RBI-MPC मीटिंग शुरू... क्‍या रेपो रेट में होगी कटौती? जानिए कितना सस्‍ता हो जाएगा लोन 

अब तक ब्‍याज दरों में इस साल 1 फीसदी की कटौती की जा चुकी है. जो ब्‍याज दर 2025 की शुरुआत में 6.5 फीसदी थी, वो अब 5.5 फीसदी पर आ गई है.  

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की मीटिंग आज 3 दिसंबर, बुधवार से 5 दिसंबर शुक्रवार तक चलेगी और गवर्नर संजय मल्‍होत्रा शुक्रवार को ही मीटिंग में लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी देंगे. उम्‍मीद की जा रही है कि केंद्रीय बैंक रेपो रेट में 25 बेसिस प्‍वाइंट की कटौती कर सकता है. ऐसा हुआ तो रेपो रेट लिंक्‍ड लोन जैसे होम लोन, कार लोन वगैरह सस्‍ते हो जाएंगे. इससे पहले अक्‍टूबर में हुई MPC मीटिंग में RBI ने रेपो रेट 5.5 फीसदी पर स्थिर रखा था और उससे पहले अगस्‍त में भी MPC कमेटी ने दरें स्थिर रखी थीं. 

इस साल केंद्रीय बैंक 3 बार रेपो रेट में कटौती कर चुका है. फरवरी MPC मीटिंग में दरों में 25 बेसिस प्‍वाइंट (0.25%) की कटौती की थी. फिर अप्रैल में केंद्रीय बैंक ने इसमें और 25 बेसिस प्‍वाइंट की कटौती की. और एक बार फिर जून में हुई मीटिंग में बड़ी कटौती (50 बेसिस प्‍वाइंट/0.50%) की गई थी. इस तरह अब तक ब्‍याज दरों में इस साल 1 फीसदी की कटौती की जा चुकी है. जो ब्‍याज दर 2025 की शुरुआत में 6.5 फीसदी थी, वो अब 5.5 फीसदी पर आ गई है.  

ग्रोथ के आंकड़े कटौती के पक्ष में 

आरबीआई एमपीसी की बैठक ऐसे समय में हो रही है जब मुद्रास्फीति ऑल-टाइम लो पर बनी हुई है और जीडीपी ग्रोथ की गति तेज बनी हुई है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में रियल जीडीपी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत दर्ज की गई है, जो कि वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही में 5.6 प्रतिशत दर्ज की गई थी. इसके अलावा, इस वर्ष अक्टूबर में मुद्रास्फीति में भी नरमी आई है, जो इकोनॉमी के मजबूत फंडामेंटल और प्रभावी प्राइस मैनेजमेंट उपायों को दिखाती है.

RBI गवर्नर ने दिए थे संकेत 

केंद्रीय बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 24 नवंबर को कहा था कि अनुकूल व्यापक आर्थिक संकेतकों के कारण दिसंबर में होने वाली अगली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो रेट में कटौती संभव है. इससे विकास को बढ़ावा मिलेगा.उन्‍होंने बताया था, 'अक्टूबर में मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) ने कहा था कि ब्याज दरों में एक और अतिरिक्त कटौती की स्थिति बन रही है. उसके बाद जो भी डेटा अब तक आया है उसने इस स्थिति को नहीं बदला है. हालांकि, ब्याज दरों में कटौती पर आखिरी फैसला दिसंबर में होने वाली एमपीसी की बैठक में लिया जाएगा.'

उनके मुताबिक, केंद्रीय बैंक के दो दायित्व हैं. पहला मूल्य स्थिरता बनाए रखना और दूसरा विकास की गति को बनाए रखना. आरबीआई गवर्नर ने कहा था, 'हम ग्रोथ के मामले में न तो आक्रामक हैं और न ही रक्षात्मक.' 

क्‍या है एक्‍सपर्ट्स की राय? 

बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा, "मौद्रिक नीति फॉरवर्ड लुकिंग होती है और चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही और वित्त वर्ष 27 में मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत से अधिक बनी रहने की संभावना है, जिससे रियल रेपो रेट 1-1.5 प्रतिशत के बीच रहेगी. क्योंकि पॉलिसी रेट फेयर लेवल पर दिख रही है. ऐसे में इन परिस्थितियों में हमें नहीं लगता कि नीतिगत दर में कोई बदलाव होना चाहिए."

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इसी तरह, एसबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ दिनों पहले तक रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की उम्मीदें लग रही थीं, लेकिन चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के मजबूत जीडीपी आंकड़े और बदलते परिदृश्य को देखते हुए दिसंबर में नीतिगत दरों में किसी भी तरह के बदलाव की स्थिति नजर नहीं आती.

एसबीआई का मानना है कि आरबीआई को यील्ड पर संयमित प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए लिक्विडिटी उपायों के जरिए तटस्थ रुख के साथ कैलिब्रेटेड ईजिंग सुनिश्चित करनी पड़ सकती है. महंगाई निकट भविष्य में लक्ष्य से काफी नीचे रहने वाली है इसलिए एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च का अनुमान है कि आरबीआई 5 दिसंबर को अपने एमपीसी के फैसले के साथ रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकता है, जिससे रेपो रेट वर्तमान के 5.50 प्रतिशत से कम होकर 5.25 प्रतिशत रह जाएगी.

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