- भारतीय बाजार में चांदी की कीमतें 2.54 लाख रुपये प्रति किलो के ऐतिहासिक शिखर तक पहुंचीं, फिर अचानक गिर गईं
- शांति की उम्मीदों और यूक्रेन विवाद में सकारात्मक बातचीत से निवेशक जोखिम भरे विकल्पों की ओर बढ़े
- अमेरिकी डॉलर की मजबूती और बॉन्ड यील्ड में सुधार ने चांदी की अंतरराष्ट्रीय मांग को प्रभावित किया है
Why Silver Prices Crashed: सोमवार को भारतीय सर्राफा बाजार में चांदी की कीमतों ने वो मंजर देखा जिसे देखकर निवेशक दंग रह गए. सुबह जिस चांदी ने 2.54 लाख का ऐतिहासिक शिखर छूकर जश्न मनाया था, दोपहर होते-होते उसी ने ऐसी गोता लगाई कि सिर्फ एक घंटे के अंदर 21 हजार रुपये प्रति किलो साफ हो गए. इस खबर में आपको उन 6 बड़ी वजहों के बारे में बताते हैं, जिसकी वजह से चांदी का पारा अचानक गिर गया.
शांति की बात और सेफ हैवन डिमांड में कमी
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच पॉजिटिव बातचीत की खबरें आईं. जब भी दुनिया में शांति की उम्मीद जगती है, निवेशक सोने-चांदी जैसे सुरक्षित निवेश से पैसा निकालकर शेयर बाजार जैसे जोखिम भरे विकल्पों में लगाने लगते हैं.
भारी मुनाफावसूली
चांदी इस साल की सुपरस्टार रही है, जिसने 150% से ज्यादा का रिटर्न दिया है. जब कीमतें 2.54 लाख रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचीं, तो बड़े ट्रेडर्स और फंड हाउस ने अपना मुनाफा पक्का करने के लिए ताबड़तोड़ बिकवाली शुरू कर दी.
CME ने की मार्जिन में बढ़ोतरी
शिकागो मर्केंटाइल एक्सचेंज (CME) ने चांदी के फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट के लिए मार्जिन मनी बढ़ा दी है. अब ट्रेडर्स को पोजीशन बनाए रखने के लिए ज्यादा कैश जमा करना होगा. इस सख्ती की वजह से कई छोटे और मंझोले ट्रेडर्स को अपनी पोजीशन काटनी पड़ी, जिससे बिकवाली का दबाव और बढ़ गया.
पैराबोलिक पॉजिशन का असर
मार्केट एक्सपर्ट्स के अनुसार, चांदी की बढ़त पैराबोलिक (एकदम सीधी खड़ी लकीर जैसी) हो गई थी. इतिहास गवाह है कि जब भी कीमतें अपने 200-दिन के औसत से बहुत ऊपर निकल जाती हैं, तो उनमें एक तेज गिरावट जरूर आती है. टेक्निकल चार्ट्स पर चांदी ओवरहीट हो चुकी थी.
तूफानी तेजी का असर
पिछले शुक्रवार को चांदी में 10% का एकतरफा उछाल आया था. जानकारों का मानना है कि यह एक ब्लो ऑफ टॉप (आखिरी बड़ी तेजी) था, जिसके बाद अक्सर बाजार में बड़ा करेक्शन आता है. साल 1987 में भी ऐसा ही हुआ था, जब 10% की तेजी के बाद कीमतें 25% गिर गई थीं.
डॉलर और यील्ड में मजबूती
ग्लोबल मार्केट में अमेरिकी डॉलर की मजबूती और बॉन्ड यील्ड में सुधार ने भी चांदी की चमक कम कर दी. जब डॉलर मजबूत होता है, तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमोडिटीज, जैसे सोना-चांदी महंगी हो जाती हैं, जिससे उनकी डिमांड घटती है.
एक्सपर्ट ने निवेशकों को अलर्ट करते हुए कहा है कि इतिहास बताता है चांदी की ऐसी तूफानी बढ़त का अंत अक्सर बहुत तेज गिरावट के साथ होता है. ऐसे में निवेशकों को सावधानी बरतने की जरूरत है.













