भारत पर ट्रंप का 50% टैरिफ बम, एक्सपोर्ट और GDP ग्रोथ पर कितना होगा असर? भारत के पास क्या-क्या विकल्प

US tariffs on India: टैरिफ वॉर के बीच भारत ने रूस के साथ ट्रेड रिलेशन मजबूत करने के लिए कई डील्स की हैं और पीएम मोदी जल्द ही सात साल बाद चीन यात्रा की तैयारी कर रहे हैं. घरेलू स्तर पर सरकार 2.8 बिलियन डॉलर के पैकेज पर काम कर रही है ताकि एक्सपोर्टर्स को राहत मिल सके.

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Trump tariffs India: ट्रंप के 50% टैरिफ झटके के बीच भारत अपनी स्थिति संभालने के लिए अलग-अलग रास्ते तलाश रहा है.
नई दिल्ली:

इस हफ्ते भारत पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का  टैरिफ बम गिरने जा रहा है. बुधवार, 27 अगस्त से भारत से अमेरिका जाने वाले कई प्रोडक्ट्स पर 50% तक का टैक्स लगने वाला है. यह फैसला तब आया है जब अमेरिका ने साफ कहा कि भारत रूस से तेल खरीदकर अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध को फाइनेंस कर रहा है.

ट्रंप टैरिफ का भारत पर कितना बड़ा असर होगा?

अमेरिका 2024 में भारत का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन रहा, जहां भारत ने 87.3 बिलियन डॉलर का सामान भेजा था. अब अगर 50% ड्यूटी लगती है तो नोमु्रा के एनालिस्ट का कहना है कि यह किसी ट्रेड एम्बार्गो जैसा होगा. जो छोटे और मिड-साइज बिजनेस के लिए भारी झटका साबित होगा, खासकर टेक्सटाइल, सीफूड और ज्वेलरी इंडस्ट्री सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. 

कई कंपनियों को अमेरिका से ऑर्डर कैंसिल होने लगे हैं और यह बिजनेस अब बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों के पास जा रहा है.

जीडीपी ग्रोथ को भी लगेगा झटका?

इकोनॉमिस्ट का अनुमान है कि भारत की जीडीपी ग्रोथ पर 70 से 100 बेसिस प्वाइंट यानि 0.70% से 1% तक का असर पड़ सकता है. इससे ग्रोथ 6% से नीचे जा सकती है, जो कोविड महामारी के बाद सबसे कमजोर होगी.

यूएस टैरिफ से किस सेक्टर को राहत?

फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को अभी राहत मिली है. iPhone जैसे प्रोडक्ट्स जो भारत में असेंबल होते हैं, उन पर टैरिफ लागू नहीं होगा. रेटिंस एजेंसी S&P का अनुमान है कि यह झटका करीब 1.2% जीडीपी के बराबर एक्सपोर्ट को प्रभावित करेगा, लेकिन यह वन-ऑफ शॉक होगा और लंबे समय में भारत की ग्रोथ स्टोरी को पटरी से नहीं उतारेगा.

ट्रंप के आरोप पर भारत का पलटवार

व्हाइट हाउस का आरोप है कि भारत रूस से सस्ता क्रूड खरीदकर उसे प्रोसेस करके अमेरिका और यूरोप को बेचता है, जिससे रूस को डॉलर मिलते हैं. वहीं  इस आरोप पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पलटवार करते हुए कहा कि भारत ने तेल खरीदकर ग्लोबल ऑयल मार्केट को स्टेबल किया है और अमेरिका-यूरोप खुद भारत से रिफाइंड प्रोडक्ट खरीदते हैं.


भारत के पास क्या है विकल्प ?

ट्रंप के 50% टैरिफ झटके के बीच भारत अपनी स्थिति संभालने के लिए अलग-अलग रास्ते तलाश रहा है. रूस के साथ नई डील्स करके ट्रेड को बढ़ाने की कोशिश हो रही है, वहीं पीएम मोदी करीब सात साल बाद चीन यात्रा की तैयारी कर रहे हैं ताकि रिश्तों में सुधार लाया जा सके. 

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एक्सपोर्टर्स के लिए 2.8 बिलियन डॉलर का राहत पैकेज 

घरेलू मोर्चे पर सरकार 2.8 बिलियन डॉलर के पैकेज पर काम कर रही है, जिससे एक्सपोर्टर्स को राहत मिले और उनकी लिक्विडिटी दिक्कतें कम हो सकें. माना जा रहा है कि टैक्स कट्स और कंज्यूमर स्पेंडिंग बढ़ाकर ग्रोथ को भी सपोर्ट करने की योजना बनाई जा रही है.

फिलहाल तो यही लग रहा है कि ट्रंप के 50% टैरिफ का भारत के एक्सपोर्ट और ग्रोथ दोनों पर सीधा असर दिखेगा. अब नजर इस बात पर है कि क्या आखिरी समय में कोई डील होती है या भारत को यह भारी मार झेलनी होगी.

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