डायरेक्टर यश चोपड़ा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
किंग ऑफ रोमांस के नाम से मशहूर फिल्ममेकर यश चोपड़ा अगर आज हमारे बीच होते तो अपना 85वां जन्मदिन मना रहे होते. 'दीवार', 'कभी कभी', 'डर', 'चांदनी', 'सिलसिला', 'दिल तो पागल है', 'वीर जारा' जैसी कई बेहतरीन और रोमांटिक फिल्में बनाने वाले यश चोपड़ा ने पर्दे पर रोमांस और प्यार को नए मायने दिए हैं. यश चोपड़ा शराब और सिगरेट से दूर थे, लेकिन खाने के बड़े शौकीन थे.
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इंजीनियरिंग के लिए जाने वाले थे लंदन
यश चोपड़ा का जन्म 27 सितंबर 1932 को लाहौर में हुआ था. उनकी पढ़ाई लाहौर में हुई. 1945 में इनका परिवार पंजाब के लुधियाना में बस गया था. यश चोपड़ा कभी इंजीनियर बनना चाहते थे. वो इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए लंदन भी जाने वाले थे, लेकिन उनकी किस्मत कहीं और लिखी हुई थी. फिल्मों में करियर बनाने का सपना लिए वो बंबई आए थे.
पढ़ें- पिता के Stardom को कायम नहीं रख पाए बॉलीवुड के ये 7 Flop बेटे!
1959 में डायरेक्ट की पहल फिल्म
यश चोपड़ा ने बतौर सहायक निर्देशक अपने करियर की शुरुआत बड़े भाई बी आर चोपड़ा और आई एस जौहर के साथ की. साल 1959 में उन्होंने पहली फिल्म 'धूल का फूल' का निर्देशन किया. कई सफल फिल्मों के बाद 1973 में उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी यशराज फिल्म्स की स्थापना की.
कई स्टार्स को बनाया सुपरस्टार
यश चोपड़ा ने अपनी फिल्मों से कई सितारों को स्टारडम का दर्जा दिलाया. 1975 में फिल्म 'दीवार' से उन्होंने महानायक अमिताभ बच्चन की 'एंग्री यंग मैन' की छवि बनाई. अमिताभ की लीड रोल वाली पांच फिल्में 'दीवार' (1975), 'कभी-कभी (1976), 'त्रिशूल' (1978), 'काला पत्थर' (1979), 'सिलसिला' (1981) यश चोपड़ा की बेहतरीन फिल्में हैं. वहीं, बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान के साथ बतौर निर्देशक यश चोपड़ा ने 'डर', 'दिल तो पागल है' और 'वीर जारा' जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाईं. शाहरुख के साथ यश चोपड़ा की आखिरी फिल्म 'जब तक है जान' रही.
पढ़ें- अमिताभ-जया और रेखा की असल जिंदगी को पर्दे पर उतार बैठे थे यश चोपड़ा
रोमांटिक फिल्मों के जादूगर
यश चोपड़ा को रोमांटिक फिल्मों का जादूगर कहा जाता था. उनकी अंतिम फिल्म ‘जब तक है जान’ भी रोमांटिक फिल्म थी. 2012 में अपने 80वें जन्मदिन के मौके पर उन्होंने कहा था कि ये उनकी अंतिम फिल्म है और अब वो रिटायर होकर परिवार को वक्त देना चाहते हैं. यश चोपड़ा रिटायर तो हो गए लेकिन परिवार को वक्त नहीं दे पाए. 21 अक्टूबर, 2012 को डेंगू के चलते उनका निधन हो गया था.
मिल चुके हैं कई अवॉर्ड
2001 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सिनेमा सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था. वहीं, 2005 में उन्हें पद्म भूषण सम्मान मिला. फिल्मों की शूटिंग के लिए यश चोपड़ा को स्विट्जरलैंड सबसे ज्यादा पसंद था. अक्टूबर 2010 में स्विट्जरलैंड में उन्हें वहां एक अवॉर्ड से भी नवाजा गया था. स्विट्जरलैंड में उनके नाम पर एक सड़क भी है और एक ट्रेन भी चलाई गई है.
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इंजीनियरिंग के लिए जाने वाले थे लंदन
यश चोपड़ा का जन्म 27 सितंबर 1932 को लाहौर में हुआ था. उनकी पढ़ाई लाहौर में हुई. 1945 में इनका परिवार पंजाब के लुधियाना में बस गया था. यश चोपड़ा कभी इंजीनियर बनना चाहते थे. वो इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए लंदन भी जाने वाले थे, लेकिन उनकी किस्मत कहीं और लिखी हुई थी. फिल्मों में करियर बनाने का सपना लिए वो बंबई आए थे.
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1959 में डायरेक्ट की पहल फिल्म
यश चोपड़ा ने बतौर सहायक निर्देशक अपने करियर की शुरुआत बड़े भाई बी आर चोपड़ा और आई एस जौहर के साथ की. साल 1959 में उन्होंने पहली फिल्म 'धूल का फूल' का निर्देशन किया. कई सफल फिल्मों के बाद 1973 में उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी यशराज फिल्म्स की स्थापना की.
कई स्टार्स को बनाया सुपरस्टार
यश चोपड़ा ने अपनी फिल्मों से कई सितारों को स्टारडम का दर्जा दिलाया. 1975 में फिल्म 'दीवार' से उन्होंने महानायक अमिताभ बच्चन की 'एंग्री यंग मैन' की छवि बनाई. अमिताभ की लीड रोल वाली पांच फिल्में 'दीवार' (1975), 'कभी-कभी (1976), 'त्रिशूल' (1978), 'काला पत्थर' (1979), 'सिलसिला' (1981) यश चोपड़ा की बेहतरीन फिल्में हैं. वहीं, बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान के साथ बतौर निर्देशक यश चोपड़ा ने 'डर', 'दिल तो पागल है' और 'वीर जारा' जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाईं. शाहरुख के साथ यश चोपड़ा की आखिरी फिल्म 'जब तक है जान' रही.
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रोमांटिक फिल्मों के जादूगर
यश चोपड़ा को रोमांटिक फिल्मों का जादूगर कहा जाता था. उनकी अंतिम फिल्म ‘जब तक है जान’ भी रोमांटिक फिल्म थी. 2012 में अपने 80वें जन्मदिन के मौके पर उन्होंने कहा था कि ये उनकी अंतिम फिल्म है और अब वो रिटायर होकर परिवार को वक्त देना चाहते हैं. यश चोपड़ा रिटायर तो हो गए लेकिन परिवार को वक्त नहीं दे पाए. 21 अक्टूबर, 2012 को डेंगू के चलते उनका निधन हो गया था.
मिल चुके हैं कई अवॉर्ड
2001 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सिनेमा सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था. वहीं, 2005 में उन्हें पद्म भूषण सम्मान मिला. फिल्मों की शूटिंग के लिए यश चोपड़ा को स्विट्जरलैंड सबसे ज्यादा पसंद था. अक्टूबर 2010 में स्विट्जरलैंड में उन्हें वहां एक अवॉर्ड से भी नवाजा गया था. स्विट्जरलैंड में उनके नाम पर एक सड़क भी है और एक ट्रेन भी चलाई गई है.
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