जहरीली हवा से फूल रहा दिल्ली का दम, AQI 400 के पार, जानें बचाव के तरीके

ग्रैप-1 प्रतिबंध तब लागू होते हैं जब एक्यूआई 201 से 300 के बीच होता है, ग्रैप-दो प्रतिबंध तब लागू होते हैं जब यह 301 से 400 के बीच होता है और ग्रैप-तीन प्रतिबंध तब लागू होते हैं जब यह 401 से 450 के बीच होता है. ग्रैप-चार प्रतिबंध तब लागू होते हैं जब एक्यूआई 451 को पार कर जाता है.

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  • दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्तर लगातार बढ़ रहा है और रविवार सुबह का औसत AQI 380 दर्ज हुआ है
  • वजीरपुर, विवेक विहार और रोहिणी जैसे इलाकों में हवा सबसे अधिक प्रदूषित और जहरीली साबित हुई है
  • दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के कारण निजी दफ्तरों में 50 फीसद स्टाफ को घर से काम करने की सलाह दी है
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नई दिल्ली:

दिल्ली की हवा अब सांसों में जहर बनकर घुल चुकी है. शहर के हर कोने में ऐसा अदृश्य ज़हर तैर रहा है, और हम सब अनजाने में इसे पी रहे हैं. सवाल ये है कि क्या दिल्ली अब रहने लायक बची है? क्योंकि दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण आबोहवा को लगातार खराब करता जा रहा है. जबकि ठंड का पीक आना अभी बाकी है. रविवार सुबह 6 बजे का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 380 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब' श्रेणी में आता है. पिछले तीन दिनों का ट्रेंड भी डराने वाला है. 20 नवंबर को AQI 391, 21 नवंबर को 364, और 22 नवंबर को 370. यानी हालात सुधरने के बजाय और बिगड़ रहे हैं.

दिल्ली में किस जगह की हवा सबसे जहरीली

इलाकाAQI
वजीरपुर449
विवेक विहार446
रोहिणी438
जहांगीरपुरी438
बवाना431
आनंद विहार427
अशोक विहार421
मुंडका415
नरेला412

    वर्क फ्रॉम होम की सलाह

    दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के बढ़ते स्‍तर को देखते हुए निजी दफ्तरों के लिए 50 प्रतिशत ऑन-साइट वर्कफोर्स कैपेसिटी पर काम करने की एडवाइजरी जारी की है. इस दौरान बाकी स्टाफ घर से काम करना जारी रखेंगे. यह फैसला एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन (सीएक्‍यूएम) के नए निर्देशों के मुताबिक लिया गया है. दरअसल, दिल्‍ली में ग्रैप-3 की पाबंदियां लागू हैं. पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने जोर देकर कहा कि ग्रैप-3 के तहत दिल्ली सरकार पब्लिक हेल्थ और एयर क्वालिटी प्रोटेक्शन पर ज्‍यादा ध्यान देते हुए पॉल्यूशन कंट्रोल के उपायों को एक्टिव रूप से लागू कर रही है.

    क्यों बढ़ रहा है प्रदूषण?

    • पराली जलाने का असर अब भी जारी है
    • ठंडी हवाओं की कमी और तापमान गिरने से प्रदूषक जमीन के करीब फंस रहे हैं
    • वाहनों का उत्सर्जन और निर्माण कार्य भी योगदान दे रहे हैं

    स्वास्थ्य पर असर

    डॉक्टरों के मुताबिक, इस स्तर का प्रदूषण फेफड़ों की क्षमता को कमजोर करता है, दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ाता है, और बच्चों व बुजुर्गों के लिए बेहद खतरनाक है. लंबे समय तक इस हवा में रहने से क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, और यहां तक कि कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है.

    क्या करें?

    • बाहर निकलते समय N95 मास्क का इस्तेमाल करें
    • सुबह की वॉक या आउटडोर एक्सरसाइज से बचें
    • घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें
    • पानी ज्यादा पिएं और एंटीऑक्सीडेंट युक्त डाइट लें

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