अदाणी समूह (Adani Group) की कंपनियों के शेयरों के ज़रिये मुनाफ़ा कमाने के उद्देश्य से पिछले साल जनवरी में भ्रामक रिपोर्ट जारी करने को लेकर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च के साथ-साथ नाथन एंडरसन और मॉरीशस स्थित FPI मार्क किंगडन को Show Cause Notice जारी किया है. SEBI के मुताबिक, हिंडनबर्ग रिसर्च और FPI ने भ्रामक डिस्क्लेमर जारी कर कहा था कि उनकी रिपोर्ट सिर्फ़ भारत के बाहर कारोबार करने वाली सिक्योरिटीज़ के वैल्यूएशन के लिए थी, लेकिन रिपोर्ट साफ़-साफ़ भारत में लिस्टेड कंपनियों से जुड़ी थी.
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अदाणी ग्रुप को मिली क्लीन चिट पर जनवरी, 2024 में SC की मुहर
इससे पहले, हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर एक्सपर्ट कमेटी और SEBI द्वारा कई महीनों तक की गई जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट भी इसी साल जनवरी में अदाणी ग्रुप को मिली क्लीन चिट पर मुहर लगा चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कहा था कि SEBI की जांच नियमों के तहत की गई है, और उसमें कतई कोई खामी नहीं, इसलिए इस मामले की जांच SIT से करवाने का औचित्य नहीं बचा है. सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट और उससे मुनाफ़ा कमाने की हरकत को लेकर अमेरिकी शॉर्ट सेलर को फटकार भी लगाई थी.
SC ने कहा था, जांच को किसी अन्य एजेंसी को देने का औचित्य नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने जांच को किसी केंद्रीय जांच एजेंसी को स्थानांतरित करने से भी इंकार किया था, और कहा था कि अब याचिकाकर्ताओं को ठोस सबूत प्रस्तुत करने होंगे कि SEBI और एक्सपर्ट कमेटी ने पक्षपातपूर्ण तरीके से जांच की. इस फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और SEBI को आदेश दिया था कि भारतीय निवेशकों के हित मज़बूत करने के लिए विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर काम किया जाए.
समाचारपत्र रिपोर्टों, बाहरी संगठनों पर विश्वास करना सही नहीं : SC
सुप्रीम कोर्ट का कहना था, हमें SEBI की दलीलें तर्कपूर्ण लगीं, और विधायी शक्तियों में हमारे हस्तक्षेप का कोई कारण नहीं दिखा. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, वैधानिक नियामकों पर सवाल उठाने के लिए समाचारपत्रों की रिपोर्टों और बाहरी संगठनों पर विश्वास करना सही नहीं. ऐसी रिपोर्टों को इनपुट माना जा सकता है, लेकिन SEBI की जांच पर शक करने के लिए निर्णायक सबूत नहीं माना जा सकता.
2 मार्च, 2023 को दिए गए थे जांच के आदेश
दरअसल, जनवरी, 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट और अदाणी ग्रुप के जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट में 4 PIL, यानी जनहित याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिनमें अदाणी ग्रुप के ख़िलाफ़ जांच के आदेश जारी करने की अपील की गई थी. इन्हीं याचिकाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च, 2023 को SEBI को अदाणी ग्रुप के डिस्क्लोज़र और शेयरों के भाव में हेरफेर के आरोपों की जांच करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने अपने आदेश में साफ़ कहा था कि SEBI अदाणी ग्रुप द्वारा मौजूदा नियमों के उल्लंघन के आरोपों की जांच करे.
25 अगस्त, 2023 को SEBI ने अदाणी ग्रुप को दी थी क्लीन चिट
SEBI को इस जांच की रिपोर्ट 2 माह में सौंपने का आदेश दिया गया था, लेकिन SEBI ने अप्रैल, 2023 में कोर्ट से 6 माह का वक्त मांगा था. इसके बाद, कोर्ट ने SEBI को जांच के लिए 14 अगस्त, 2023 तक का वक्त दिया था, और 14 अगस्त को SEBI ने 15 अतिरिक्त दिनों की मांग की. तत्पश्चात, 25 अगस्त, 2023 को सौंपी रिपोर्ट में SEBI ने बताया था कि 24 में से 22 मामलों की जांच पूरी कर ली गई है, और दो मामलों की जांच विदेशी संस्थाओं की ओर से हो रहे विलंब की वजह से पूरी नहीं हो सकी है.
शुरू से ही हिंडनबर्ग के आरोपों को बेबुनियाद बताता रहा था अदाणी समूह
अदाणी समूह पिछले साल हिंडनबर्ग की रिपोर्ट जाी होने के बाद से ही रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को मनगढ़ंत और बेबुनियाद बताता रहा है, और समूह ने इस रिपोर्ट को भारत की तरक्की पर हमला करार दिया था. अब एक्सपर्ट कमेटी और SEBI की जांच में हिंडनबर्ग के सभी आरोप गलत साबित होने के बाद ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने समूह की फ़्लैगशिप कंपनी अदाणी एंटरप्राइज़ेज़ की सालाना आम बैठक में शॉर्टसेलर के हमले का ज़िक्र करते हुए कहा कि समूह इस हमले से ज़्यादा मज़बूत होकर उबरा है, और इससे साबित होता है कि किसी भी तरह की कोई भी चुनौती समूह की मूलभूत मज़बूती को कमज़ोर नहीं कर सकती है. उन्होंने कहा था, "कामयाबी का असल पैमाना ही विपरीत हालात में मज़बूती से खड़े रहने की क्षमता होता है..."
(Disclaimer: New Delhi Television is a subsidiary of AMG Media Networks Limited, an Adani Group Company.)