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This Article is From Dec 04, 2017

अमिताभ बच्चन को मुंहतोड़ जवाब देने वाली आवाज हुई खामोश, शशि कपूर के यादगार डायलॉग

साल 1975 में एक फिल्म रिलीज हुई ‘दीवार’, जिसमें जनता के फेवरिट ऑनस्क्रीन ब्रदर थे. शशि कपूर और अमिताभ बच्चन.

अमिताभ बच्चन को मुंहतोड़ जवाब देने वाली आवाज हुई खामोश, शशि कपूर के यादगार डायलॉग
शशि कपूर, निरूपा रॉय और अमिताभ बच्चन
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
पॉपुलर हुए थे दीवार फिल्म के डायलॉग
आज भी होता है कई संदर्भ में इस्तेमाल
जानदार था डायलॉग बोलने का स्टाइल
नई दिल्ली: साल 1975 में एक फिल्म रिलीज हुई ‘दीवार’, जिसमें जनता के फेवरिट ऑनस्क्रीन ब्रदर थे. शशि कपूर और अमिताभ बच्चन. एक भाई कानून का रखवाला बन जाता है तो दूसरा कानून को तोड़ने वाला. जब दोनों भाइयों की मुलाकात होती है, और बात आगे तक जाती है तो गलत धंधों से अमीर हो चुका भाई अमिताभ बच्चन कहता है, "आज मेरे पास बिल्डिंग है, प्रॉपर्टी है, बैंक बैलेंस है, बंगला है, गाड़ी है...क्या है तुम्हारे पास?” इस सवाल के बाद जो जवाब आया, वो कालजयी बन गया. शशि कपूर पूरे गर्व के साथ कहते हैं, “मेरे पास मां है...” यह अमिताभ बच्चन को मुंह तोड़ जवाब था (दीवार फिल्म में). बेशक इस डायलॉग पर हॉल में जबरदस्त तालियां बजीं और आज लगभग तीन दशक बाद भी इस डायलॉग को कई तरीकों से सुना जा सकता है. चाहे वह विज्ञापन हो या मजाक की कोई बात या फिर किसी को ताना मारना हो. बॉलीवुड के रोमांटिक स्टार शशि कपूर की फिल्मों के कुछ ऐसे ही यादगार डायलॉग:

Video: रुपहले पर्दे पर शशि कपूर का सफर



 ‘लिबास बदल देने से आत्मा नहीं बदल जाती.’ (फिल्मः जब जब फूल खिले, वर्षः 1965)

बॉलीवुड को 'दीवार' और 'नमक हलाल' देने वाले शशि कपूर का फिल्‍मी सफर

‘यह मत सोचो कि देश तुम्हें क्या देता है...सोचो यह कि तुम देश को क्या दे सकते हो.’ (फिल्मः रोटी कपड़ा और मकान, वर्षः  1974)

‘जब तक एक भाई बोल रहा है, एक भाई सुन रहा है...जब एक मुजरिम बोलेगगा, एक पुलिस ऑफिसर सुनेगा.’ (फिल्मः दीवार, वर्षः 1975)

इन हीरोइनों के साथ शशि कपूर के रोमांस ने लगा दी थी परदे पर आग

‘मैं जरा रोमांटिक किस्म का आदमी हूं...शादी के बाद इश्क करना तो छोड़ दिया है...इस लिए बीवी से रोमांस करके काम चला लेता हूं.’ (फिल्मः कभी कभी, वर्षः 1976)

‘ख्वाब जिंदगी से कहीं ज्यादा खूबसूरत होते हैं...’ (फिल्मः सत्यम शिवम सुंदरम, वर्षः 1978)

 ‘ये प्रेम रोग है...शुरू में दुख देता है...बाद में बहुत दुख देता है.’ (फिल्मः नमकहलाल, वर्षः 1982) 

...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...  

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