विश्वविद्यालय श्रेणी में IISc शीर्ष रैकिंग वाला संस्थान
नई दिल्ली:
मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा देश के शिक्षण संस्थानों के लिए जारी पहली घरेलू वरीयता सूची पर कुछ शिक्षाविदों ने आलोचना की है जिनका कहना है कि यह सूची पूरी तरह हैरान करने वाली है हालांकि मंत्रालय ने दोहराया कि वरीयता विश्वविद्यालयों द्वारा दिये गये आंकड़ों पर आधारित है।
आलोचकों का कहना है कि आईआईएम उदयपुर को आईआईएम कोझिकोड और आईआईएम इंदौर से उपर रखना हैरान करने वाला है। वहीं जामिया मिलिया इस्लामिया को 83वें स्थान पर रखना और जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय को 18वें स्थान पर रखना भी आश्चर्यचकित करता है।
जेएमआई के एक प्रोफेसर ने कहा, ‘‘आश्चर्य की बात है कि दिल्ली में डीयू और जेएनयू के बाद सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में गिने जाने वाले जामिया को इतने निचले स्तर पर 83वें नंबर पर रखा गया है। हमारे पास सीमित सीटों के लिए रिकॉर्ड आवेदन आते हैं। उन्होंने हमारे बारे में किस तरह फैसला किया?’’ जेएनयू के पूर्व कुलपति एस के सोपोरी के अनुसार कुछ मानदंड ‘बेतुके’ हैं और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को आगे रैंकिंग के लिए समीक्षा करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘मंत्रालय ने व्यापक विचार-विमर्श के बाद मानदंड तय किए लेकिन प्रारूप में कुछ बेतुके बिंदु थे, जिन्हें हम पूरे नहीं भर सकते थे। जैसे अतिथि शिक्षकों के ब्यौरे में एक हिस्से में उनका पैन नंबर पूछा गया था जो हमें खाली छोड़ना पड़ा।’’ सोपोरी ने कहा, ‘‘इसमें सुधार की गुंजाइश है और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को आगे वरीयता सूची के लिए मानदंड की समीक्षा करनी चाहिए। मेरा यह भी मानना है कि विश्वविद्यालयों के सामने रिकॉर्ड रखने का भी एक मुद्दा है। सारे विश्वविद्यालय इतनी गहराई से रिकॉर्ड नहीं रखते और इसलिए संभवत: रैंकिंग में पिछड़ गये हों।’’
एचआरडी मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि कुछ शीर्ष संस्थान रैंकिंग में इसलिए जगह नहीं बना सके क्योंकि उन्होंने प्रक्रिया में भाग नहीं लिया और कई मानदंडों के आधार पर निर्णय के लिए उन्होंने आंकड़े जमा नहीं किये। उन्होंने यह भी कहा कि जिन मानदंड और आंकड़ों के आधार पर फैसला किया गया है, वे भी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं।
बिजनेसवर्ल्ड, आउटलुक जैसे प्रमुख प्रकाशनों के लिए सालों तक विश्वविद्यालयों की वरीयता सूची निर्धारित करने वाली संस्था सीफोर के सीईओ प्रेमचंद पालेती ने कहा, ‘‘आईआईएम इंदौर और आईआईएम कोझिकोड दोनों के परिसर 100 एकड़ में फैले हैं, तो उन्हें उदयपुर के आईआईएम से नीचे कैसे रखा जा सकता है जिसमें केवल पांच कमरे हैं।’’ सरकार सीफोर के प्रमुख से भी प्रबंधन संस्थानों की वरीयता सूची के लिए सलाह ले चुकी है।
हालांकि आईआईएम उदयपुर के निदेशक जन्नत शाह ने कहा, ‘‘अनुसंधान पर हमारे जोर देने की वजह से हमें छोटा परिसर होने के बावजूद मदद मिली है।’’ एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी ने इस सप्ताह देश के 3500 विभिन्न संस्थानों की वरीयता सूची जारी की थी जिन्हें चार अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया था।
हाल ही में विवाद के केंद्र में रहे जेएनयू और हैदराबाद विश्वविद्यालय केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की सूची में अव्वल रहे, जबकि आईआईटी मद्रास और आईआईएम बेंगलूर को तकनीकी और प्रबंधन श्रेणियों में शीर्ष वरीयता मिली।
आलोचकों का कहना है कि आईआईएम उदयपुर को आईआईएम कोझिकोड और आईआईएम इंदौर से उपर रखना हैरान करने वाला है। वहीं जामिया मिलिया इस्लामिया को 83वें स्थान पर रखना और जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय को 18वें स्थान पर रखना भी आश्चर्यचकित करता है।
जेएमआई के एक प्रोफेसर ने कहा, ‘‘आश्चर्य की बात है कि दिल्ली में डीयू और जेएनयू के बाद सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में गिने जाने वाले जामिया को इतने निचले स्तर पर 83वें नंबर पर रखा गया है। हमारे पास सीमित सीटों के लिए रिकॉर्ड आवेदन आते हैं। उन्होंने हमारे बारे में किस तरह फैसला किया?’’ जेएनयू के पूर्व कुलपति एस के सोपोरी के अनुसार कुछ मानदंड ‘बेतुके’ हैं और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को आगे रैंकिंग के लिए समीक्षा करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘मंत्रालय ने व्यापक विचार-विमर्श के बाद मानदंड तय किए लेकिन प्रारूप में कुछ बेतुके बिंदु थे, जिन्हें हम पूरे नहीं भर सकते थे। जैसे अतिथि शिक्षकों के ब्यौरे में एक हिस्से में उनका पैन नंबर पूछा गया था जो हमें खाली छोड़ना पड़ा।’’ सोपोरी ने कहा, ‘‘इसमें सुधार की गुंजाइश है और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को आगे वरीयता सूची के लिए मानदंड की समीक्षा करनी चाहिए। मेरा यह भी मानना है कि विश्वविद्यालयों के सामने रिकॉर्ड रखने का भी एक मुद्दा है। सारे विश्वविद्यालय इतनी गहराई से रिकॉर्ड नहीं रखते और इसलिए संभवत: रैंकिंग में पिछड़ गये हों।’’
एचआरडी मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि कुछ शीर्ष संस्थान रैंकिंग में इसलिए जगह नहीं बना सके क्योंकि उन्होंने प्रक्रिया में भाग नहीं लिया और कई मानदंडों के आधार पर निर्णय के लिए उन्होंने आंकड़े जमा नहीं किये। उन्होंने यह भी कहा कि जिन मानदंड और आंकड़ों के आधार पर फैसला किया गया है, वे भी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं।
बिजनेसवर्ल्ड, आउटलुक जैसे प्रमुख प्रकाशनों के लिए सालों तक विश्वविद्यालयों की वरीयता सूची निर्धारित करने वाली संस्था सीफोर के सीईओ प्रेमचंद पालेती ने कहा, ‘‘आईआईएम इंदौर और आईआईएम कोझिकोड दोनों के परिसर 100 एकड़ में फैले हैं, तो उन्हें उदयपुर के आईआईएम से नीचे कैसे रखा जा सकता है जिसमें केवल पांच कमरे हैं।’’ सरकार सीफोर के प्रमुख से भी प्रबंधन संस्थानों की वरीयता सूची के लिए सलाह ले चुकी है।
हालांकि आईआईएम उदयपुर के निदेशक जन्नत शाह ने कहा, ‘‘अनुसंधान पर हमारे जोर देने की वजह से हमें छोटा परिसर होने के बावजूद मदद मिली है।’’ एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी ने इस सप्ताह देश के 3500 विभिन्न संस्थानों की वरीयता सूची जारी की थी जिन्हें चार अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया था।
हाल ही में विवाद के केंद्र में रहे जेएनयू और हैदराबाद विश्वविद्यालय केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की सूची में अव्वल रहे, जबकि आईआईटी मद्रास और आईआईएम बेंगलूर को तकनीकी और प्रबंधन श्रेणियों में शीर्ष वरीयता मिली।
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