केंद्रीय बजट 2025 को पेश होने में अब ज्यादा वक्त नहीं रह गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण फाइनेंशियल ईयर 2025 का बजट 1 फरवरी को पेश करेंगी. उनके सामने टैक्सपेयर्स सहित विभिन्न वर्गों की बढ़ती उम्मीदों को पूरा करना एक बड़ी चुनौती होगी. टैक्सपेयर्स की उम्मीदों को पूरा करने की चुनौती 2020 के बाद से और ज्यादा मुश्किल हो गई है, जब फाइनेंस मिनिस्टर सीतारमण ने न्यू टैक्स रिजीम शुरू करने और ओल्ड टैक्स रिजीम को भी जारी रखने का फैसला लिया.
टैक्सपेयर्स की क्या है परेशानी?
दो टैक्स रिजीम होने से, लगभग 9 करोड़ में से करीब 6.5 करोड़ इनकम टैक्सपेयर्स ने न्यू टैक्स रिजीम को चुना, और लगभग 2.5 करोड़ लोग अभी भी ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत अपना रिटर्न फाइल करते हैं. टैक्स फाइल करने के लिए दो ऑप्शन अवेलेबल होने की वजह से, टैक्सपेयर्स को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
टैक्सेशन के एक्सपर्ट CA (डॉ.) सुरेश सुराणा (Suresh Surana) ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस से मौजूदा सिस्टम से जुड़े इश्यू के बारे में बात की और इंडिविजुअल टैक्सेशन को सरल बनाने के उपाय बताए.
टैक्स सिस्टम की चुनौतियां
मौजूदा दो टैक्स सिस्टम की वजह से टैक्सपेयर्स को ओल्ड टैक्स रिजीम या नई डिफॉल्ट टैक्स रिजीम में से किसी एक को चुनना पड़ता है. सुराणा के मुताबिक, “ज्यादातर इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स, खास तौर पर नौकरीपेशा लोग, प्रोफेशनल लोगों की मदद लिए बिना अपनी टैक्स लायबिलिटी की कैलकुलेशन खुद करते हैं. ऐसे में कौन सी टैक्स रिजीम का विकल्प ज्यादा फायदेमंद है इसका चुनाव करना उनके लिए मुश्किल हो जाता है.”
सुराणा कहते हैं, "न्यू टैक्स रिजीम में हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम और सैलरीड इंडिविजुअल के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन जैसी कटौतियों का दावा नहीं किया जा सकता जिसकी वजह से अब भी कई टैक्सपेयर्स को ओल्ड टैक्स रिजीम ज्यादा आकर्षक लगती है."
यूनिफाइड टैक्स रिजीम का सुझाव
इन समस्याओं को देखकर टैक्स एक्सपर्ट्स एक यूनिफाइड टैक्स रिजीम का सुझाव दे रहे हैं, जिसमें ओल्ड और न्यू दोनों टैक्स रिजीम दोनों के फायदे शामिल हों.टैक्स एक्सपर्ट सुराणा ने एक ऐसे प्रोग्रेसिव टैक्स स्ट्रक्चर का प्रस्ताव रखा है जो ज्यादा इनकम वालों के लिए नए स्लैब पेश करता हो.
उदाहरण के तौर पर, 25 लाख रुपये से 30 लाख रुपये के बीच की इनकम के लिए 25% टैक्स रेट, जबकि 30 लाख रुपये से ऊपर की इनकम के लिए 30% के रेट को बरकरार रखने से काफी राहत मिल सकती है. इससे ज्यादा इनकम वाले लोगों पर फाइनेंशियल बर्डन कम होगा और अनुपालन को बढ़ावा मिलेगा.
टैक्स एग्जम्प्शन स्लैब को 25 लाख तक संशोधित करने की उम्मीद
जानकारों का कहना है उम्मीद है कि केंद्रीय बजट 2025 में इनकम टैक्स एग्जम्प्शन स्लैब को 25 लाख रुपये तक संशोधित किया जाए. इस कदम के काफी फायदे होंगे. मध्यम और उच्च-मध्यम वर्ग के एक बड़े वर्ग को टैक्स रिलीफ देकर, सरकार सीधे तौर पर खर्च करने योग्य इनकम को बढ़ावा दे सकती है. इससे कंज्यूमर को खर्च और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.
नई टैक्स रिजीम में ज्यादातर कटौतियों का फायदा नहीं
नई टैक्स रिजीम में ज्यादातर कटौतियों का फायदा नहीं मिलता, सुराणा ने कई प्रमुख छूटों और कटौतियों पर प्रकाश डाला जिन्हें इसकी अपील बढ़ाने के लिए बरकरार रखा जाना चाहिए या फिर से शुरू किया जाना चाहिए:
स्टैंडर्ड डिडक्शन (सेक्शन 16(ia)): ओल्ड टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत 50,000 रुपये की तुलना में न्यू टैक्स रिजीम मे 75,000 रुपये की बढ़ी हुई लिमिट से नौकरीपेशा लोगों को काफी फायदा होगा.
बता दें कि पिछले साल जुलाई में बजट के दौरान सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 75000 रुपये तक कर दिया. लेकिन ओल्ड टैक्स सिस्टम में अब भी स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट 50000 रुपये ही है.
फैमिली पेंशन (सेक्शन 57(ii)): सुराणा ने छूट की सीमा (Deduction Limit) को 15,000 रुपये (ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत) से बढ़ाकर 25,000 रुपये करने का सुझाव दिया.
दूसरी प्रमुख कटौतियां: उन्होंने सेक्शन 80CCH(2) के तहत अग्निवीर कॉर्पस फंड में कॉन्ट्रीब्यूशन और सेक्शन 80CCD(2) के तहत NPS में एम्पलॉयर कॉन्ट्रीब्यूशन के लिए कटौती को बनाए रखने की वकालत की.
न्यू टैक्स रिजीम में इन छूट को करना चाहिए शामिल
न्यू टैक्स रिजीम को ज्यादा टैक्सपेयर -फ्रेंडली बनाने के लिए, टैक्स एक्सपर्ट निम्नलिखित कटौतियां शुरू करने की सिफारिश करते हैं:
सेक्शन 80C (लाइफ इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट): न्यू टैक्स रिजीम में LIC प्रीमियम, PPF और NSC जैसे निवेश के लिए कटौती की इजाजत देने से वित्तीय सुरक्षा और बचत को बढ़ावा मिलेगा.
सेक्शन 80D (मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम): महामारी के बाद हेल्थ केयर के जरूरत पर रोशनी डालते हुए, सुराणा कहते हैं, "मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम पर टैक्स छूट की इजाजत देने से न्यू टैक्स रिजीम ज्यादा अट्रैक्टिव हो जाएगी."
सेक्शन 80EEB (इलेक्ट्रिक व्हीकल लोन इंटरेस्ट): इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर जोर देने के साथ, वह ईको-फ्रेंडली इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने के लिए न्यू टैक्स रिजीम में इस कटौती को शामिल करने का सुझाव देते हैं.
टैक्स एक्सपर्ट कहते हैं कि “हाउसिंग लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की इजाजत देने से नई टैक्स व्यवस्था को बड़े स्तर पर अपनाने के लिए बढ़ावा दिया जा सकेगा.”
बजट 2025 से टैक्सपेयर्स की उम्मीदें
इंडीविजुअल टैक्सपेयर्स इस बजट में टैक्सेशन को सरल बनाने वाले सुधारों की उम्मीद कर रहे हैं. सुराणा की सिफारिशें एक यूनिफाइड टैक्स सिस्टम की जरूरत की ओर इशारा करती हैं जो वित्तीय सुरक्षा और आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा देने के साथ-साथ मौजूदा चुनौतियों से निपट सके.ये उम्मीदें पूरी होंगी या नहीं, यह देखने के लिए 1 फरवरी तक का इंतजार करना होगा. अगर सरकार चाहती है कि ज्यादातर टैक्स पेयर्स न्यू टैक्स रिजीम का आपशन चुने तो इसके लिए कुछ बदलाव करने ही होंगे.