जानी-मानी ग्लोबल फ़ाइनेंशियल सर्विसेज़ फ़र्म कैंटर फिट्ज़जेराल्ड का कहना है कि भारतीय बिज़नेस समूह अदाणी ग्रुप को निशाना बनाने वाला 'फ़ाइनेंशियल टाइम्स' का हालिया आलेख सिर्फ़ शोर मचाने के लिए छापा गया था. कैंटर फिट्ज़जेराल्ड ने ज़ोर देकर कहा कि ऐसा लगता है, जैसे फ़ाइनेंशियल बाज़ारों ने उस आलेख को नज़रअंदाज कर दिया है. फ़ाइनेंशियल एडवायज़री फ़र्म की रिपोर्ट में कहा गया कि बाज़ार का मानना है कि अदाणी समूह के खिलाफ छपा आलेख 'सारहीन' है.
जॉर्ज सोरोस-समर्थित ऑर्गेनाइज़्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) के दस्तावेज़ का हवाला देते हुए बुधवार को लंदन स्थित 'फ़ाइनेंशियल टाइम्स' ने अदाणी समूह पर धोखाधड़ी और वर्ष 2013 में तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को निम्न-श्रेणी के कोयले को उच्च मूल्य वाले ईंधन के रूप में बेचने का आरोप लगाया था.
पिछले पूरे साल अदाणी समूह की बाज़ार पूंजी में लगातार बढ़ोतरी से साफ़ ज़ाहिर होता है कि निवेशकों ने आरोपों के बावजूद अदाणी समूह की कंपनियों पर भरोसा जताया है. वैसे, यह तीसरा मौका है जब दो विदेशी मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों ने अदाणी समूह को लेकर नकारात्मक रिपोर्ट प्रकाशित की है. अदाणी समूह ने सभी आरोपों से इंकार किया है, और हालिया रिपोर्ट के प्रकाशन के वक्त पर सवाल उठाया है, जब भारत में आम चुनाव चल रहे हैं.
'फ़ाइनेंशियल टाइम्स' ने अदाणी समूह को लेकर एक आलेख प्रकाशित किया था, जिसमें आरोप लगाया गया कि वर्ष 2013 में समूह ने कम गुणवत्ता वाले कोयले का आयात किया था और फिर उसी कोयले को सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों को उच्च श्रेणी के कोयले की कीमत पर बेच दिया.
जब कैंटर फिट्ज़जेराल्ड ने अदाणी समूह से संपर्क किया, तो समूह ने बताया कि तमिलनाडु की कंपनी के लिए यह खास खरीद ऑर्डर एक फ़िक्स्ड-प्राइस (तयशुदा कीमत) अनुबंध था, जिसे कंपनी ने एक खुली, प्रतिस्पर्धी और वैश्विक बोली प्रक्रिया के माध्यम से हासिल किया था. कैंटर के मुताबिक, अदाणी समूह अनुबंध के तहत तमिलनाडु की कंपनी को पूर्व-निर्धारित मूल्य पर कोयला आपूर्ति के लिए बाध्य था.
कैंटर ने दावा किया है कि समूह द्वारा उन्हें बताया गया है कि कोयले की गुणवत्ता का परीक्षण सप्लायर अदाणी समूह ने नहीं, उसे हासिल करने वालों ने किया था. उन्होंने बताया, "इन्हीं परीक्षणों के नतीजों पर भुगतान किया जाता है... इस तरह, यह दावा कि अदाणी समूह कम GCV वाला कोयला खरीदकर उच्च GCV वाले कोयले के रूप में बेच सकता था, विश्वसनीय नहीं लगता है, क्योंकि परीक्षण खरीदार ने किया, और भुगतान परीक्षण पर ही आधारित था..."
दिलचस्प तथ्य यह है कि कैंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, 'फ़ाइनेंशियल टाइम्स' का आलेख कस्टम्स और राजस्व खुफ़िया निदेशालय (DRI) की रिपोर्ट पर आधारित था. कैंटर ने कहा, "ध्यान देने लायक तथ्य यह है कि उक्त समयावधि (2012-2014) के दौरान DRI और कस्टम्स ने सभी कोयला आयातकों पर आरोप लगाया था कि उन्होंने कोयले की गुणवत्ता को वास्तविकता से कम घोषित किया था... और इसी वजह से DRI और कस्टम्स अतिरिक्त सीमा शुल्क की मांग कर रहे थे... सो, सच्चाई यह है कि यह रिपोर्ट ('फ़ाइनेंशियल टाइम्स' का आलेख) उस समय DRI और कस्टम्स द्वारा कही गई बातों के ख़िलाफ़ तर्क देती है, और हमारे विचार में यह भी सवालिया निशान है..."
इसके अलावा, कैंटर का मानना है कि भारत सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है, और हर जगह भारी निवेश कर रहा है, सो, यह अदाणी एंटरप्राइज़ेज़ के लिए अच्छा संकेत है.
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