डिजिटल लेन-देन की सुविधा देने वाली मोबाइल वॉलेट कंपनी पेटीएम ने दावा किया है कि 48 ग्राहकों ने उसके साथ 6.15 लाख रुपये की धोखाधड़ी की है. सीबीआई ने मामला दर्ज कर लिया है.
यह अनूठी बात है कि किसी कंपनी की शिकायत पर ही सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर ली है. आमतौर पर वह केंद्र सरकार, उच्च्तम न्यायालय या किसी उच्च न्यायालय के निर्देश पर ही मामला दर्ज करती है.
सीबीआई ने दिल्ली के कालकाजी, गोविंदपुरी व साकेत में रहने वाले 15 ग्राहकों तथा पेटीएम की पैतृक कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.
कंपनी के विधि प्रबंधक एम शिवकुमार ने इस बारे में शिकायत की है. इसमें कहा गया है कि कंपनी किसी ग्राहक को मिले खराब उत्पाद के लिए भुगतान करती है और खराब उत्पाद को मंगवाकर वापस मर्चेंट के पास भेजती है. यह काम कंपनी के कुछ चुनिंदा ग्राहक सेवा अधिकारियों द्वारा किया जाता है जिन्हें विशिष्ट आईडी व पासवर्ड दिए जाते हैं.
शिकायत के अनुसार 48 मामलों में पाया गया कि ग्राहकों को सामान की आपूर्ति हो गई. इसके बावजूद उन्हें रिफंड किया गया. यानी ग्राहकों को उनके ऑर्डर का सामान भी मिला और रिफंड भी. कंपनी को लगता है कि इसमें गड़बड़ है और जानबूझकर ऐसा कर कंपनी को नुकसान पहुंचाया गया है.
एक तरफ पीएम नरेंद्र मोदी डिजिटल इंडिया और नकदी रहित अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने में लगे हैं, ऐसे में ये खबर किसी झटके से कम नहीं है. कभी ग्राहकों के साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी की खबरें आती हैं तो कभी कंपनियों को चूना लगाने की.
हाल ही में चिपसेट मेकर कंपनी क्वालकॉम ने कहा था कि भारत में कोई भी मोबाइल ऐप सुरक्षित नहीं है. कंपनी का कहना है कि भारत में कोई भी ई-वॉलेट और मोबाइल बैंकिंग ऐप्लिकेशन हार्डवेयर लेवल सिक्योरिटी का इस्तेमाल नहीं करता है जिससे ऑनलाइन लेन-देन को अधिक सुरक्षित रखा जा सके.
क्वालकॉम के सीनियर डायरेक्टर प्रॉडक्ट मैनेजर ने कहा था कि दुनिया भर के अधिकतर बैंकिंग और वॉलेट ऐप्स हार्डवेयर सिक्योरिटी का इस्तेमाल नहीं करते. वे पूरी तरह एंड्रॉयड मोड में चलते हैं और यूजर्स के पासवर्ड को आसानी से चुराया जा सकता है. यूजर्स के फिंगरप्रिंट्स को भी कैप्चर किया जा सकता है. भारत में डिजिटल वॉलेट्स और मोबाइल बैंकिंग ऐप्स के लिए यह बड़ी चिंता है.
(इनपुट भाषा से...)