अमेरिका की तरफ से भारत पर 50% का रेसिप्रोकल टैरिफ आज से लागू हो गया है. इसके बाद भारत ने दूसरे विकल्पों पर काम करना शुरू कर दिया है. इसी मद्देनजर देश ने 40 देशों में एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए कोशिशों को तेज कर दिया. इन देशों में यूके, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी और इटली का नाम शामिल है. ये जानकारी एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से दी गई. इन देशों में भारत ट्रेड फेयर, वायर-सेलर मीट्स के साथ सेक्टर-विशेष प्रमोशन कैंपेन पर फोकस कर रहा है.
एक्सपोर्ट में डायवर्सिटी की कोशिश
वहीं, दूसरे देश जैसे, नीदरलैंड, पोलैंड, कनाडा, मैक्सिको, रूस, बेल्जियम, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं. वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, "वाणिज्य मंत्रालय भारत के एक्सपोर्ट में विविधता लाने और वैश्विक बाजारों में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए नए सिरे से प्रयास के तहत इस हफ्ते निर्यातकों के साथ परामर्श लेगा."
"बाजारों पर निर्भरता कम करने की रणनीतियों पर होगा काम"
सूत्रों ने कहा कि, "इन बैठकों में कपड़ा, केमिकल और जेम्स एवं ज्वेलरी सहित प्रमुख क्षेत्रों के उद्योग प्रतिनिधि एक साथ आएंगे. इन बैठकों में चर्चाएं बाजारों पर निर्भरता कम करने की रणनीतियों और नए भौगोलिक क्षेत्रों में प्रवेश के लिए एक रोडमैप तैयार किया जाएगा. यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब सरकार प्रस्तावित एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन पर काम तेज कर रही है, जिसका उद्देश्य निर्यातकों को बाजार संबंधी जानकारी प्रदान करना है.
"मुक्त व्यापार समझौतों पर देश की नजर"
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि, "अमेरिका द्वारा घोषित शुल्कों में भारी वृद्धि के बाद, सरकार देश के निर्यात को अन्य देशों में विविधता लाने के प्रयास कर रही है. सरकार मुक्त व्यापार समझौतों को तेजी से लागू करने और यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, ओमान, आसियान, न्यूजीलैंड, पेरू और चिली जैसे मौजूदा समझौतों की समीक्षा करने की कोशिश कर रही है.
उन्होंने कहा, "एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम के लिए विदेशों में मिशनों को संगठित करके शीर्ष 50 आयातक देशों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. विभिन्न एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम्स पर भी प्रयास तेज किए जा रहे हैं."
उद्योगों की सहायता के लिए 25,000 करोड़ रुपए की योजानओं का प्रस्ताव
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने निर्यात केंद्रित उद्योगों की सहायता के लिए 25,000 करोड़ रुपए की योजानओं का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य छह वर्ष की अवधि के लिए कपड़ा, रत्न एवं आभूषण और समुद्री उत्पादों जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में छोटे निर्यातकों की फंडिंग करने में सहायता करना है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि प्रस्ताव को मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय के पास भेज दिया गया है, जिसके बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और फिर यह लागू होगा. इन योजनाओं को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के अनुरूप तैयार किया गया है और यह ट्रे़ड फाइनेंस और निर्यातकों के लिए बाजार पहुंच में सुधार पर ध्यान केंद्रित करेंगी.