अमेरिका के स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ बढ़ाने से FIEO चिंतित, सरकार से की ये मांग

फियो के अध्यक्ष एससी रल्हन ने कहा कि अमेरिकी स्टील और एल्युमीनियम आयात शुल्क में प्रस्तावित वृद्धि का भारत के स्टील निर्यात पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा.

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नई दिल्‍ली:

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्‍सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (Federation of Indian Export Organizations) ने अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा स्टील और एल्युमीनियम पर आयात शुल्क को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की हाल ही में की गई घोषणा पर चिंता व्यक्त की है, जिसमें भारत के स्टील और एल्युमीनियम निर्यात, विशेष रूप से मूल्यवर्धित और तैयार स्टील उत्पादों और ऑटो-कंपोनेंट में संभावित व्यवधान का हवाला दिया गया है.

इस घटनाक्रम को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए फियो के अध्यक्ष एससी रल्हन ने कहा कि अमेरिकी स्टील और एल्युमीनियम आयात शुल्क में प्रस्तावित वृद्धि का भारत के स्टील निर्यात पर विशेष रूप से स्टेनलेस स्टील पाइप, स्ट्रक्चरल स्टील कंपोनेंट और ऑटोमोटिव स्टील पार्ट्स जैसी अर्ध-परिष्कृत और परिष्कृत श्रेणियों में महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा. यह उत्पाद भारत के बढ़ते इंजीनियरिंग निर्यात का हिस्सा हैं और उच्च शुल्क अमेरिकी बाजार में हमारी मूल्य प्रतिस्पर्धात्मकता को कम कर सकते हैं. 

6.2 अर‍ब अमेरिकी डॉलर का निर्यात

भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका को लगभग 6.2 अर‍ब अमेरिकी डॉलर मूल्य के स्टील और तैयार स्टील उत्पादों का निर्यात किया, जिसमें इंजीनियर्ड और फैब्रिकेटेड स्टील घटकों की एक विस्तृत श्रृंखला और करीब 0.86 अरब अमेरिकी डॉलर के एल्युमीनियम और उसके उत्पाद शामिल हैं. भारतीय स्टील निर्माताओं के लिए अमेरिका शीर्ष गंतव्यों में से एक है, जो उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादन और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण के माध्यम से धीरे-धीरे बाजार हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं।

25% अतिरिक्त शुल्क एक बड़ा बोझ: रल्‍हन

फियो अध्यक्ष ने कहा कि हालांकि हम समझते हैं कि यह निर्णय अमेरिका में घरेलू नीतिगत विचारों से उपजा है, लेकिन टैरिफ में इस तरह की तेज वृद्धि वैश्विक व्यापार और विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखलाओं को हतोत्साहित करने वाले संकेत देती हैं. हम सरकार से द्विपक्षीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाने का आग्रह करते हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय निर्यातकों को शिपमेंट के मामले में अनुचित रूप से नुकसान न हो, क्योंकि 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क एक बड़ा बोझ होगा, जिसे निर्यातक या आयातकर्ता द्वारा वहन करना मुश्किल है. 

फियो प्रमुख ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारतीय निर्यातकों को अपने बाजारों में विविधता लाने और ऐसे संरक्षणवादी उपायों के प्रभाव को कम करने के लिए उच्च श्रेणी के मूल्यवर्धित उत्पादों में निवेश करने की आवश्यकता है. 

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