
- 1957 में रिलीज हुई फिल्म ‘प्यासा’ को गुरुदत्त ने निर्देशित किया था और वे इसमें मुख्य अभिनेता भी थे, जो भारतीय सिनेमा की मील का पत्थर मानी जाती है
- ‘प्यासा’ फिल्म को टाइम मैग्जीन ने 2005 में 100 सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की सूची में शामिल किया था.
- फिल्म की कुछ सीन और गाने कोलकाता के रेड लाइट एरिया की पृष्ठभूमि पर आधारित थे, जिन्हें रियल दिखाने के लिए गुरुदत्त ने वहीं शूटिंग करने का प्रयास किया.
1957 में रिलीज हुई क्लासिक फिल्म ‘प्यासा' आज भी भारतीय सिनेमा की मील का पत्थर मानी जाती है. गुरुदत्त ने इस फिल्म का निर्देशन किया था. वो इस फिल्म में एक्टर भी थे. गुरुदत्त की ये वो फिल्म है जिसे टाइम मैग्जीन 2005 में 100 बेस्ट फिल्म्स ऑफ ऑल टाइम की लिस्ट में जगह दी थी. इस फिल्म को दर्शकों का खूब प्यार मिला है और हर मामले में यह फिल्म बेजोड़ है. ‘प्यासा' एक ऐसी कहानी है जो समाज के हाशिए पर जीने वालों की जिंदगी को दर्शाती है. फिल्म में एक गाना और कुछ सीन रेड लाइट एरिया की पृष्ठभूमि पर आधारित थे. गुरुदत्त चाहते थे कि ये एकदम रियल लगे. गुरुदत्त ने इन सीन को कोलकाता के रेड लाइट एरिया में फिल्माने का फैसला लिया. लेकिन यह फैसला उनके लिए घातक सिद्ध हुआ.
जब गुरुदत्त 'प्यासा' फिल्म के अपने क्रू के साथ शूटिंग के लिए रेड लाइट एरिया पहुंचे, तो वहां मौजूद दलालों को उनकी मौजूदगी पसंद नहीं आई. दलालों ने क्रू पर हमला कर दिया, जिससे शूटिंग रोकनी पड़ी. स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि गुरुदत्त और उनकी टीम को वहां से भागना पड़ा. इस घटना ने पूरी यूनिट को हिलाकर रख दिया, लेकिन गुरुदत्त ने हार नहीं मानी.

गुरुदत्त ने एक अनोखा रास्ता चुना. उन्होंने रेड लाइट एरिया की तस्वीरों और फोटोग्राफ्स का अध्ययन किया और मुंबई में एक स्टूडियो में वैसा ही सेट तैयार करवाया. इस सेट को इतनी बारीकी से बनाया गया कि यह असली रेड लाइट एरिया जैसा लगता था.
बता दें कि गुरुदत्त प्यासा के लिए दिलीप कुमार को कास्ट करना चाहते थे. लेकिन पहले ही दिन जब दिलीपु कुमार शूटिंग के लिए नहीं आए तो गुरुदत्त ने खुद एक्टिंग करने का फैसला लिया. आज गुरुदत्त का 100वां जन्मदिन है. गुरुदत्त का जन्म 9 जुलाई 1925 को हुआ था.
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