भारत का नेट डायरेक्ट टैक्स (Net Direct Tax collections) कलेक्शन मौजूदा वित्त वर्ष (2024-25) में अब तक 15% बढ़कर 17.78 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष (2023-24) की इसी अवधि में यह आंकड़ा 15.51 लाख करोड़ रुपये था. वहीं, ग्रॉस डायरेक्ट टैक्स (Gross Direct Tax) कलेक्शन में 19.06% की बढ़त हुई और यह 21.88 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया, जो पिछले साल की इसी अवधि में 18.38 लाख करोड़ रुपये था.
पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन 21% बढ़ा
नॉन-कॉरपोरेट टैक्स (Non-Corporate Tax) कलेक्शन, जिसमें मुख्य रूप से पर्सनल इनकम टैक्स (Personal Income Tax) शामिल होता है, 21% बढ़कर 9.48 लाख करोड़ रुपये हो गया है. कॉरपोरेट टैक्स (Corporate Tax) कलेक्शन में भी 6% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई और यह 7.78 लाख करोड़ रुपये पार कर गया.
शेयर बाजार से सरकार को बड़ा फायदा, STT कलेक्शन 65% उछला
शेयर बाजार में बढ़ती हलचल से सरकार को भी बड़ा फायदा हुआ है. सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (Securities Transaction Tax STT) कलेक्शन मौजूदा वित्त वर्ष में 65% बढ़कर 49,201 करोड़ रुपये हो गया है.इससे साफ है कि लोग शेयर बाजार (Stock Market) में ज्यादा निवेश कर रहे हैं, जिससे सरकार को भी अधिक टैक्स मिल रहा है.
टैक्सपेयर्स को 4.10 लाख करोड़ रुपये के रिफंड जारी
सरकार ने टैक्सपेयर्स (Taxpayers) को 4.10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के टैक्स रिफंड (Tax Refund) जारी किए हैं.
यह राशि पिछले साल की तुलना में 42.63% ज्यादा है, जो बताता है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) अब तेजी से रिफंड प्रोसेस (ITR Refund) कर रहा है.
आगे क्या है सरकार का प्लान?
सरकार ने इस साल डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का संशोधित लक्ष्य (Revised Target) 22.37 लाख करोड़ रुपये रखा है, जो कि पहले के 22.07 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से ज्यादा है.
- इन्कम टैक्स (Income Tax) कलेक्शन का अनुमान – 12.57 लाख करोड़ रुपये
- कंपनी टैक्स (Corporate Tax) का लक्ष्य घटा – अब 9.80 लाख करोड़ रुपये
- एसटीटी (Securities Transaction Tax STT) कलेक्शन का अनुमान – पहले 37,000 करोड़ था, अब बढ़कर 55,000 करोड़ रुपये कर दिया गया.
इकोनॉमी को कैसे मिलेगा फायदा?
- आर्थिक मजबूती: टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी से सरकार के पास बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट (Infrastructure Projects) और वेलफेयर स्कीम (Welfare Schemes) पर खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा होगा.
- फिस्कल डेफिसिट (Fiscal Deficit) पर नियंत्रण: सरकार को कम कर्ज लेना पड़ेगा, जिससे बैंकों के पास कंपनियों को लोन देने के लिए ज्यादा फंड रहेगा.
- महंगाई पर कंट्रोल: अगर फिस्कल डेफिसिट (Fiscal Deficit) कम रहेगा, तो महंगाई (Inflation) भी काबू में रहेगी.
भारत की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) तेजी से बढ़ कर रही है, जिससे टैक्स कलेक्शन भी बढ़ रहा है. इन आंकड़ों से साफ है कि सरकार की नीतियां अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में सफल हो रही हैं. बढ़ता टैक्स कलेक्शन, शेयर बाजार में तेजी और रिफंड प्रोसेसिंग में सुधार – ये सभी संकेत हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है और आने वाले समय में और बेहतर प्रदर्शन करेगी.