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पैसे बचाने के लिए 800 करोड़ की हवेली में पेंट नहीं सफेदी करवाती हैं शर्मिला टैगोर, बेटी ने बताया- लंबे समय से हवेली में नया सामान नहीं आया

बॉलीवुड के सबसे अमीर परिवारों में से एक पटौदी खानदान भले ही 800 करोड़ के पटौदी पैलेस का मालिक हैं लेकिन एक-एक रुपए का हिसाब मालकिन शर्मिला टैगोर रखती हैं.

पैसे बचाने के लिए 800 करोड़ की हवेली में पेंट नहीं सफेदी करवाती हैं शर्मिला टैगोर, बेटी ने बताया- लंबे समय से हवेली में नया सामान नहीं आया
शर्मिला टैगोर करती हैं पटौदी पैलेस की देखरेख
नई दिल्ली:

बॉलीवुड एक्ट्रेस और शर्मिला टैगोर की बेटी सोहा अली खान ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान पटौदी पैलेस के सीक्रेट्स रिवील किए. दरअसल इस आलीशान हवेली के मालिक अब शर्मिला टैगोर के बेटे सैफ अली खान हैं. 800 करोड़ के इस पैलेस में कई लग्जरी सुविधाएं हैं, जो 10 एकड़ में फैला हुआ है. लेकिन इस महल की सारी बागडोर और मैनेजमेंट किसके हाथों में है इस बारे में हाल ही में सोहा अली खान ने खुलासा किया. 

पाई-पाई का हिसाब रखती हैं शर्मिला टैगोर 

साइरस ब्रोचा के साथ हाल ही में एक यूट्यूब चैनल पर दिए इंटरव्यू के दौरान सोहा अली खान ने बताया कि पटौदी पैलेस के हर खर्च का हिसाब उनकी मां शर्मिला टैगोर रखती हैं और बजट का मैनेजमेंट करती हैं. उनके पास हर दिन के खर्च से लेकर महीने भर का हिसाब होता है. उन्होंने ये भी बताया कि शर्मिला टैगोर पेंट की जगह व्हाइट वॉश करवाती हैं, क्योंकि वो कम महंगा होता है. इतना ही नहीं कई सालों से पटौदी पैलेस में कुछ भी नया नहीं आया है क्योंकि यहां का आर्किटेक्चर और नक्काशी बेहद खूबसूरत हैं. 

सोहा क्यों नहीं बनीं प्रिंसेस 

सोहा अली खान ने पटौदी पैलेस की हिस्ट्री के बारे में बात करते हुए बताया कि उनकी दादी भोपाल की बेगम थीं और दादा नवाब पटौदी. इसके बाद सैफ अली खान का जन्म 1970 में हुआ और उन्हें प्रिंस बनाया गया, जबकि सोहा अली खान का जन्म 1978 में हुआ था. उस समय रॉयल टाइगर्स खत्म हो गए थे इसलिए वो प्रिंसेस नहीं बनीं. उन्होंने ये भी बताया कि इस टाइटल के साथ एक बड़ी जिम्मेदारी होती है.

इन्हें इंप्रेस करने के लिए नवाब पटौदी ने बनवाया था पटौदी पैलेस 

सोहा अली खान ने बताया कि उनकी दादी और दादाजी की शादी नहीं हो रही थीं. ऐसे में सोहा के दादा ने अपने ससुर को इंप्रेस करने के लिए पटौदी पैलेस बनवाया था. उन्होंने कहा कि उनकी दादी के पिता दादा से जलते थे, क्योंकि वो अच्छे स्पोर्ट्समैन थे. लेकिन पटौदी पैलेस बनवाते समय उनके पैसे खत्म हो गए थे, इसलिए फर्श पर मार्बल लगवाने की जगह बहुत सारा सीमेंट का काम किया था और ऊपर से कारपेट डाल दिए गए. सोहा ने यह भी बताया कि पटौदी पैलेस को एक होटल चैन को किराए पर दिया गया था और वहां के जनरेटर रूम को दो बेडरूम, हॉल, किचन में तैयार किया गया था, जहां पर उनके पेरेंट्स रहते थे.

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