- भारत सरकार ने अगले दो महीनों में अगली पीढ़ी के वस्तु और सेवा कर सुधारों का महत्वाकांक्षी रोडमैप तैयार किया है
- मौजूदा जीएसटी व्यवस्था में चार स्लैब की जगह दो स्लैब पांच प्रतिशत और अठारह प्रतिशत रखने का प्रस्ताव है.
- वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार जीएसटी कलेक्शन में सबसे अधिक योगदान अठारह प्रतिशत स्लैब का रहा है.
भारत सरकार ने अगली पीढ़ी के वस्तु और सेवाकर (GST) में सुधार का एक महत्वकांशी रोडमैप तैयार कर लिया है. 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस दिवाली तक अगली पीढ़ी के वस्तु और सेवाकर सुधारों को पेश करने की घोषणा सरकार की इस इस रणनीति का एक अहम हिस्सा है. वित्त मंत्रालय का मानना है कि GST कलेक्शन में सुधार हो रहा है और स्लैब्स घटाना और दूसरे सुधारों की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना बेहद जरूरी है.
पीएम मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा, "सरकार अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार लाएगी, जिससे आम आदमी पर कर का बोझ कम होगा. यह आपके लिए दिवाली का तोहफा होगा."
GST व्यवस्था को 8 साल... अब केंद्र करेगा सुधार
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, GST व्यवस्था को लागू हुए 8 साल हो चुके हैं और अब भारत सरकार के पास मौजूदा GST व्यवस्था को और कारगर बनाने के जरूरी आंकड़ें उपलब्ध हैं.
2020-21 में GST रेवेन्यू कलेक्शन 11.37 लाख करोड़ रुपये था, जो 2024-25 में बढ़कर 22.08 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.
पिछले 8 साल में GST टैक्स बेस भी दोगुने से ज्यादा बढ़ा है. 2017-18 में GST टैक्स बेस 66 लाख था जो 2024-25 में बढ़कर 151 लाख तक पहुंच गया.
वित्त मंत्रालय का मानना है कि GST कलेक्शन में तेजी से सुधार हो रहा है और मौजूदा GST व्यवस्था में स्लैब्स घटाने और दूसरे सुधार की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना बेहद जरूरी हो गया है.
GST कलेक्शन में किस स्लैब का कितना योगदान
- भारत सरकार के आंकलन के मुताबिक पिछले आठ साल के दौरान GST के कुल कलेक्शन का सबसे ज्यादा 67% रेवेन्यू 18% GST स्लैब से आया है.
- जबकि सबसे ऊंचे 28% GST स्लैब का कंट्रीब्यूशन GST के कुल कलेक्शन में 11% रहा है.
- वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 5% GST स्लैब ने कुल GST कलेक्शन में 7% का योगदान दिया है.
- सबसे कम योगदान 12% GST स्लैब का रहा है, जिसकी हिस्सेदारी कुल GST कलेक्शन में सबसे कम 5% रही है.
सिर्फ दो जीएसटी स्लैब का प्रस्ताव, ये है कारण
GST के इन आकड़ों के आंकलन के आधार पर ही मौजूदा GST के 4 स्लैब्स - 5%, 12%, 18% और 28% की जगह सिर्फ दो GST स्लैब्स - 5% और 18% रखने का प्रस्ताव GST काउंसिल के ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स के पास भेजा गया है.
भारत सरकार का आंकलन है कि 90 फीसदी प्रोडक्ट्स/आइटम्स को 28% से 18% GST के स्लैब और 99% प्रोडक्ट्स/आइटम्स को मौजूदा 12% के GST स्लैब से हटाकर अगर 5% के जीएसटी स्लैब में रखा जाता है तो आम आदमी के साथ-साथ मिडिल क्लास, किसान, महिलाओं, कारोबारियों और उद्योग जगत सहित सभी को इसका फायदा मिलेगा.
GST रेट घटने से जहां आम आदमी पर टैक्स का बोझ कम होगा, वहीं अर्थव्यवस्था में नया निवेश और कंजप्शन बढ़ेगा, डिमांड में सुधार होगा और इससे अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी. साथ ही, टैक्स रेट घटने और GST व्यवस्था के सरलीकरण से GST का टैक्स बेस और बढ़ने की भी उम्मीद है.
जीएसटी सुधार का खाका तैयार, ये 3 स्तंभ
'आत्मनिर्भर भारत' के टारगेट को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार ने जीएसटी में महत्वपूर्ण सुधारों का जो खाका तैयार किया है उसके तीन प्रमुख स्तंभ हैं:
- संरचनात्मक सुधार (Structural Reforms),
- GST दरों का युक्तिकरण (Rate Rationalisation)
- रहन-सहन की सुगमता (Ease of Living).
फिलहाल केंद्र सरकार ने जीएसटी दरों के युक्तिकरण और सुधारों का प्रस्ताव जीएसटी परिषद द्वारा गठित मंत्रिसमूह (जीओएम) को भेज दिया है ताकि इस मुद्दे पर विचार किया जा सके.
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, "इन सुधारों का उद्देश्य वर्गीकरण संबंधी विवादों को कम करना, विशिष्ट क्षेत्रों में शुल्क (इनवर्टेड ड्यूटी ) ढांचों को ठीक करना, दरों में अधिक स्थिरता सुनिश्चित करना और व्यापार सुगमता को और बढ़ाना है. ये उपाय प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों को मजबूत करेंगे, आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करेंगे और क्षेत्रीय विस्तार को सक्षम करेंगे".
अब केंद्र सरकार आने वाले हफ्तों में राज्यों के साथ व्यापक सहमति बनाने की कोशिश करेगी ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित GST की अगली पीढ़ी के सुधारों को लागू किया जा सके.