फर्जी खसरे, झूठे नाम, करोड़ों का लोन...छत्तीसगढ़ में जमीन माफियाओं पर NDTV का बड़ा खुलासा

NDTV की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि एक गांव में 190 एकड़ ज़मीन की गड़बड़ी हुई है. आनन-फानन में जांच शुरू कर दी गई है. रायपुर, दुर्ग, कोरबा और कोरिया जैसे ज़िलों से जुड़े लोगों के तार इस गड़बड़झाले से जुड़े पाए गए हैं.

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  • छत्तीसगढ़ में सरकारी जमीनों का अवैध सौदा कर करोड़ों रुपये के नुकसान का मामला सामने आया है
  • दुर्ग जिले के अछोटी गांव में 191 एकड़ सरकारी जमीन को फर्जी खसरे बनाकर निजी जमीन बताया गया है
  • फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंकों से करोड़ों रुपये के लोन भी बिना जांच के दिए गए हैं
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रायपुर:

छत्तीसगढ़ में ज़मीन घोटाला सामने आया है, जिसमें सरकारी ज़मीनों का अवैध सौदा कर करोड़ों रुपये का नुकसान किया गया है. NDTV की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि एक गांव में 190 एकड़ ज़मीन की गड़बड़ी हुई है. आनन-फानन में जांच शुरू कर दी गई है. रायपुर, दुर्ग, कोरबा और कोरिया जैसे ज़िलों से जुड़े लोगों के तार इस गड़बड़झाले से जुड़े पाए गए हैं. इस घोटाले में बैंकों पर भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लोन देने के आरोप लगे हैं. शासकीय ज़मीन पर निजी व्यक्तियों को 82 लाख रुपये का कर्ज दिया गया. अब बैंक प्रबंधन ने भी जांच शुरू कर दी है. राज्य में सरकारी ज़मीन को फर्जी तरीके से निजी करने का खेल चल रहा है, जिससे राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं.

191 एकड़ सरकारी ज़मीन को बता दिया निजी जमीन

ऑनलाइन सिस्टम से गड़बड़ी की गई है. सरकार की ऑनलाइन भूइयां साइट में भी फर्जी नाम चढ़ा दिए गए हैं. सवाल उठता है कि पटवारी और तहसीलदार की किस आईडी को हैक कर यह गड़बड़ी की गई? बैंकों ने लोन देने से पहले गंभीरता से जांच क्यों नहीं की? राज्य में हजारों एकड़ शासकीय भूमि का अवैध कारोबार चल रहा है और शासकीय ज़मीनों पर लोन दिलाने वाला गिरोह सक्रिय है.

NDTV की पड़ताल में सबसे बड़ी गड़बड़ी दुर्ग जिले के अछोटी गांव में सामने आई है. यहां 52 फर्जी खसरे बनाए गए, जिनमें कथित तौर पर 191 एकड़ सरकारी ज़मीन को निजी बता दिया गया. जिनके नाम सामने आए उनमें दीनूराम यादव, एसराम, शियाकांत वर्मा, हरिशचंद्र निषाद और सुरेंद्र कुमार शामिल हैं.

दलाल सक्रिय, कौन बेच रहा, किसे बेच रहे कुछ नहीं पता

दीनूराम के नाम बनी ऋण पुस्तिका पर दुर्ग तहसीलदार की मोहर और साइन हैं, जबकि अछोटी गांव अहिवारा तहसील में आता है. ग्राम कोटवार नंदलाल चौहान ने बताया कि यहां दलाल लोग सक्रिय हैं, किसे बेच रहे हैं, किसे नहीं, पता नहीं चलता. जब पटवारी इस्तहार जारी करता है, तब जाकर ही कुछ पता चलता है.

दीनूराम और अन्य जिनके नाम सामने आए हैं, उनका रिकॉर्ड में कोई जिक्र नहीं है. सरकारी ज़मीन, फर्जी खसरा और फिर फर्जी लोन बुक — ये पूरा खेल सामने आया है. 25 जून 2025 को दीनूराम को ₹46 लाख का लोन मिला और 2 जुलाई 2025 को एसराम को ₹36 लाख का लोन मिला. वो भी कथित तौर पर बड़े सरकारी बैंक से. ना कोई वेरिफिकेशन, ना फील्ड इंस्पेक्शन — सीधे करोड़ों का लोन पास कर दिया गया. NDTV के सवालों का बैंक ने कोई जवाब नहीं दिया.

100 करोड़ का घोटाला

अछोटी गांव से सटे मेन रोड में जिस 191 एकड़ ज़मीन का कथित घोटाला हुआ, अकेले उसकी कीमत 100 करोड़ रुपये से ज़्यादा बताई जा रही है. लेकिन मामला सिर्फ अछोटी का नहीं है. कोरबा में 250 एकड़ से ज़्यादा सरकारी ज़मीन पर इसी तरह का खेल हुआ है, जहां कलेक्टर के आदेश पर मामला दर्ज हुआ है. कोरिया में अवैध बिक्री की जांच जारी है. रायपुर में ऐसे ही मामले में पटवारी को निलंबित किया गया है.

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भिलाई में गरीबों के लिए आरक्षित EWS ज़मीन को निजी बताकर बेचने की साजिश का आरोप है. नगर निगम भिलाई के एमआईसी सदस्य आदित्य सिंह ने बताया कि राधिका नगर में मैत्री विहार सोसायटी की EWS ज़मीन पर भू-माफियाओं ने कहीं और के खसरे की बची हुई ज़मीन लाकर बैठा दी, फिर छोटे भूखंड बनाकर उसकी प्लॉटिंग की और बेचने का काम शुरू कर दिया.

एनडीटीवी की रिपोर्ट में क्या पता चला

NDTV की तफ्तीश में कई संदिग्धों का पता चला, जिन्होंने कैमरे पर बात करने से इंकार कर दिया. लेकिन जो जानकारी हाथ लगी उसके मुताबिक कई ज़िलों में ज़मीन माफिया सिंडिकेट बन गया है. राजस्व अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है. लोन पर 10% तक कमीशन की डील के आरोप हैं.

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आरोप है कि पटवारी की ID हैक कर फर्जी खसरे बनाए गए. सिंडिकेट का नेटवर्क रायपुर, दुर्ग, कोरबा, कोरिया और जांजगीर-चांपा तक फैला है. फर्जी ID, फर्जी खसरे, फर्जी लोन बुक — सबका रेट तय है. राजस्व विभाग, बैंक और दलालों की मिलीभगत हो रही है.

संभागायुक्त दुर्ग एसएन राठौर ने NDTV को बताया कि हमारा पहला उद्देश्य है कि जो ज़मीनें गड़बड़ी कर निजी लोगों के नाम दर्ज कर ली गई हैं, उन्हें वापस शासकीय खाते में डलवाया जाए. जांच की जा रही है और जांच में जो भी दोषी होंगे, उन पर कार्रवाई की जाएगी.

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छत्तीसगढ़ में बीते कुछ सालों से एक के बाद एक कई घोटाले सामने आ रहे हैं. राज्य में कई अफसर और नेता केंद्रीय एजेंसियों के रडार पर हैं. ऐसे में यह नया ज़मीन घोटाला सामने आया है. सवाल यह है कि क्या इसमें निष्पक्ष जांच होगी या यह भी सिर्फ एक आंकड़ा बनकर रह जाएगा?

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