भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की शुक्रवार को समाप्त हो रही तीन-दिवसीय मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो रेट तथा अन्य नीतिगत दरों में बदलाव की संभावना नहीं है, क्योंकि केंद्रीय बैंक आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास कर रहा है.
RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक बुधवार को शुरू हुई थी और शुक्रवार को समाप्त होगी. इसमें देश की आर्थिक स्थिति, मुद्रास्फीति, मानसून की स्थिति, वैश्विक कारकों आदि के आधार पर नीतिगत दरों पर फैसले लिए जाएंगे. संभावना है कि समिति रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने का फैसला कर सकती है.
ब्याज दर घटने से निवेश तथा उपभोग लागत में कमी आती है, हालांकि उपभोग बढ़ने से मुद्रास्फीति (महंगाई दर) बढ़ने का खतरा रहता है.
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति कम करने की नीति जारी रखेगा, ताकि आर्थिक विकास में स्थिरता बनी रहे. उन्होंने कहा कि खाने-पीने के सामान की महंगाई दर ज्यादा होने से मुद्रास्फीति का दबाव बना हुआ है.
खुदरा महंगाई की दर इस साल अप्रैल में घटकर 4.83 प्रतिशत पर आ गई थी, हालांकि यह अब भी RBI के चार प्रतिशत के मध्यावधि लक्ष्य से ऊपर है. वित्तवर्ष 2023-24 में देश की आर्थिक विकास दर बढ़कर 8.2 प्रतिशत पर पहुंच गई, जिससे RBI के पास अभी ब्याज दरों में कटौती को टालने के विकल्प हैं.