तरक्की के राह पर बिहार... 2030 तक दोगुनी तो 2047 तक 1100 अरब डॉलर की होगी अर्थव्यवस्था!

रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार में उपजाऊ भूमि, खनिज और पानी सहित प्रचुर प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं. इसके साथ राज्य की अर्थव्यवस्था को कई तुलनात्मक लाभ हैं. इस लाभ के साथ 2047 तक राज्य की अर्थव्यवस्था के 1,100 अरब डॉलर की होने की उम्मीद है.

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  • बिहार की अर्थव्यवस्था 2030-31 तक 219 अरब डॉलर और 2046-47 तक 1,100 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है.
  • 2023-24 में बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 8.54 लाख करोड़ रुपये था, जो भारत की औसत वृद्धि से अधिक है.
  • बिहार की युवा आबादी और प्रचुर प्राकृतिक संसाधन राज्य की आर्थिक संभावनाओं को मजबूत करने में सहायक हैं
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पटना:

बिहार में प्राकृतिक संसाधन और क्षमता को देखते हुए राज्य की अर्थव्यवस्था के 2046-47 तक 1,100 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि निकट भविष्य में, राज्य की अर्थव्यवस्था 2030-31 तक दोगुने से भी अधिक बढ़कर 21.9 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. यह सकारात्मक परिदृश्य को दर्शाता है.

सीआईआई चौथे पूर्वी भारत सम्मेलन में ‘बिहार: 1,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था' शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘बिहार की अर्थव्यवस्था के 2030-31 तक दोगुने से भी अधिक बढ़कर 219 अरब डॉलर के स्तर तक पहुंचने का अनुमान है. लंबी अवधि में, अर्थव्यवस्था के 2046-47 तक 1,100 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.

रिपोर्ट के अनुसार, बिहार तेजी से हो रहे आर्थिक परिवर्तन, जनसंख्या संबंधी लाभ और अनुकूल नीतियों के साथ निवेशकों के लिए एक अद्वितीय अवसर के रूप में उभर रहा है. यह देश में सबसे तेजी से विकास करने वाले राज्यों में से एक है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023-24 में, बिहार का जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) 8.54 लाख करोड़ रुपये रहा. यह वर्तमान मूल्य पर 14.4 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है, जो इसी वर्ष भारत की 12 प्रतिशत की वृद्धि दर से अधिक है. यह तेजी निरंतर संरचानात्मक सुधारों, बुनियादी ढांचे के विस्तार और औद्योगिक विकास के लिए उठाये गए कदमों का परिणाम है.

रिपोर्ट कहती है कि पारंपरिक रूप से अपने समृद्ध कृषि आधार के लिए जाना जाने वाला बिहार अब रणनीतिक रूप से कृषि आधारित उद्योगों, आईटी और आईटी से जुड़ी सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों, विनिर्माण और स्वास्थ्य सेवा आदि पर ध्यान दे रहा है.

सीआईआई ने रिपोर्ट में कहा कि राज्य ने 2016 में क्षेत्र में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति शुरू की. नीति को 2020 में और संशोधित किया गया और इसे 2025 तक बढ़ा दिया गया. नीति में पूंजीगत सब्सिडी, बिजली और किराये में छूट, रोजगार सृजन और कौशल प्रशिक्षण अनुदान, राज्य जीएसटी की वापसी और भूमि सब्सिडी सहित कई तरह के प्रोत्साहन शामिल हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार जैव ईंधन, लॉजिस्टिक, स्टार्टअप, आईटी, पर्यटन और निर्यात जैसे अन्य उभरते उद्योगों के लिए नीतियों को अधिसूचित करने में भी बहुत सक्रिय रही है. इसके अलावा, सीआईआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि एक ही जगह सभी प्रकार की मंजूरी की व्यवस्था, डिजिटल भूमि रिकॉर्ड और कंपनियों के अनुकूल सुधार से कारोबार करना सुगम हुआ है, जबकि स्टार्टअप बिहार पहल जमीनी स्तर पर इनोवेशन को बढ़ावा दे रही है.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार में उपजाऊ भूमि, खनिज और पानी सहित प्रचुर प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं. इसके साथ राज्य की अर्थव्यवस्था को कई तुलनात्मक लाभ हैं. इस लाभ के साथ 2047 तक राज्य की अर्थव्यवस्था के 1,100 अरब डॉलर की होने की उम्मीद है. रिपोर्ट कहती है कि ये संसाधन कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और विनिर्माण जैसे विभिन्न उद्योगों के लिए काफी संभावनाएं प्रदान करते हैं.

इसके अलावा, राज्य का अधिकांश भाग ग्रामीण अर्थव्यवस्था वाला है. यहां शहरीकाण 12 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय औसत 35 प्रतिशत से कम है. यह राज्य के लिए एक बड़ा आर्थिक अवसर प्रस्तुत करता है. इसका अर्थ बढ़ता उपभोक्ता बाजार भी है.

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रिपोर्ट के मुताबिक, इसके अलावा, राज्य की 12.7 करोड़ की आबादी में से लगभग 58 प्रतिशत 25 वर्ष से कम आयु के हैं. यह भारतीय राज्यों में सबसे युवा आबादी है. इससे एक विशाल, प्रशिक्षित और लागत-अनुकूल कार्यबल का निर्माण हो सकता है, जो उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण है.

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