12वीं पास छात्रों को प्लांट पैथोलॉजी दे रहा है एक बेहतर करियर विकल्प, पढ़िए क्या है योग्यता का पैमाना

इस कोर्स में दाखिले के लिए 12वीं में फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बॉयोलॉजी मे कम-से-कम 50 फीसदी अंक जरूरी

12वीं पास छात्रों को प्लांट पैथोलॉजी दे रहा है एक बेहतर करियर विकल्प, पढ़िए क्या है योग्यता का पैमाना

प्रतीकात्मक चित्र

खास बातें

  • प्रवेश परीक्षा व मैरिट के आधार पर होता है चयन
  • ग्रेजुएशन के बाद मास्टर्स और डॉक्टरेट डिग्री का भी विकल्प
  • एक्सपर्ट बनने के लिए एन्टोमोलॉजी, नेमाटोलॉजी व वीड साइंस कोर्स करें शामिल
नई दिल्ली :

आप एग्रीकल्चर और बायोलॉजिकल फील्ड में रूचि रखते हैं, तो प्लांट पैथोलॉजी आपके लिए एक अच्छा करियर ऑप्शन हो सकता है. आज के मौजूदा समय में इस फिल्ड के जानकारों की खासी कमी है. यही वजह है कि इस क्षेत्र में काम करने वालों की जरूरत ज्यादा है. प्लांट पैथोलॉजी की पढ़ाई करने वाले छात्रों को मुख्य रूप से पौधों और उनमें फैलने वाले संक्रामक रोगों के बारे में पढ़ना होता है. कोर्स पूरा होने के बाद छात्र  का काम अलग-अलग जगह के आधार पर पौधों को संक्रामक रोगों से बचाना और वहां के किसानों और आम लोगों को इन रोगों के बारे में जागरूक करना होता है. 

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क्या है प्लांट पैथोलॉजी
प्लांट पैथोलॉजी को ‘फिथोपैथोलॉजी’ भी कहा जाता है. यह एक वैज्ञानिक अध्ययन है, जिसके जरिए पौधों की बीमारी जानकार उन्हें स्वस्थ बनाने पर काम किया जाता है. दरअसल, पर्यावरण की स्थिति व संक्रामक जीवों द्वारा पौधों में बीमारियां पनपती हैं. अलग जीवों में कई तरह के रोग होते हैं और जब यह पौधों के संपर्क में आते हैं तो यह रोग पौधों तक चले जाते हैं. इस वजह से प्लांट पैथोलॉजी में जीवों में होने वाली बीमारियों का भी अध्ययन कराया जाता है ताकि पौधों में होने वाले रोगों का समय रहते निदान किया जा सके. 

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इसलिए महत्वपूर्ण है प्लांट पैथोलॉजी 
पौधों में जीवाणु, विषाणु, माइक्रोप्लाज्मा, सूत्रकृमि के अलावा जहरीली गैसों के कारण रोग पनपते हैं. इस वजह से दुनिया की खाद्य व रेशेदार फसले खास तौर पर प्रभावित होती हैं. आम लोगों की खाद्य संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए जरूरी है कि पेड़-पौधों संक्रमति होने से रोका जाए. ‘प्लांट प्रोटेक्शन साइंस’ एग्रीकल्चर फिल्ड का ही  एक ब्रांच है, जिसमें पौधों को स्वस्थ बनाने के तरीके सिखाए जाते हैं. इसमें रोगों के लक्षणों व कारणों की पहचान करना, पौधों में होने वाली हानियों को कम करने व बीमारियों पर नियंत्रण पाने के लिए निदान ढूंढने का अध्ययन किया जाता है. 

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इन चीजों की जानकारी जरूरी
प्लांट पैथोलॉजी एक प्रोफेशनल कोर्स है, जो प्लांट हेल्थ में स्पेशलाइज कराता है. पौधों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए ऑर्गेनिजम की समझ होनी चाहिए, जिनकी वजह से पौधों में बीमारियां पनपती हैं. इसके साथ ही यह जानकारी भी होनी चाहिए कि पौधे कैसे बढ़ते हैंऔर किन-किन बीमारियों से कब-कब प्रभावित होते हैं.

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रिसर्च है जरूरी
एक प्लांट पैथोलॉजिस्ट के सामने नए और प्रगतिशील तरीकों को विकसित करने की चुनौती लगातार बनी रहती है ताकि पौधों में होने वाले रोगों पर काबू पाया जा सके. पौधों की बीमारियों पर प्रभावी तरीके से नियंत्रण पाने के लिए नई तकनीकों पर रिसर्च करने की जरूरत है.
 
योग्यता 
ग्रेजुएशन के लिए 12वीं में फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बॉयोलॉजी मे कम-से-कम 50 फीसदी अंक जरूरी
प्रवेश परीक्षा व मैरिट के आधार पर होता है चयन 
ग्रेजुएशन के बाद मास्टर्स और डॉक्टरेट डिग्री का विकल्प
साइंटिस्ट या एक्सपर्ट बनने के लिए एन्टोमोलॉजी, नेमाटोलॉजी और वीड साइंस आदि से संबंधित कोर्स भी कर सकते हैं.
भारत में कई एग्रीकल्चरल विश्वविद्यालय हैं, जो प्लांट पैथोलॉजी में बैचलर और मास्टर प्रोग्राम करवाती हैं.

ये हैं प्रमुख विश्वविद्यालय :
इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली
तमिलनाडु  एग्रीकल्चरल  यूनिवर्सिटी, कोयम्बटूर
पंजाब एग्रीकल्चरल  यूनिवर्सिटी, लुधियाना
नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, करनाल
चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, हिसार
सीएसके हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पालमपुर
गोविंद बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल एंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर
यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंस, बेंगलुरु,
सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरिस  एजुकेशन, मुंबई
फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, देहरादून प्
प्लांट पैथोलॉजी में जॉब्स के कई अवसर
रिसर्चर, प्लांट स्पेशलिस्ट, हैल्थ मैनेजर, टीचर, कंसल्टेंट आदि।
ये कंपनियां ऑफर करती हैं जॉब्स :
एग्रीकल्चरल कंसल्टिंग कंपनी
एग्रोकैमिकल कंपनी
सीड एंड प्लांट प्रोड्क्शन कंपनी
इंटरनेशनल एग्रीकल्चरल रिसर्च सेंटर्स
बॉटेनिकल गार्डन्स

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बॉयोटेक्नोलॉजी फर्म
बॉयोलॉजिकल कंट्रोल कंपनी
एग्रीकल्चरल रिसर्च सर्विस
फॉरेस्ट सर्विस
एनीमल एंड प्लांट हैल्थ इंसपेक्शन सर्विस
एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन  एजेंसी
स्टेट डिपार्टमेंट्स ऑफ एग्रीकल्चरल एनवायरमेंटल


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