसकी मां आज उसके बीच नहीं है. 44 वर्ष की मानसी भगत टीबी की रोगी थी और गंभीर स्टेज में पहुंच गई थी. उसके परिवार ने 15 अस्पतालों के चक्कर लगाए लेकिन पूरे मुंबई शहर में उन्हें एक आईसीयू बेड नसीब नहीं हुआ. फिर उन्हें शहर से 46 किलोमीटर दूर डोंबिवली के एक अस्पताल जाना पड़ा, पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी. 

पत्नी की मौत के गम ने पति मानेष भगत की हिम्मत तोड़ दी है. सदमा इस बात का ज़्यादा है कि आर्थिक राजधानी में टीबी मरीज़ के लिए एक आईसीयू बेड तक नहीं!

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ठाणे के डोंबिवली के अस्पताल ले जाना पड़ा

मानेष भगत ने कहा,‘'ज़रूरत आईसीयू बेड की थी लेकिन सरकारी अस्पताल जेजे में 36 घंटे बाईपैप(BiPAP) पर रहीं. वहां उन्हें आईसीयू बेड नहीं दिया गया. फिर हमें मुंबई से बाहर ठाणे के डोंबिवली के एआईएमएस अस्पताल में आईसीयू बेड मिला. वहां ले जाना पड़ा लेकिन उनका शरीर तब तक जवाब दे चुका था. रास्ते में और हालत ख़राब हो गई. फिर भी मेरी पत्नी ने हिम्मत नहीं हारी. उसे तो दवा भी समय पर नहीं मिल पाई थी, क्योंकि कुछ टेस्ट के बाद देते हैं. जेजे अस्पताल में ही अगर आईसीयू बेड मिल जाता तो वह आज हमारे बीच होती. दक्षिण मुंबई की ये हालत है बताईए. कहते हैं 2025 तक टीबी मुक्त बनाएंगे, कैसे बनाएंगे? ऐसे? एक आईसीयू बेड आपके पास टीबी मरीज़ के लिए नहीं है.''

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टीबी के उपचार के लिए एशिया के सबसे बड़े इस शिवडी टीबी अस्पताल में एक हजार से अधिक मरीजों को भर्ती करने की व्यवस्था तो बताई जाती है, लेकिन पीड़ित परिवार कहता है यहां भी आईसीयू बेड नहीं मिला.मृतका के छोटे बच्चे ख़ुद शहर में अस्पतालों के चक्कर काट रहे थे.

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शिवडी टीबी हॉस्पिटल ने नहीं दिया बेड

मानसी भगत के बेटे अथर्व भगत ने कहा,‘'शिवडी टीबी हॉस्पिटल से भी वापस लौटा दिया, बोले बेड नहीं है. मेरी मां तड़प कर मर गई.'' उनकी बेटी दूर्वा भगत ने कहा,‘'मेरी मां मुझसे बात तक कर रही थीं, भूखी थीं, खाना पानी मांगती थीं, उन्हें अस्पताल में कुछ नहीं मिला. bipap पर लगाया था, कुछ खा नहीं पा रही थीं.''

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मानसी भगत के भाई रोहन बालकृष्ण वर्तक ने कहा, ‘'मैंने दो दिनों तक क़रीब 15 अस्पतालों के चक्कर काटे लेकिन आईसीयू बेड नहीं मिला. मेरी बहन को गंभीर टीबी था इसलिए कोई आईसीयू बेड नहीं दे रहा था. शिवडी अस्पताल टीबी का सबसे बड़ा अस्पताल है. वहां दो आईसीयू बेड एक साल से रिपेयर हो रहे हैं, बताईए..''

बीएमसी द्वारा संचालित टीबी के इस सबसे बड़े अस्पताल की दीवारों पर बीमारी के ख़ात्मे का प्रचार, टीबी मरीज़ों का मखौल उड़ाता दिखता है.

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