New Income Tax Regime या पुरानी कर व्यवस्था : टैक्सपेयर को किसमें फायदा - समझें चार्ट से

Budget 2024: इस ख़बर में हम पुरानी कर व्यवस्था और नई कर व्यवस्था में लागू होने वाले टैक्स का आकलन कर टेबल के ज़रिये यह भी समझाएंगे कि किस प्रणाली में रहने पर आपको कितना टैक्स अदा करना होगा.

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Budget 2024 में Tax Slabs में बदलाव नहीं हुए हैं... सो जानें, New और Old Tax Regime में कितनी आय वालों को कितना इनकम टैक्स देना होगा...

वित्तवर्ष 2024-25 के लिए अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि इनकम टैक्स की स्लैब या दरों में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है. इसके परिणामस्वरूप नई और पुरानी टैक्स व्यवस्था ज्यों की त्यों बरकरार रहेंगी. इसके साथ ही टैक्सपेयरों का यह असमंजस भी बरकरार रहेगा कि दोनों टैक्स रिजीम में से किसमें उन्हें ज़्यादा लाभ होने वाला है. आइए, आपको विस्तार से समझाते हैं कि दोनों व्यवस्थाओं में क्या-क्या फर्क है, और कितना कमाने वाले शख्स को किस टैक्स रिजीम में कितना टैक्स चुकाना होगा. आपको दिए गए चार्ट के ज़रिये आपको यह समझने में भी आसानी होगी कि किस टैक्स व्यवस्था से आपको कितना फायदा होगा.

पिछले साल, यानी आम बजट 2023 में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स रिजीम (Income Tax Regime) से जुड़े नियमों में बदलाव किए थे. वित्तमंत्री ने नई टैक्स व्यवस्था को डीफ़ॉल्ट व्यवस्था घोषित कर दिया था, लेकिन पुरानी टैक्स व्यवस्था को खत्म नहीं किया था. यानी करदाता अब भी पुरानी टैक्स व्यवस्था को चुन सकेंगे. इस व्यवस्था के तहत लाइफ इंश्योरेंस, PPF, बच्चों की स्कूल फ़ीस आदि के अलावा होम लोन पर ब्याज़, नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) या मकान किराया भत्ता जैसी छूट हासिल करते रहने के इच्छुक लोग पुरानी दरों पर ही टैक्स जमा कराते रह सकेंगे.

आइए, हम आपको पुरानी कर व्यवस्था और नई कर व्यवस्था में बनने वाले टैक्स का आकलन कर टेबल के ज़रिये यह भी समझाएंगे कि किस प्रणाली में रहने पर आपको कितना टैक्स अदा करना होगा. हमने चार ऐसे नौकरीपेशा लोगों के उदाहरण लिए हैं, जिनकी आय क्रमशः 7 लाख रुपये वार्षिक, 10 लाख रुपये वार्षिक, 12 लाख रुपये वार्षिक तथा 15 लाख रुपये वार्षिक हैं. ये लोग इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80सी के तहत मिलने वाली छूट, मकान किराया भत्ते या होम लोन के ब्याज़ के तौर पर मिलने वाली छूट, NPS के अंतर्गत ली जाने वाली छूट आदि भी हासिल करते हैं. तो किस व्यवस्था में किसे कितना टैक्स देना होगा, इन तीन टेबलों से समझें.

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पुरानी टैक्स व्यवस्था, यानी Old Income Tax Regime

पुरानी टैक्स व्यवस्था वाली पहली टेबल में आप देखेंगे, चारों लोगों को मानक कटौती का लाभ मिला है, धारा 80सी के तहत भी चारों ने ही अधिकतम बचत की है, चारों ही लोगों ने NPS में भी 50,000 रुपये का निवेश किया है, और मकान किराया भत्ता या होम लोन पर चुकाए गए ब्याज पर भी छूट हासिल की है. पहली टेबल (पुरानी टैक्स व्यवस्था) में 7 लाख रुपये वार्षिक आय वाले पहले शख्स की करयोग्य आय सभी तरह की छूट पाने के बाद 3,70,000 रुपये रह गई है, जिस पर उसकी कर देनदारी 6,240 रुपये होने के बावजूद इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87ए के तहत मिली छूट के बाद शून्य हो गई है. कुल 4 लाख रुपये की कटौतियों और छूट के बाद 10 लाख रुपये वार्षिक आय वाले दूसरे शख्स की करयोग्य आय 6,00,000 रुपये रह जाती है, जिस पर उसे 33,800 रुपये का इनकम टैक्स चुकाना होता है. इसी प्रकार, छूट और कटौतियों को समाहित करने वाली पुरानी व्यवस्था में 12 लाख रुपये और 15 लाख रुपये प्रति वर्ष कमाने वाले लोगों को भी क्रमशः 75,400 रुपये और 1,06,600 रुपये का इनकम टैक्स देना होगा.

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नई टैक्स व्यवस्था, यानी New Income Tax Regime

दूसरी टेबल (नई टैक्स व्यवस्था) में फिर एक बार इन्हीं चार लोगों के इनकम टैक्स की कैलकुलेशन की गई है, लेकिन इस बार इन्हें मानक कटौती का लाभ मिलेगा, और इसके अलावा धारा 87ए की छूट सीमा बढ़ाए जाने व नई दरों की बदौलत 7 लाख रुपये वार्षिक आय वाले शख्स को एक बार फिर कोई कर नहीं देना होगा. 10 लाख रुपये वार्षिक आय वाले शख्स को 54,600 रुपये चुकाने होंगे, 12 लाख रुपये वार्षिक आय वाले शख्स को 85,800 रुपये इनकम टैक्स के रूप में देने होंगे, और 15 लाख रुपये वार्षिक आय वाले शख्स को कुल 1,45,600 रुपये का टैक्स अदा करना होगा.

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सो, अब आप देख सकते हैं कि अगर आप कटौतियों और छूट के मद में 2.5-3 लाख रुपये से ज़्यादा की छूट हासिल कर रहे हैं, तो पुरानी टैक्स व्यवस्था में बने रहने में आपको लाभ है, वरना फायदा नई टैक्स व्यवस्था को अपना लेने में ही है.

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