भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंदा ने दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन के खिलाफ पहली बार क्लासिकल बाजी में जीत दर्ज करते हुए नॉर्वे शतरंज टूर्नामेंट में एकल बढ़त बना ली. कार्लसन को रेपिड और ऑनलाइन मुकाबलों में हरा चुके 18 साल के प्रज्ञानानंदा पिछले विश्व कप फाइनल में नॉर्वे के इस खिलाड़ी से हार गए थे लेकिन यहां अंतत: क्लासिकल बाजी में उन्हें 37 चाल में हराने में सफल रहे. इस प्रारूप में कार्लसन और प्रज्ञानानंदा के बीच पिछली तीन बाजियां ड्रॉ रही थी. वहीं प्रज्ञानानंदा चौथे भारतीय खिलाड़ी हैं, जिन्होंने कार्लसन को क्लासिकल चेस में हराया है. कार्लसन को महज 18 साल की उम्र में क्लासिकल चेस में हराने वाले प्रज्ञानानंदा सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टरों में से एक हैं. वहीं इस जीत के बाद ग्रैंडमास्टर प्रज्ञानानंदा को सोशल मीडिया पर बधाई मिल रही हैं और लोग उनकी इस उपलब्धि की तारीफ कर रहे हैं.
सोशल मीडिया साइट एक्स पर चेस.कॉम ने प्रज्ञानानंदा को लेकर लिखा,"भारतीय शतरंज के लिए बड़ा दिन. प्रज्ञानानंदा ने मैग्नस के विरुद्ध अपनी पहली क्लासिकल जीत हासिल की, जबकि वैशाली महिला वर्ग का नेतृत्व करती है - और यह गुकेश का 18वां जन्मदिन है."
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारिक हैंडल से ट्वीट किया गया,"एक ऐतिहासिक शह और मात! विश्व नंबर 1 मैग्नस कार्लसन को हराकर इतिहास रचने पर भारत के शतरंज प्रतिभावान आर. प्रज्ञानानंदा को हार्दिक बधाई. पहली बार क्लासिकल शतरंज में. क्या महत्वपूर्ण जीत है. उनके इस अविश्वसनीय कारनामे पर पूरे देश को गर्व है."
आर्यन नाम एक यूजर ने लिखा,"प्रग्गननंदन ने क्लासिकल प्रारूप में #NorwayChess में विश्व नंबर 1 मैग्नस कार्लसन को हराया. बधाई हो और वेल डन."
एक प्रशंसक ने एक्स पर पोस्ट किया, "यह जीत वाकई खास है, कार्लसन को उनके घर में हराना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है."
भारतीय चेस प्रेडरेशन के अध्यक्ष नितिन नारंग ने लिखा,"ग्रैंडमास्टर प्रज्ञानानंदा रमेशबाबू ने नॉर्वे शतरंज 2024 के तीसरे दौर में जीएम मैग्नस कार्लसन पर जीत हासिल की. यह ऐतिहासिक जीत प्राग की क्लासिकल शतरंज में कार्लसन के खिलाफ पहली जीत है. प्रज्ञानानंदा को बधाई."
प्रज्ञानानंदा ने इस जीत के साथ तीन दौर के बाद 5.5 अंक से पुरुष वर्ग में बढ़त बना ली है. प्रज्ञानानंदा ने सफेद मोहरों से खेलते हुए जीत दर्ज की और इस हार के साथ कार्लसन तीन अंक के साथ अंक तालिका में तीसरे स्थान पर खिसक गए. भारतीय ग्रैंडमास्टर ने अमेरिका के दुनिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी फाबियानो करूआना पर आधे अंक की बढ़त बना रखी है.
क्लासिकल शतरंज को धीमे शतरंज के रूप में भी जाना जाता है और इसमें खिलाड़ी को चाल चलने के लिए पर्याप्त समय मिलता है और आम तौर पर एक खिलाड़ी के पास कम से कम एक घंटे का समय होता है. यह प्रग्नानंदा के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, वह पिछले साल वर्ल्ड कप में मैग्नस कार्लसन से हार गए थे. संयोग से प्रग्नानंदा कार्लसन को क्लासिकल चेस में हराने वाले केवल चौथे भारतीय हैं.
यह भी पढ़ें: आर प्रज्ञानानंदा ने रचा इतिहास, वर्ल्ड नंबर-1 मैग्नस कार्लसन को क्लासिकल चेस में हराया, बहन भी नहीं पीछे