अमेरिकी सरकार ने Google पर कसा शिकंजा, कंपनी को बेचना पड़ सकता है Chrome ब्राउजर, जानें पूरा मामला

Google monopoly antitrust case: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पहले चार साल के कार्यकाल के दौरान DoJ ने गूगल के खिलाफ मामला दायर किया था. अगस्त में एक ऐतिहासिक फैसले में, जज अमित मेहता ने फैसला सुनाया कि गूगल ऑनलाइन सर्च मोनोपॉली चला रहा है और इस पर विचार किया जा रहा है कि क्या उपाय या दंड लगाया जाए.

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Google Chrome का अमेरिकी सर्च इंजन मार्केट में लगभग 61 प्रतिशत हिस्सा है
नई दिल्ली:

यूएस जस्टिस डिपार्टमेंट (DoJ) ने गूगल पैरेंट कंपनी अल्फाबेट को एक बड़ा झटका दिया है.जिसके तहत गूगल को दुनिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला ब्राउजर क्रोम बेचना पड़ सकता है. यूएस जस्टिस डिपार्टमेंट ने गूगल पर इंटरनेट सर्च मार्केट और संबंधित ऐड पर मोनोपॉली का आरोप लगाया है. इस मामले में, गूगल को दुनिया के सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले ब्राउज़र, क्रोम को बेचने का आदेश दिया जा सकता है.

हालांकि, Google का कहना है कि अगर उसे क्रोम बेचने के लिए मजबूर किया जाता है, तो इससे उसके कन्ज्यूमर और बिजनेस को नुकसान होगा.

पिछले महीने अमेरिकी न्याय विभाग ने अदालत में दस्तावेज दायर कर कहा था कि वह गूगल को अपने कुछ प्रोडक्ट का उपयोग करने से रोकने के लिए "संरचनात्मक बदलाव" लागू करने पर विचार कर रहा है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को न्याय विभाग के प्रतिस्पर्धा अधिकारी इस उपाय को एक जज के समक्ष प्रस्तावित करेंगे.

अक्टूबर तक क्रोम का गलोबल सर्च इंजन मार्केट में लगभग 90% हिस्सेदारी

स्टैटकाउंटर के अनुसार, अक्टूबर तक क्रोम का गलोबल सर्च इंजन मार्केट में लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा है. इसके अलावा, इसका अमेरिकी बाजार में लगभग 61 प्रतिशत हिस्सा है.

गूगल  के खिलाफ मोनोपॉली का मामला

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पहले चार साल के कार्यकाल के दौरान DoJ ने गूगल के खिलाफ मामला दायर किया था. अगस्त में एक ऐतिहासिक फैसले में, न्यायाधीश अमित मेहता ने फैसला सुनाया कि गूगल ऑनलाइन सर्च मोनोपॉली चला रहा है और इस पर विचार किया जा रहा है कि क्या उपाय या दंड लगाया जाए.

प्रोजीक्यूटर ने कई संभावित तरीकों का दिया सुझाव

तब से, प्रोजीक्यूटर ने मामले में आगे बढ़ने के लिए कई संभावित तरीकों का सुझाव दिया है, जिसमें Google द्वारा Apple और अन्य कंपनियों के साथ किए गए अरबों डॉलर के विशेष समझौतों को समाप्त करना और अपने एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे अपने बिजनेस के कुछ हिस्सों को बेचना शामिल है.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को DoJ इनमें से कई प्रस्तावों को आगे बढ़ाने की योजना बना रहा है, जिसमें गूगल को अपना क्रोम ब्राउज़र बेचने की आवश्यकता भी शामिल है. एंटी ट्रस्ट अधिकारी और इस मामले में शामिल राज्यों ने यह भी प्रस्तावित किया है कि जज अमित मेहता गूगल पर डेटा लाइसेंसिंग की आवश्यकताएं थोपें.

गूगल ने दी ये प्रतिक्रिया

गूगल ने इस प्रस्ताव को 'कट्टरपंथी' करार दिया है और कहा है कि इससे अमेरिका में उसके कन्ज्यूमर और बिजनेस को नुकसान होगा और अमेरिकी आर्टिफिशियल एंटेलीजेंस (artificial intelligence) की प्रतिस्पर्धा को भी हिला देगा.इससे पहले, कंपनी ने ऑनलाइन सर्च मार्केट में मोनोपॉली चलाने से इनकार किया है.

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अक्टूबर में DoJ की फाइलिंग का जवाब देते हुए, Google ने कहा कि क्रोम या एंड्रॉइड जैसे अपने बिजनेस के हिस्सों को तोड़ना उन्हें बर्बाद कर देगा.

बीबीसी ने कंपनी के हवाले से कहा, "उन्हें अलग करने से उनके बिजनेस मॉडल बदल जाएंगे, उपकरणों की लागत बढ़ जाएगी और एंड्रॉइड और Google Play को Apple के iPhone और ऐप स्टोर के साथ उनकी मजबूत प्रतिस्पर्धा में कमजोर कर दिया जाएगा."

अब, गूगल अगस्त 2025 तक  जज अमित मेहता के अंतिम फैसले के बाद अपील करने की योजना बना रहा है. कंपनी को दिसंबर में अपना प्रस्ताव पेश करने का मौका मिलेगा.

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