
शशि कपूर, निरूपा रॉय और अमिताभ बच्चन
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पॉपुलर हुए थे दीवार फिल्म के डायलॉग
आज भी होता है कई संदर्भ में इस्तेमाल
जानदार था डायलॉग बोलने का स्टाइल
Video: रुपहले पर्दे पर शशि कपूर का सफर
‘लिबास बदल देने से आत्मा नहीं बदल जाती.’ (फिल्मः जब जब फूल खिले, वर्षः 1965)
बॉलीवुड को 'दीवार' और 'नमक हलाल' देने वाले शशि कपूर का फिल्मी सफर
‘यह मत सोचो कि देश तुम्हें क्या देता है...सोचो यह कि तुम देश को क्या दे सकते हो.’ (फिल्मः रोटी कपड़ा और मकान, वर्षः 1974)
‘जब तक एक भाई बोल रहा है, एक भाई सुन रहा है...जब एक मुजरिम बोलेगगा, एक पुलिस ऑफिसर सुनेगा.’ (फिल्मः दीवार, वर्षः 1975)
इन हीरोइनों के साथ शशि कपूर के रोमांस ने लगा दी थी परदे पर आग
‘मैं जरा रोमांटिक किस्म का आदमी हूं...शादी के बाद इश्क करना तो छोड़ दिया है...इस लिए बीवी से रोमांस करके काम चला लेता हूं.’ (फिल्मः कभी कभी, वर्षः 1976)
‘ख्वाब जिंदगी से कहीं ज्यादा खूबसूरत होते हैं...’ (फिल्मः सत्यम शिवम सुंदरम, वर्षः 1978)
‘ये प्रेम रोग है...शुरू में दुख देता है...बाद में बहुत दुख देता है.’ (फिल्मः नमकहलाल, वर्षः 1982)
...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...
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