कांग्रेस, माकपा और तृणमूल कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों की आपत्तियों के बीच लोकसभा ने कारखाना संशोधन विधेयक को मंजूरी दी, जिसमें कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों की ओवरटाइम की अवधि 50 से बढ़ाकर 100 घंटे करने का प्रावधान किया गया है और यह स्वैच्छिक होगा.
सरकार ने आज कुछ दलों की अपत्तियों के बावजूद लोकसभा में विधेयक पेश किया. कांग्रेस और माकपा ने विधेयक को अनावश्यक और जल्दीबाजी में लाया गया बताते हुए सरकार से इसे वापस लेने और बाद में समग्र विधेयक लाने की मांग भी की.
विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए श्रम और रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने सदन में कहा कि विधेयक में उपबंध 64 और 65 में संशोधन के साथ ओवरटाइम बढ़ाने का प्रावधान अनिवार्य नहीं है और स्वैच्छिक है.
उन्होंने कहा कि कारखाने में काम करने वाला कर्मचारी तय करेगा कि उसे ओवरटाइम करना है या नहीं.
दत्तात्रेय ने कहा कि विधेयक में संबंधित संशोधन लाना समय की जरूरत इसलिए थी क्योंकि सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं ‘डिजिटल इंडिया’, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ आदि के लिहाज से निवेश बढ़ाने के लिए बड़ी श्रमशक्ति चाहिए होगी.
उन्होंने कहा कि ये संशोधन तत्काल जरूरी थे और बाद में समग्र विधेयक को सदन में लाया जाएगा. मंत्री के जवाब के बाद कुछ सदस्यों के संशोधनों को अस्वीकार करते हुए सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को पारित कर दिया. माकपा के शंकर प्रसाद दत्ता ने अपने संशोधन पर मत-विभाजन की मांग की जो 15 के मुकाबले 142 मतों से नामंजूर हो गया.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)