क्रॉनिक थेरेपी में तेजी से अप्रैल में भारतीय फार्मा मार्केट की ग्रोथ 7.4%, घरेलू कंपनियों का दबदबा बरकरार

अप्रैल 2025 में घरेलू फार्मा कंपनियों (Indian pharma companies) ने मल्टीनेशनल कंपनियों (MNCs) के मुकाबले ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया. IPM में भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी 83% रही, जबकि बाकी हिस्सेदारी MNCs के पास रही.

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Pharma Market Growth: अप्रैल में एक्यूट ट्रीटमेंट यानी मौसमी बीमारियों से जुड़ी दवाओं की सेल्स में 6% की ग्रोथ हुई.
नई दिल्ली:

अप्रैल 2025 में भारतीय फार्मा मार्केट (IPM) ने सालाना आधार पर 7.4% की ग्रोथ दर्ज की है. इस तेजी का सबसे बड़ा कारण क्रॉनिक थेरेपी जैसे हार्ट, सीएनएस (सेंट्रल नर्वस सिस्टम) और रेस्पिरेटरी यानी सांस से जुड़ी बीमारियों के इलाज की मांग में बढ़ोतरी रही.

एक्यूट और क्रॉनिक ट्रीटमेंट दोनों ने किया बेहतर प्रदर्शन

अप्रैल में एक्यूट ट्रीटमेंट यानी मौसमी बीमारियों से जुड़ी दवाओं की सेल्स में 6% की ग्रोथ हुई. वहीं, क्रॉनिक ट्रीटमेंट की दवाओं में 9% की सालाना बढ़ोतरी देखी गई, जो बीते कुछ समय में अच्छी रिकवरी का संकेत देती है. मार्च 2025 में फार्मा मार्केट की ग्रोथ 9.3% रही थी, जबकि अप्रैल 2024 में ये 9% थी.

दवाओं की कीमत, नए लॉन्च और वॉल्यूम ने की ग्रोथ में मदद

अप्रैल 2025 में IPM की सालाना ग्रोथ में तीन फैक्टर ने बड़ा रोल निभाया.दवाओं की कीमतों में 4.3% का योगदान रहा, नए लॉन्च से 2.3% और वॉल्यूम ग्रोथ यानी ज्यादा दवा बिकने से 1.3% का योगदान मिला.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि मूविंग एवरेज टोटल (MAT) के हिसाब से इंडस्ट्री ने 7.9% की सालाना ग्रोथ दर्ज की है. अप्रैल 2025 में एक्यूट सेगमेंट का IPM में हिस्सा 61% रहा और इसमें भी 7.9% की ग्रोथ देखने को मिली.

कार्डियक, गैस्ट्रो, कीमोथेरेपी और यूरोलॉजी सेगमेंट में दमदार बढ़त

कुछ खास सेगमेंट्स में जबरदस्त ग्रोथ देखने को मिली. कार्डियक सेगमेंट में 11.3%, गैस्ट्रो में 9.4%, कीमोथेरेपी ड्रग्स यानी एंटीकैंसर दवाओं में 12.6% और यूरोलॉजी में 13.1% की ग्रोथ देखी गई.

घरेलू कंपनियों का प्रदर्शन मल्टीनेशनल कंपनियों से बेहतर

अप्रैल 2025 में घरेलू फार्मा कंपनियों ने मल्टीनेशनल कंपनियों (MNCs) के मुकाबले ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया. IPM में भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी 83% रही, जबकि बाकी हिस्सेदारी MNCs के पास रही. मार्च में भी इंडियन फार्मा कंपनियों की ग्रोथ रेट 7.4% रही, जो MNCs के बराबर ही थी लेकिन बाजार में हिस्सेदारी के मामले में वो काफी आगे रहीं.

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