बाल अधिकार संगठनों का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा केंद्रीय बजट का केंद्र बिंदु होना चाहिए और बाल श्रम के उन्मूलन के लिए आवंटन में वृद्धि और सामाजिक सुरक्षा-तंत्र को मजबूत करने में अधिक निवेश होना चाहिए. संगठनों ने ये भी कहा कि प्रभावी रोकथाम तंत्र की गति को तत्काल आधार पर तेज करने की आवश्यकता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार को केंद्रीय बजट 2022-23 पेश करेंगी. कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक, ज्योति माथुर ने कहा कि केंद्रीय बजट में बच्चों के लिए बजट आवंटन के कुल प्रतिशत हिस्से में सुधार किया जाना चाहिए, और इसे कम से कम 2020-21 के स्तर पर बहाल किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘यहां ये उल्लेख करना जरूरी है कि बच्चों के कल्याण के लिए आवंटित केंद्रीय बजट का प्रतिशत हिस्सा 3.16 प्रतिशत (2020-21) से घटाकर 2.46 प्रतिशत (2021-22) कर दिया गया है. ये पिछले 11 वर्षों में बच्चों के कल्याण के लिए आवंटित, बजट का सबसे कम हिस्सा है.'
उन्होंने कहा, 'इसके अलावा, अगर हम पिछले दो वर्षों के बजट आवंटन को देखें, तो बच्चों के कल्याण के लिए आवंटित कुल बजट में 2020-21 की तुलना में 2021-22 में 11 प्रतिशत की गिरावट आई है.
माथुर ने कहा कि एक व्यापक राष्ट्रीय कार्य योजना के साथ बाल श्रम के उन्मूलन के लिए आवंटन में भी वृद्धि की जानी चाहिए. अन्य सुझावों में बंधुआ मजदूरों के पुनर्वास के लिए बढ़ा हुआ बजटीय आवंटन शामिल है, जो राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (एनसीएलपी) के समग्र बजट मद का एक हिस्सा है.
चाइल्ड राइट्स एंड यू, की मुख्य कार्यकारी अधिकारी पूजा मारवाह ने कहा कि बच्चों को किसी भी विकास विमर्श के केंद्र में रखा जाना चाहिए और यह केंद्रीय बजट का केंद्र बिंदु होना चाहिए. उन्होंने कहा कि कोविड महामारी ने बच्चों को शारीरिक, मानसिक रूप से प्रभावित तो किया ही, उन्हें पारिवारिक संकट, प्रवास, अलग-थलग रहने, पढ़ाई में बाधा तथा अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ा है.
पूजा ने कहा ‘‘यही वजह है कि बच्चे एक बार फिर बाल श्रम या बाल विवाह की गिरफ्त में आ रहे हैं जिससे उनका बचाव जरूरी है.''