भारतीय अर्थव्यवस्था ने किया कमाल, विदेशी मुद्रा भंडार $688 अरब पार, गोल्ड रिजर्व में भी भारी उछाल

विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश की आर्थिक सुरक्षा कवच की तरह होता है. जब भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपया कमजोर होता है, आरबीआई इसी भंडार से डॉलर बेचकर रुपए को स्थिर करने की कोशिश करता है.

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  • RBI के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.689 बिलियन डॉलर बढ़कर 688.949 बिलियन डॉलर पहुंच गया
  • सोने के भंडार में 758 मिलियन डॉलर की वृद्धि हुई, जो अब कुल 107.741 बिलियन डॉलर के स्तर पर है
  • फॉरेन करेंसी एसेट्स में 906 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई. SDR, IMF रिजर्व में भी 25 मिलियन डॉलर का इजाफा हुआ
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भारतीय अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर एक राहत भरी खबर सामने आई है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) लगातार मजबूती की ओर बढ़ रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार 12 दिसंबर को समाप्त हुए हफ्ते में भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 1.689 बिलियन डॉलर बढ़कर 688.949 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. इससे पिछले सप्ताह भी भंडार में करीब 1.03 बिलियन डॉलर का इजाफा देखा गया था. 

विदेशी मुद्रा भंडार में यह बढ़त ऐसे समय में आई है जब रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रहा है और आरबीआई उसे संभालने के लिए लगातार काम कर रहा है.

हर मोर्चे पर पॉजिटिव बढ़त

आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार के हर मोर्चे पर सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है. सोने के भंडार की वैल्यू 758 मिलियन डॉलर बढ़कर अब 107.741 बिलियन डॉलर हो गई है. वहीं, भंडार के सबसे बड़े हिस्से फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) में 906 मिलियन डॉलर का इजाफा हुआ है. इसके अलावा  SDR और IMF रिजर्व में भी भारत की रिजर्व पोजीशन में टोटल 25 मिलियन डॉलर की बढ़त हुई है.

विदेशी निवेशकों का बढ़ा भरोसा

विदेशी मुद्रा भंडार में इस मजबूती की बड़ी वजह देश में विदेशी निवेश का बढ़ना है. संसद में दी गई जानकारी के अनुसार वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में 50.36 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) भारत आया है. यह पिछले साल की तुलना में 16% ज्यादा है और किसी भी फाइनेंशियल ईयर की पहली छमाही के लिए अब तक का हाई लेवल है.

क्यों जरूरी विदेशी मुद्रा भंडार?

विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश की आर्थिक सुरक्षा कवच की तरह होता है. जब भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपया कमजोर होता है, आरबीआई इसी भंडार से डॉलर बेचकर रुपए को स्थिर करने की कोशिश करता है. भंडार का बढ़ना यह दर्शाता है कि दुनिया का भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसा मजबूत है और देश अंतरराष्ट्रीय व्यापार की चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है.

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