सरकार ने एयर इंडिया के पायलटों, इंजीनियरों और केबिन क्रु के वेतन ढांचे को तर्कसंगत बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
एयर इंडिया के इन कर्मचारियों का वेतन अब उद्योग के नियमों के अनुरूप तय होगा। इससे खस्ताहाली से गुजर रही इस विमानन कंपनी को सालाना करीब 320 करोड़ रुपये की बचत होगी।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में एयर इंडिया के पायलटों और केबिन क्रु तथा इंजीनियरों के वेतनमानों के पुनर्गठन प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।
विमानन कंपनी के इन लाइसेंसधारी कर्मचारियों के वेतनमानों के पुनर्गठन से इनके वेतनमानों में मूल वेतन में 10 से 20 प्रतिशत की कमी आ सकती है। हालांकि, उनके भत्तों में अब वृद्धि हो जाएगी।
न्यायमूर्ति डीएम धर्माधिकारी समिति ने एयर इंडिया के कर्मचारियों के वेतन और भत्तों को सार्वजनिक उपक्रम विभाग के दिशानिर्देशों के अनुरूप तय करते हुए मानव संसाधन से जुड़े सभी मुद्दों पर गौर किया। समिति ने वेतन और वरिष्ठता से जुड़े मामलों को भी देखा। समिति ने बाद में तय किया कि विमानन कंपनी के इन लाइसेंसधारक कर्मचारियों के वेतनमान भी उद्योग के मानकों के अनुरूप तय किए जाने चाहिए।
सार्वजनिक क्षेत्र की एयर इंडिया का सालाना वेतन बिल 3,200 करोड़ रुपये बैठता है, जिसमें से 1,750 करोड़ रुपये का वेतन लाइसेंस धारी श्रेणी के कर्मचारियों के हिस्से में जाता है।
धर्माधिकारी समिति की सिफारिशों के बाद सरकार ने एयर इंडिया कर्मचारियों का उत्पादकता से जुड़ा प्रोत्साहन समाप्त कर दिया। यह कदम पिछले साल जुलाई में उठाया गया। उत्पादकता से जुड़ा प्रोत्साहन इन कर्मचारियों के वेतन का बड़ा हिस्सा होता है।