नई दिल्ली:
'बाहुबली' के निर्देशक एस.एस. राजामौली ने 'उड़ता पंजाब' संबंधी विवाद पर कहा है कि छह सदस्यों वाला सेंसर बोर्ड का पैनल यह तय नहीं कर सकता कि देश के 130 करोड़ लोगों को क्या देखना चाहिए और क्या नहीं। 'उड़ता पंजाब' व केंद्रीय फिल्म प्रमाण बोर्ड (सीबीएफसी) या सेंसर बोर्ड के बीच 89 कट लगाने को लेकर जारी विवाद पर आम व खास सभी लोगों ने आगे बढ़कर अपनी राय दी है।
बंबई उच्च न्यायालय ने भी फिल्म निर्माताओं को प्रमाण-पत्र देने की बजाय फिल्मों पर कैंची चलाने को लेकर अड़े सेंसर बोर्ड को फटकार लगाई है। सेंसर बोर्ड 'उड़ता पंजाब' में 89 कट लगाने पर अड़ा हुआ था, जबकि इसकी पुनरीक्षण समिति ने कट की संख्या कम कर 13 कर दी।
राजामौली से पूछा गया कि क्या सीबीएफसी एक फिल्मकार की रचनात्मक क्षमताओं पर रोक लगा रहा है? जिस पर उन्होंने आईएएनएस को बताया, "हां, वे लगा रहे हैं। मुझे फिल्मकारों से हमदर्दी है। हर कोई एक सीधा सा सवाल पूछ रहा है कि छह सदस्यों का एक बोर्ड यह कैसे तय कर सकता है कि 130 करोड़ लोगों को क्या देखना चाहिए और क्या नहीं।" उन्होंने कहा, "वे जो कर रहे हैं, वो तर्कसंगत नहीं है। एक पिता, मां या परिवार के मुखिया का यह तय करना बेहतर है कि वह और बच्चे क्या देख सकते हैं और क्या नहीं देखना चाहिए। उन छह लोगों की जगह परिजन बेहतर निर्णायक हैं।"
बंबई उच्च न्यायालय ने भी फिल्म निर्माताओं को प्रमाण-पत्र देने की बजाय फिल्मों पर कैंची चलाने को लेकर अड़े सेंसर बोर्ड को फटकार लगाई है। सेंसर बोर्ड 'उड़ता पंजाब' में 89 कट लगाने पर अड़ा हुआ था, जबकि इसकी पुनरीक्षण समिति ने कट की संख्या कम कर 13 कर दी।
राजामौली से पूछा गया कि क्या सीबीएफसी एक फिल्मकार की रचनात्मक क्षमताओं पर रोक लगा रहा है? जिस पर उन्होंने आईएएनएस को बताया, "हां, वे लगा रहे हैं। मुझे फिल्मकारों से हमदर्दी है। हर कोई एक सीधा सा सवाल पूछ रहा है कि छह सदस्यों का एक बोर्ड यह कैसे तय कर सकता है कि 130 करोड़ लोगों को क्या देखना चाहिए और क्या नहीं।" उन्होंने कहा, "वे जो कर रहे हैं, वो तर्कसंगत नहीं है। एक पिता, मां या परिवार के मुखिया का यह तय करना बेहतर है कि वह और बच्चे क्या देख सकते हैं और क्या नहीं देखना चाहिए। उन छह लोगों की जगह परिजन बेहतर निर्णायक हैं।"
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