अनिल अंबानी की रिलायन्स पॉवर पर 3 साल का बैन, फर्ज़ी बैंक गारंटी देने पर हुई कार्रवाई

SECI ने गुरुवार को एक बयान जारी कर बताया कि बोली के आखिरी राउंड में कंपनी की ओर से फर्ज़ी बैंक गारंटी दी गई, जिसके बाद इन कंपनियों को बैन किया गया है. न्यू और रिन्यूएबल एनर्जी मिनिस्ट्री की इकाई SECI ने रिलायन्स पॉवर की सब्सिडिरी कंपनी की ओर से बैंक गारंटी में गड़बड़ियां मिलने पर आखिरी राउंड की बोली को रद्द कर दिया था.

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अनिल अंबानी की कंपनियों ने टेंडर के लिए फर्ज़ी बैंक गारंटी जमा कराई थी...
नई दिल्ली:

सोलर एनर्जी कॉर्प ऑफ़ इंडिया (SECI) ने व्यवसायी अनिल अंबानी (Anil Ambani) की कंपनी रिलायन्स पॉवर (Reliance Power Ltd) और उसकी सब्सिडिरी कंपनियों पर किसी भी भावी टेंडर के लिए बोली लगाने पर तीन साल के लिए पाबंदी लगा दी है.

फर्ज़ी बैंक गारंटी देने पर की गई कार्रवाई

SECI ने यह कार्रवाई इसलिए की है, क्योंकि अनिल अंबानी की कंपनियों ने टेंडर के लिए फर्ज़ी बैंक गारंटी जमा कराई थी. SECI ने गुरुवार को एक बयान जारी कर बताया कि बोली के आखिरी राउंड में कंपनी की ओर से फर्ज़ी बैंक गारंटी दी गई, जिसके बाद इन कंपनियों को बैन किया गया है. न्यू और रिन्यूएबल एनर्जी मिनिस्ट्री की इकाई SECI ने रिलायन्स पॉवर की सब्सिडिरी कंपनी की ओर से बैंक गारंटी में गड़बड़ियां मिलने पर आखिरी राउंड की बोली को रद्द कर दिया था.

SECI ने नोटिस में कहा है कि बिडर महाराष्ट्र एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड, जो अब रिलायन्स NU BESS लिमिटेड है, ने जो दस्तावेज़ जमा किए थे, उनकी जांच की गई, जिसके आधार पर पता चला कि टेंडर के लिए जो ज़रूरी बैंक गारंटी (जिसे एक विदेशी बैंक ने जारी किया था) दी गई थी, वह फर्ज़ी थी. अब चूंकि यह गड़बड़ी ई-रिवर्स नीलामी के बाद पाई गई थी, इसलिए SECI को टेंडर की प्रक्रिया को रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

टेंडर की शर्तों के मुताबिक नकली डॉक्यूमेंट पेश करने की वजह से बिडर SECI के भविष्य में आने वाले टेंडर के लिए बोली नहीं लगा सकेगा. बिडर कंपनी रिलायन्स पॉवर की सब्सिडिरी कंपनी है, इसने पेरेंट कंपनी की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए वित्तीय योग्यता आवश्यकताओं को पूरा किया था.

मामले की गहन जांच करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचा गया कि बिडर कंपनी की ओर से किए गए सभी कमर्शियल और स्ट्रैटेजिक फैसले पेरेंट कंपनी की ओर से हुए थे. इसी को आधार बनाते हुए रिलायन्स NU BESS और रिलायन्स पॉवर लिमिटेड (इसकी सब्सिडिरी कंपनियों सहित) को भविष्य के सभी टेंडरों में भाग लेने से रोक दिया गया है. यह बैन 3 साल तक के लिए रहेगा.

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