Budget 2023: मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को आगामी बजट से हैं काफी उम्मीदें, क्या वित्त मंत्री देंगी 'सौगात' ?

Budget 2023: मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में आज उद्यमियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है. उन्हें नया बिजनेस सेटअप करने के लिए कई बार समय पर बैंकों से क्रेडिट मिलने में देरी हो जाती है.

Budget 2023: मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को आगामी बजट से हैं काफी उम्मीदें, क्या वित्त मंत्री देंगी 'सौगात' ?

नई दिल्ली:

Budget 2023: आर्थिक विकास और रोजगार के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को आगामी बजट से काफी उम्मीदे हैं. इस सेक्टर को लग रहा है कि वित्त मंत्री बजट 2023 में नई घोषणाएं कर सकती हैं. देश की कुल GDP में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का हिस्सा 17% है.भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की जद्दोजहद में जुटी सरकार GDP में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के शेयर को 25% तक बढ़ाने की तैयारी में है.

बुलंदशहर रोड इंडस्ट्रियल एरिया में हाईटेक ऑटोमेटेड प्रोडक्ट्स बनाने वाली तोशी आटोमेटिक सिस्टम्स कंपनी की फैक्ट्री में मेट्रो रेल के लिए नए ऑटोमेटिक एंट्री गेट से लेकर कई हाई एन्ड ऑटोमेटेड इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स तैयार करने का काम चल रहा है.

कोरोना संकट के दौरान ये सेक्टर 2 साल तक बुरी तरह से प्रभावित हुआ था. अब उद्यमी संजीव सचदेव अगले 4 साल में ढाई सौ करोड़ का निवेश करने की तैयारी कर रहे हैं. कहते हैं नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के लिए बैंकों से कैपिटल मिलना मुश्किल हो रहा है.

संजीव सचदेव( प्रबंध निदेशक, तोशी ऑटोमैटिक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड) ने कहा कि मैंने उत्तर प्रदेश सरकार को 35 करोड़ के नए निवेश का प्लान दिया है. मैं 15000 स्क्वायर मीटर की एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट सेट अप करना चाहता हूं. इसके लिए जमीन खरीदने के लिए मुझे 15 से 20 करोड़ रुपए चाहिए.कोई भी बैंक जमीन खरीदने के लिए आसान शर्तों पर हमें क्रेडिट नहीं देता है.

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में आज उद्यमियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है. उन्हें नया बिजनेस सेटअप करने के लिए कई बार समय पर बैंकों से क्रेडिट मिलने में देरी हो जाती है. ऐसे में उन्हें सरकार से उम्मीद है कि वित्त मंत्री बजट 2023 में एक नई नीति का ऐलान करें जिससे कि आसान शर्तों पर उन्हें बैंकों से क्रेडिट मिल सके.

गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर मंदी का साया गहराता जा रहा है .इस वजह से मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट दिसंबर 2021 के मुकाबले दिसंबर 2022 में करीब 12 फ़ीसदी घट गया है. ऐसे में एक्सपोर्ट मैन्युफैक्चरिंग यूनिट भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रोडक्ट की बेहतर मार्केटिंग के लिए सरकार से मदद चाहते हैं. इस चुनौती को देखते हुए बजट 2023 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर सरकार का विशेष फोकस रह सकता है.

बता दें कि अब तक सरकार ने 14 अहम सेक्टर्स में निवेश को आकर्षित करने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (PLI)लांच की है. इसके लिए टोटल बजट 1.97 लाख करोड़ निर्धारित किया गया है. सरकार का फोकस भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने और एक्सपोर्ट की क्षमता भी बढ़ाने पर है.

उधर, उद्योग जगत चाहता है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नए निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए बजट 2023 में वियोजना की अवधि और बढ़ाई जाए.इससे रोज़गार की चुनौती से निपटने में भी मदद मिलेगी.

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डीडी गोयल (एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (फाइनेंस), मारुती सुज़ूकी) ने एनडीटीवी से कहा कि सरकार ने अक्टूबर 2019 में एक नए नोटिफिकेशन के ज़रिये एक इंसेंटिव स्कीम लांच की थी जिसके तहत नए मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स पर कोरपोरेट टैक्स सिर्फ 15% टैक्स लगाने का ऑफर था. लेकिन दुर्भाग्यवस इस नोटिफिकेशन के जारी होने के ठीक बाद कोरोना का दौर आ गया और दो साल कोई गतिविधि नहीं हो पाई. हमने सरकार से गुज़ारिश की है की इस सुविधा को अगर मार्च 2025 तक बढ़ा दिया जाए क्योंकि कॉमर्शियल प्रोडक्शन शुरू होने में टाइम लगता है.